अन्ना हजारे का बड़ा ऐलान: 30 जनवरी 2026 से आमरण अनशन, लोकायुक्त कानून लागू नहीं हुआ तो प्राण त्यागने की चेतावनी

Anna Hazare's big announcement: Fast unto death from January 30, 2026, threatens to give up his life if Lokayukta law is not implemented, Khabargali

नई दिल्ली (खबरगली) समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक बार फिर राष्ट्रव्यापी हलचल मचा दी है। उन्होंने घोषणा की है कि यदि महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून तुरंत लागू नहीं किया गया, तो वे 30 जनवरी 2026 से रालेगण सिद्धि में आमरण अनशन पर बैठेंगे। अन्ना ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर साफ कहा है कि वे “अंतिम सांस तक अनशन जारी रखेंगे और पीछे नहीं हटेंगे।” उनके इस ऐलान के बाद महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। 2011 में रामलीला मैदान पर हुए उनके भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने पूरे देश की राजनीति को झकझोर दिया था।

लोकायुक्त कानून लागू न होने पर नाराज़, आंदोलन का ऐलान

सबसे बड़ा सवाल यही है कि अन्ना हजारे फिर आंदोलन के लिए क्यों उतर आए? दरअसल, महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून लागू करने में लगातार देरी हो रही है। दो साल पहले कानून को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया। इसी देरी से नाराज़ होकर अन्ना ने कहा कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे और संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे।

रालेगण सिद्धि में शुरू होगा आमरण अनशन

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में अन्ना हजारे ने चेतावनी दी है कि यदि लोकायुक्त कानून तत्काल लागू नहीं हुआ तो वे अपने गांव रालेगण सिद्धि में आमरण अनशन शुरू कर देंगे। उन्होंने लिखा —“हार्ट अटैक से मरने की बजाय देशहित में प्राण त्यागना मेरे लिए सौभाग्य है।” अन्ना लंबे समय से महाराष्ट्र में एक मजबूत लोकायुक्त व्यवस्था लागू करने की मांग करते आ रहे हैं।

विधानसभा, विधान परिषद और राज्यपाल की मंजूरी, फिर भी रुका कानून

अन्ना के अनुसार—लोकायुक्त विधेयक 2022 में विधानसभा से पास हुआ, 2023 में विधान परिषद ने मंजूरी दी, 2024 में राज्यपाल ने भी अपनी स्वीकृति दे दी। इसके बावजूद कानून अभी तक लागू नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने विधेयक को केंद्र के पास राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा है, लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई।

कहा - “यह मेरा निजी मुद्दा नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई”

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अन्ना ने कहा कि यह सिर्फ उनका निजी प्रश्न नहीं है, बल्कि आम जनता और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस कानून को लागू करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखा रही, इसलिए उन्हें आमरण अनशन का मार्ग अपनाना पड़ रहा है।