छत्तीसगढ़ की ग्राफ्टिंग पद्धति से की जा रही कृषि का लाभ लेंगे त्रिपुरा के किसान

Ramesh bais

त्रिपुरा के राज्यपाल ने कृषि विशेषज्ञों को किया आमंत्रित..

वीएनआर नर्सरी के पदाधिकारी जाएंगे त्रिपुरा, कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ होगी आधुनिक विधि पर चर्चा, किसानों की आय बढ़ाने में देंगे सहयोग..

वीएनआर नर्सरी का त्रिपुरा के राज्यपाल ने किया अवलोकन, यहां की पद्धति को त्रिपुरा में लागू करने का होगा प्रयास, नर्सरी के पदाधिकारियों को राज्यपाल ने किया त्रिपुरा आमंत्रित

रायपुर (khabargali) त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस वैसे तो एक कृषक परिवार से है आज भी उनकी खुद की जमीन पर खेती होती है, छत्तीसगढ़ में हो रही बेहतर और उन्नत कृषि कार्यों को बढ़ावा देने के साथ उत्पादन में हो रही वृद्धि को देखते हुए त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस ने वीएनआर नर्सरी का पिछले दिनों अवलोकन किया.. अवलोकन के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने वहां पर उगाए गए अनेक प्रकार के फ्रूट्स और वेजिटेबल की जानकारी बारीकी से ली.. त्रिपुरा के राज्यपाल की उत्सुकता को देखते हुए वीएनआर नर्सरी के प्रमुख डॉ नारायण चावड़ा जी और डायरेक्टर अरविंद अग्रवाल द्वारा राज्यपाल को लगभग 100 प्रकार के फ्रूट्स और अनेक प्रकार की वेजिटेबल के बारे में जानकारी दी।

.. इस संबंध में जानकारी देते हुए वीएनआर नर्सरी के प्रमुख डॉ नारायण चावड़ा और डायरेक्टर अरविंद अग्रवाल ने बताया कि वर्षभर उनके नर्सरी में छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देशभर से हजारों की संख्या में किसान आकर प्रशिक्षण और आधुनिक विधि की जानकारी लेते हैं वर्ष में लगभग 15 हजार किसानों का उनके नर्सरी में आना जाना लगा रहता है.. वर्तमान में त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस उनकी नर्सरी पहुंचे थे और उनके नर्सरी में जितने भी विधियों से फ्रूट्स और वेजिटेबल तैयार किया जा रहा है उन विधियों को त्रिपुरा में कैसे लागू किया जा सकता है उस मुद्दे पर वहां चर्चा हुई.. चर्चा के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने वीएनआर फर्म के पदाधिकारियों को त्रिपुरा आमंत्रित किया है.. इस संबंध में डायरेक्टर अरविंद अग्रवाल ने यह भी बताया कि दिसंबर महीने में एक टीम की त्रिपुरा दौरा हो सकता है जिसमें त्रिपुरा का वातावरण और जलवायु के साथ वहां के कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ कुछ किसानों से भी चर्चा हो सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में वर्ष भर ग्राफ्टिंग पद्धति के माध्यम से 100 से ज्यादा प्रजातियों के फ्रूटस और वेजिटेबल की खेती किसान कर सकते हैं। ग्राफ्टिंग पद्धति के बारे में जानकारी देते हुए अरविंद अग्रवाल ने कहा कि जैसे जमीन के नीचे लौकी का पेड़ लगाया जाता है और ऊपर में पेड़ को काटकर उसमें तरबूज के पेड़ को ग्राफ्ट किया जाता है इससे इस से लौकी के पेड़ के माध्यम से जो ऊर्जा और जलवायु मिलना चाहिए वह पर्याप्त मात्रा में तरबूज को मिल जाता है क्योंकि तरबूज के पेड़ को यदि हम जमीन पर लगाए तो उसमें ज्यादा खेड़ा आता है और थोड़े ही उस पेड़ में बीमारी फैलाते हैं लेकिन ग्राफ्टिंग पद्धति के माध्यम से लौकी के पेड़ में कीड़ा नहीं आता और उसके ऊपर में ग्राफ्ट किए गए तरबूज को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा और पानी मिल जाता है इससे तरबूज पर्याप्त मात्रा में होता है ग्राफ्टिंग पद्धति से वर्तमान में किसानों की आय जहां बढ़ी है वहीं उत्पादन की मात्रा में भी भारी वृद्धि हुई है ऐसी पद्धति का उपयोग यदि त्रिपुरा में होता है तो वहां की जलवायु छत्तीसगढ़ की जलवायु से भी बहुत ही बेहतर है इसलिए ग्राफ्टिंग पद्धति के माध्यम से त्रिपुरा में किसान जितने ज्यादा आगे आएंगे उन्हें उतना ही ज्यादा इस पद्धति से फायदा मिलेगा और किसान उन्नत होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में कृषि के क्षेत्र में और हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में एक क्रांति आई है उसे देखते हुए त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस ने एक पहल की है कि यहां के हॉर्टिकल्चर और कृषि के क्षेत्र में जो भी उन्नत तकनीक से कृषि कार्य किया जा रहा है और किसान जिससे उन्नत हुए हैं और उनको ज्यादा लाभ मिला है उस पद्धति को त्रिपुरा के किसान अपना सकें इसका प्रयास राज्यपाल कर रहे हैं जिससे आने वाले समय में त्रिपुरा के किसानों को फायदा होगा वही वहां के किसान उन्नत होंगे और जब किसान उन्नत होंगे तो राज्य भी प्रगति की ओर आगे बढ़ेगा।

वर्तमान में वर्ष भर फ्रूट्स के जो फसल ले सकते हैं उसमें मुख्य रूप से सीताफल, नींबू, बेल, मोसंबी, एप्पल, बेर, चकोतरा, कटहल, अंजीर, और वैक्स एप्पल के साथ अमरूद जैसे फल वर्ष पर किसानों को फायदा देते हैं वहीं सभी प्रकार के वेजिटेबल भी वर्षभर किसान ले सकते हैं जिससे किसानों को पहले की अपेक्षा ज्यादा फायदा और उत्पादन मिलता है।। उल्लेखनीय है कि वीएनआर नर्सरी के अवलोकन में गए त्रिपुरा के राज्यपाल के साथ राज्यपाल के बड़े भ्राता और मुख्य प्रबंध ट्रस्टी गायत्री परिवार ट्रस्ट के श्री श्याम बैस ,पूर्व पार्षद और ट्रस्टी श्री दीनानाथ शर्मा जी के साथ थे।

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