कोरोना संकट: क्या इसके पीछे आर्थिक प्रतिस्पर्धा है या जनसंख्या नियंत्रण का छुपा एजेंडा ? :प्रवीण मैशेरी

Pravin maishari, khabargali

क्या कोरोना संकट मात्र एक माहमारी है या ओर कुछ ? क्या इसका दोषी मात्र चीन है या अमेरिका की भी है साझेदारी ? क्या इसके पीछे आर्थिक प्रतिस्पर्धा है या जनसंख्या नियंत्रण का छुपा एजेंडा ?

क्या 2005 में अमेरिका के किसी गोपनीय जगह पर WHO ने कोई विश्वव्यापी मीटिंग बुलाई थी जिसमें भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी हिस्सा लिया था? इस मीटिंग का मुख्य एजेंडा क्या था ? जनसंख्या नियंत्रण ? क्या इसी मीटिंग में जनसंख्या नियंत्रण के लिये किसी माहमारी का सहारा लेने का निश्चय हुआ ? क्या चीन के वुहान लेबोरेटरी को अमेरिका के सहयोग से यह जिम्मेदारी सौंपी गई ? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है कि वुहान की जिस लैब से कोरोना लीक होने की बात कही जा रही है उसे फंडिंग US भी कर रहा था ऐसा सामने आ रहा है। क्या चीन आर्थिक सत्ता प्राप्त करने षडयंत्र पूर्वक 1980 से योजनाओं पर कार्य कर रहा था ? इसीलिए उसने अपने प्रोडक्ट की कॉस्टिंग कम करनें लेबर का भारी शोषण किया,मजदूरी कार्य के घंटो की जगह पर प्रोडक्ट पर निश्चित की गई वह भी अत्यधिक कम दरों पर ताकि मेड इन चाइना की कॉस्टिंग विश्व की कॉस्टिंग से आधे से भी कम हो जिससे विश्व मार्केटिंग पर चीन का दबदबा बना रहें,WTO के कारण विश्व मजबूर हो गया।

चीन ने दो मोर्चों पर कार्य किया पहला इकोनॉमी दूसरा रक्षा, कमजोर देशों जैसे बांग्लादेश,श्रीलंका,पाकिस्तान , साऊथ अफ्रीका के देश, इन्हें भारी कर्ज के बोझ से दबा दिया गया फलस्वरूप इन देशों की सरजमीं पर चीन ने अपने सैनिक अड्डे बनाकर अपनी सैन्य ताकत कई गुना इजाफ़ा कर ली। चीन इस योजना पर वर्ष 1980 से कार्य करता रहा जिसका लक्ष्य 2040 तक विश्व में आर्थिक एवं सैन्य एकाधिकार के रूप में खुद को स्थापित करनें की थी अमेरिका सहित विश्व कोई भी देश चीन के षड्यंत्र को भांप नहीं पाया।

बात तो यह भी सामने आ रहीं है की 2005 में अमेरिका में हुए गुप्त समझौते का उद्देश्य विश्व जनसंख्या के विस्फोटक को रोकने से था विशेषकर मुस्लिम जनसंख्या पर नियंत्रण चीन अमेरिका दोनों चाहतें थे। इस मीटिंग में भारत का प्रतिनिधित्व तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था सम्भावना यह बताई जा रही है इसी बैठक में WHO ने जनसंख्या नियंत्रण के लिये किसी वायरस का साहरा लेकर विश्व माहमारी फैलाकर जनसंख्या को कम करने चीन अमेरिका को मिलकर कार्य करने राजी किया गया,इसके लिये चीन की वुहान लैब को चुना जिसमें कोरोना COVIND 19 के वायरस का विकास किया गया पर दुर्भाग्य से भारत में शासन बदल चुका था अब PM मोदी थे जिन्होंने कोरोना को चैलेंज के रूप में लेकर तत्काल लोकडाउन की घोषणा कर इसके फैलाव पर नियंत्रण पाकर भारी जनहानि को रोकने में सफलता हासिल की।

खबर तो यह भी आ रही है चीन ने कोरोना COVIND 19 फैलाने के लिये वुहान की 50 हजार सैक्स वर्कर्स का सहयोग लिया गया जो कोरोना पोजेटिव थी जिन्हें उन देशों के प्रमुख शहरों में भेजा गया जिनसें चीन के व्यापारिक हित पूरे होते हों ऐसे देशों में यूरोप के अनेक देश इटली,फ्रांस तो थे ही अमेरिका,जर्मनी,रूस, UAE,भारत के मुंबई पूना दिल्ली अहमदाबाद जैसे शहरों को शामिल किया गया जहां जाकर इस विषकन्याओं के माध्यम से व्यापार पर कब्जा तो किया ही गया साथ ही कोरोनो को भी फैलाया ताकि विश्वस्तर पर चीन को दोहरी विजय हासिल हो सके एक आर्थिक दूसरी सामाजिक। अब आगे क्या ? तो मोदी ने आधी लड़ाई तो लोकडाउन एवं जनता के सहयोग से जीत ली पर अब भय लॉकडाउन के कारण जनसंख्या विष्फोट का है घरों में बंद जनता के पास मनोरंजन के सीमित साधन थे परिणाम अगले वर्ष भारत की जनसंख्या 2 करोड़ अन्य वर्षो की अपेक्षा अधिक वृद्धि होने की संभावना है।

लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक मारा जाएगा माध्यमवर्ग न तो मांग सकता है ना ही कोई उसकी तरफ लक्ष्य देगा। जो मजदूर माइग्रेट होकर अन्य राज्यों को गए थे वे भी अब मूल वतन की तरफ लौट रहें हैं आगे परिस्थिति बनेगी वे पुनः अन्य प्रान्त को नहीं जाएंगे परिणाम उनके लिए स्थानीय रोजगार की तलाश करनी होगी,बेरोजगारी विस्फोटक रूप लेनें वाली है। तो हमें प्रत्येक राज्य एवं केंद्र का ध्यान स्थानीय रोजगार के तरफ होना चाहिए,इन स्थानीय मजदूरों को स्थानीय उपलब्ध रोजगार के हिसाब से ट्रेंड किया जाना चाहिए,इन मजदूरों को प्रॉपर प्रशक्षित किया जाना चाहिए। स्थानीय ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि कोई भूखा ना सोए। कृषि एवं उसके सहरोजगर को बढ़ावा देकर कृषि पर मशीनों की जगह मेन पवार को प्रोत्साहित करना होगा। निर्माण उद्योग को बढ़ावा देना होगा चीन पर निर्भरता खत्म करनी होगी , स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने उपाय खोज उन्हें धरातल पर क्रियान्वयन करवाना होगा। अब देखना होगा मोदी की सलाहकार टीम इसे कैसे इम्प्लीमेंटन कर देश की आर्थिकमंदि को चुनौती से उबारेगी।

: प्रवीण मैशेरी , रायपुर
(लेखक के यह निजी विचार है)