3.55 लाख भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के खाते में पहली किश्त की राशि अंतरित की
गांधी सेवाग्राम और छत्तीसगढ़ अमर जवान ज्योति की रखी आधारशिला
राजीव युवा मितान क्लब योजना किया शुभारंभ
रायपुर (khabargali) लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने आज राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि - पिछले तीन वर्षों में 91 हजार करोड़ रुपया आम जन की जेब में पहुंचा है । देश में मंदी जरुर रही है, पर छत्तीसगढ़ में नहीं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत 9 हजार रुपये प्रति एकड़ की इनपुट सब्सिडी दे रहे है। राहुल गांधी जी के निर्देश पर प्रदेश में लगातार लोगों की जेब में पैसे पहुंचाएं गए हैं। अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से लगातार लोगों तक राशि पहुंचाई गई है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा- 2 लाख पशुपालकों से 61 लाख टन गोबर की खरीदी की, गोबर विक्रेताओं को 122 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया।गोधन न्याय योजना से छत्तीसगढ़ जैविक खेती की ओर भी बढ़ रहा है। वनवासी भाई बहन वनोपज का संग्रहण कर रहे और उसका वैल्यू एडिशन भी कर रहे हैं।
बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं, डेनेक्स ब्रांड के लिए जाना जाता है। स्व सहायता समूह के माध्यम से लगातार रोजगार दिया जा रहा है। छग के उत्पाद देश के कोने कोने में पहुंच रहे हैं.दंतेवाड़ा का डेनेक्स ब्रांड देश विदेश में पसंद किया जा रहा। 13 हजार से अधिक राजीव युवा मितान क्लब, हर क्लब को प्रति वर्ष 1 लाख रूपए मिलेंगे। 25-25 हजार रुपए के चार किस्तों में उन्हें राशि दी जाएगी।
आदिवासी समाज के लोगों ने राहुल का परम्परागत ढ़ंग से किया स्वागत
सांसद राहुल गांधी के साईंस कॉलेज स्थित मुख्य कार्यक्रम स्थल में आदिवासी समाज के लोगों से मुलाकात की। समाज के लोगों ने उनका परम्परागत ढ़ंग से स्वागत किया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल उनके साथ थे।
राहुल गांधी ने चाक पर बनाया मिट्टी का दीया
राहुल गांधी ने साईंस कॉलेज स्थित मुख्य कार्यक्रम स्थल में चाक पर मिट्टी का दीया बनाने की विधि को जाना और खुद भी बैठकर दीया बनाया तो लोग उनकी सहजता के कायल हो गए।
राहुल गांधी ने चखा छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद,पाटे पर खाया खाना
आज रायपुर प्रवास के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सभा के बाद गांधीवादियों, मजदूरों, आदिवासियों के साथ भोजन किया। सभी के साथ जमीन पर बैठकर पाटे में खाने का एक अलग अनुभव उनका रहा। थाली में छत्तीसगढ़ी व्यंजन भी परोसे गए थे।
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