चावल मिल मालिकों ने लिया कस्टम मिलिंग ना करने का निर्णय

Rice mill owners decided not to do custom milling, decided for the year 2024-25 regarding pending payments and other problems, Annual Meeting of Chhattisgarh State Rice Millers Association, President Yogesh Aggarwal, Khabargali

लंबित भुगतान और अन्य समस्याओं को लेकर वर्ष 2024-25 के लिए किया तय

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन की वार्षिक बैठक हुई,जिसमें मिलर्स ने कस्टम मिलिंग के बकाया भुगतान एवं अन्य मांगों के निराकरण होने तक साल 2024-25 में कस्टम मिलिंग ना करने का निर्णय लिया। इस संबंध में एसोसिएशन अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया की कस्टम मिलिंग के विगत कई वर्षों से करोड़ों रुपए मार्कफेड में बकाया है। जिससे की मिलर्स की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है तथा मार्कफेड ने अनेक प्रकार से मिलर्स का बिल ग़लत गणना करते हुए मिलर्स की विसंगतिपूर्ण कटौती की है जिससे प्रदेश भर के मिलर्स आक्रोशित हैं।

वार्षिक बैठक में मिलर्स का गुस्सा इन्ही विषयों पर फूट पड़ा। सभी मिलर्स इस विषय पर एकमत रहे है नीतियां बनाने समय मिलर्स एसोसिएशन को विश्वास में लिया जाना चाहिए क्योंकि कस्टम मिलिंग मिलर्स के सहयोग से चलती है इसके बावजूद मिलर्स की जायज मांगों पर सुनवाई नहीं होती। भारत सरकार द्वारा परिवहन की दरों को घटाकर हर वर्ष एसएलसी से दरें फाइनल करने की अपनी नीति को अकारण बदलते हुए मिलर्स से लंबी दूरी का धान चावल परिवहन जबरन कराया जा रहा है। परिवहन मद में भारत सरकार अभी जो राशि दे रही है उसमें मजदूरी खर्च भी नहीं मिल रहा है। जबकि मिलर्स को सैकड़ों किलोमीटर दूर से धान उठाकर चावल जमा देना पड़ रहा है। टेंडर प्रस्ताव को एसोसिएशन के मिलर्स ने सिरे से नकार दिया।

मिलर्स की सोच है कि अन्य राज्यों में यह योजना फेल है जिन्हें टेंडर मिलता है वह समय पर सप्लाई नहीं देता या अपने कुछ लोगो को टेबल के नीचे सप्लाई दे दी जाती है। वर्तमान चालू व्यवस्था से मिलर्स गुणवत्ता देख समझ कर लेता है जिससे गुणवत्ता में समस्या नहीं रहती और बहुत सारे प्लांट होने से आपूर्ति लगातार बनी रहती है। मिलर्स बारदाना में मार्कफेड की नीति एक पक्षीय है , नियम - नीति सब ताक पर हैं। मिलर्स की अनावश्यक रूप से बिलों में पेनल्टी काटी जा रही है। शासन के पास चावल जमा करने की जगह नहीं होती उसके बावजूद कस्टम मिलिंग देरी की पेनल्टी मिलर्स को भुगतना पड़ रहा है।आज का समय कंप्यूटर का है , पूरा सिस्टम ऑनलाइन है , विभाग को अपने सिस्टम पर सब कार्य दिखाई देता है इसके बावजूद मिलर्स को कागजी खानापूर्ति में बहुत परेशान किया जाता है।

मिलर्स एसोसिएशन की मांग है कि कागजी खानापूर्ति खत्म होनी चाहिए। मिलर्स से बिल लिया जाना चाहिए और उसके अनुसार गणना कर जिला कार्यालय में ही बिलों की जाँच कर भुगतान करना चाहिए। एसोसिएशन के सदस्यों ने शासन से यह माँग रखी है है कि वह चावल उद्योग के प्रति सहानुभूति रखें क्योंकि वह कस्टम मिलिंग कार्य में बारदाना, परिवहन कार्यों में सहयोग देता है।मिलर्स पर अन्यायपूर्ण व्यावहार नहीं होना चाहिए। मिलर्स सभी तरह से सहयोग करता है , तब भी समस्याओं का लंबे समय तक निराकरण ना होने से मिलर्स परेशान है यही वजह है कि मिलर्स अगले साल के लिए कस्टम मिलिंग में रुचि ना लेकर समस्याओं के समाधान तक पंजीयन नहीं करने एकमत है। आज की बैठक में प्रदेश भर के हर जि़ले के मिलर्स व पूरे प्रदेश के 1500 से ज़्यादा मिलर्स प्रतिनिधि की उपस्थिति रही।

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