उज्ज्वल दीपक की कलम से
ख़बरगली @साहित्य डेस्क
हिंसा द्वारा लोकतंत्र को चुनौती देने का वामपंथी उग्रवादियों का लंबा इतिहास रहा है। इस तथाकथित "विचारधारा की लड़ाई" ने प्रभावित क्षेत्रों में न सिर्फ विकास ठप किया बल्कि पिछले चार दशकों में हिंसा के चलते 16,652 सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों ने जान गंवाई हैं । विडम्बना यह है की उग्रवादियों ने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई की आड़ में विकास कार्यों का अवरोध किया और स्कूल, अस्पताल एवं सड़कों के निर्माण होने से रोका है। आदिवासियों के हक़ की बातें करने वाले गैर सरकारी संगठन एवं विदेशी वित्तीय सहायता से पनप रहे कुछ अर्बन नक्सलियों की मदद से विद
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