हिंदू राष्ट्र , मोहन भागवत , धर्मांतरण और राजनीति पर यह बड़ी बात कही शंकराचार्य जगद्गुरू निश्चलानंद सरस्वती ने

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कहा- सनातन धर्म ही सर्वेश्रेष्ठ है, बाकी पंथ हैं न कि धर्म

जगदलपुर (khabargali) गोवर्धन पीठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती बस्तर के दौरे में पहुंचे हुए हैं। मंगलवार को जगदलपुर शहर के लाल बाग स्थित परेड ग्राउंड मैदान में आयोजित धर्म सभा में शंकराचार्य ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सरकारों द्वारा मंदिरों पर नियंत्रण करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा मठ मंदिरों की आमदनी का शासन द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही शंकराचार्य ने बिना नाम लिए प्रदेश सरकार पर हिंदुओं के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया।

गौरतलब है कि पुरी पीठ के शंकराचार्य तीन दिवसीय बस्तर के प्रवास पर पहुंचे हुए हैं। धर्म सभा के साथ ही उनके द्वारा यहां आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया जाएगा। मंगलवार को आयोजित धर्म सभा में उन्होंने हिंदू राष्ट्र बनाने की बात भी मंच से कही।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा शासित प्रदेश उत्तर प्रदेश और असम के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हेमंत विश्व शर्मा की तारीफ की। वहीं आर एसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हाल ही में ब्राह्मणों को लेकर की गई टिप्पणी से नाराजगी जताते हुए मोहन भागवत को कम पढ़ा लिखा बताया। उन्होंने मोहन भागवत के बयान पर कहा कि भागवत को ज्ञान और जानकारी का अभाव है। निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदू के पास रामायण महाभारत है, ईसाई के पास बाइबिल है और मुस्लिम के पास कुरान है, लेकिन RSS के पास कोई ग्रंथ नहीं है, इसलिए उनके पास ज्ञान की कमी है।

अब तक देश के हिंदू राष्ट्र न बन पाने को लेकर शंकराचार्य ने पूर्ववर्ती सरकारों और राजनीतिक पार्टियां को इसका दोषी ठहराया। उन्होंने कहा धार्मिक मुद्दों पर लोग वोट न करें इसलिए राजनीतिक पार्टियां अक्सर दूसरी पार्टी नहीं बनने देती, बस्तर में हो रहे धर्मांतरण और मंत्री कवासी लखमा के बयान (आदिवासी हिंदू नहीं हैं) पर शंकराचार्य ने टिप्पणी करते हुए कहा पूर्व में भी इस तरह की बातें वनवासियों के लिए कही जाती रही हैं। लेकिन स्वयं वनवासी अपने आपको गर्व से हिंदू बताते हैं।

वहीं धर्मांतरण को लेकर कहा कि हिंदुओ को कोसने से कोई मतलब नहीं बल्कि खुद को निहारने की जरूरत है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा छाया हुआ है। खासकर बस्तर संभाग में लगातार अपना धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चन समुदाय को अपना रहे लोगों और बस्तर के मूल धर्म के आदिवासियों के बीच विवाद भी चल रहा है। वहीं राज्य सरकार और विपक्ष भी धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं और लगातार एक दूसरे पर धर्मांतरण को लेकर आरोप मढ़ रहे हैं। इसी बीच बस्तर पहुंचे निश्चलानंद सरस्वती स्वामी शंकराचार्य ने भी छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर पूछे गए सवाल पर अपना बयान दिया है। शंकराचार्य ने अपने धर्म को छोड़ ईसाई धर्म अपना रहे लोगों से पूछा है कि मैं क्रिश्चनों को कहता हूं कि आप ईसा मसीह को मानते हैं और उनके बारे में कितना जानते हैं? उन्होंने कहा कि रोम में ईसा मसीह की प्रतिमा वैष्णव तिलक में है, वह वैष्णव हो गए, जो लोग ईसा मसीह के नाम पर क्रिश्चियन बन रहे हैं उन्हें उनका इतिहास नहीं मालूम है। ईसा मसीह कई वर्षों तक कहां रहे यह किसी को नहीं पता, भारत में ईसा मसीह 3 वर्ष रहे। आज भी रोम में ईसा मसीह की प्रतिमा को ढक दिया गया है और अब तक खोली नहीं गई है।

शंकराचार्य जगद्गुरू निश्चलानंद सरस्वती ने भारतीय संस्कृति, जीवन पद्धति, सनातन धर्म, वैदिक साहित्य को देश की आत्मा बताया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारतीयता देखना और समझना चाहती है और हम हैं कि आधुनिक पाश्चात्य परंपराओं की नकल कर अपना ही नुकसान कर रहे हैं। शंकराचार्य जगद्गुरू निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि ऐसे में राष्ट्रोत्कर्ष नहीं होगा। सनातन धर्म ही सर्वेश्रेष्ठ है, बाकी पंथ हैं न कि धर्म। इस अंतर को समझने की जरूरत है।

जिले के लालबाग मैदान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने सनातन धर्म, वैदिक साहित्य की महत्ता को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि हमें अपने पूर्वजों, धर्म, अध्यात्म पर गर्व करना चाहिए। शंकराचार्य ने प्राचीन भारतीय संस्कृति से लेकर आधुनिक काल की स्थितियों की दशा और दिशा के साथ की गणित समेत विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने छत्तीसगढ़ की भूमि को पवित्र बताते हुए भगवान राम का ननिहाल और भगवान कृष्ण की ससुराल होने से गर्वानुभूति की चर्चा करते कहा कि यहां लोग बड़े ही उदार हैं। भारत विश्व का ह्दय है। साक्षात जगतजननी भगवती और देवता यहां अवतार लेते हैं। शूरवीर और राष्ट्रभक्तों की यह जननी है। राष्ट्रोत्कर्ष यात्रा में पूरे देश में घूम रहा हूं। मैं देखता हूं कि पूरा विश्व हमें भारतीय के रूप में हमें देखना चाहता है। परतंंत्रता के दिनों में भारतीयता लोगों के रग-रग में जीवित थी। उन दिनों में लोग भारतीय परिधान में रहते थे। भारतीय जीवन पद्धति को देखने समझने दुनिया भर से लोग यहां आ रहे हैं और हम हैं कि अपनी भारतीयता की आत्मा को ही भूल रहे हैं। हम अंधानुकरण करते भागते फिर रहे हैं। हमें सनातन धर्म की ओर आना होगा तभी राष्ट्रोत्कर्ष होगा। समाज को सुरक्षित, संपन्न, सुसंस्कृत करने की जरूरत है। हमें सेवा कार्य में जुटने की जरूरत है।

उन्होंने वेद, पुराण, गीता, रामायण आदि धार्मिक ग्रंथों से कई उदाहरण देते हुए धर्म और विज्ञान के कई रहस्यों को आसान तरीके से समझाया।उन्होंने राजनीतिज्ञों पर भी कटाक्ष किया और कहा कि आजकल लोग राजनीति की परिभाषा जानते नहीं और राजनीतिज्ञ बन जाते हैं। विकास, पर्यावरण और राजनीति को मिलाकर सामंजस्य के साथ आगे बढऩे की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में अपार वैदिक ज्ञान है और कई ऐसे वेद हैं जिसमें विज्ञान से पहले सृष्टि कितनी पुरानी है, पृथ्वी की आयु कितनी है, यह सब ज्ञान उसमें समाहित हैं। वैदिक ज्ञान और सनातन धर्म सबसे समृद्ध है।

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