मैं इंतजार करती हूं...

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नम्रता वर्मा की कलम से

ख़बरगली @ साहित्य डेस्क

 

मुझे याद है, वो दिन जब मैंने आपको पहली बार देखा, जब से मैंने आपको देखा फिर मैंने किसी और को नहीं देखा ।

ना ही मैं किसी और को देखना चाहती हूं। मैं आपके कदमों की आहट को अच्छे से जानती हूं ।

उस वक़्त मेरे दिल की धड़कने काफी तेज हो जाती थी ये मेरा वहम नहीं था ।

जब मे पलके उठाकर देखती थी आप हकीकत में मौजूद रहते थे मैं आपका इंतजार दिन में करती हूँ ।

ताकि हकीकत में मुलाकात हो जाये । रात में इंतजार करती हूँ ।

ताकि आप से ख्वाब में मुलाकात हो जाये मैं आपका इंतजार ठीक वैसे ही करती हूं ।

जैसे कोई मरूस्थल मे बारिश का करता होगा ।