गायत्री नगर में 108 कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का हुआ शुभारंभ
रायपुर (khabargali) राजधानी के गायत्री नगर के श्री सिद्धिविनायक शिव साई हनुमान मंदिर प्रांगण में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। कथा से पूर्व जगन्नाथ मंदिर से भक्तों ने 108 कलश लेकर कलश यात्रा निकाली । श्रीमद्भागवत कथा में पहले दिन कथावाचक पंडित शिवानंद महाराज जी महाराज चित्रकूट धाम वाले ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम व्यास जी और नारद जी की कथा की महिमा बड़े भाव विभोर के साथ से अवगत कराते हुए कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचाता रहा है। भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होने नारद भक्ति ज्ञान बैराग एवं सनत कुमारो की कथा श्रवण करते हुए आत्मदेव ब्राह्मण गोकर्ण धुंधकारी याद की कथा सुनाई।
शिवा नंद महाराज ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। संसार में भगवान कृष्ण ही सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करते हैं।वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। भगवान द्वारा प्रदान किए गए जीवन को भगवान के साथ और भगवान के सत्संग में ही व्यतीत करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में ये श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसको सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियों को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। अगर कोई सात तक किसी व्यस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकाले तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ-साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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