महाप्रभु श्री जगन्नाथ की सेवा को समर्पित हुआ 21 दिन का शिशु दइतापति

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देवताओं के लिए आयोजित गुप्त अणसर अनुष्ठान में पहली बार भाग लिया

इस छोटे दइतापति की पहचान बलभद्र दास महापात्र के रूप में की गई

बच्चा धीरे-धीरे सभी गुप्त अनुष्ठानों को सीखने के लिए करेगा बड़ों का अनुसरण

पुरी (khabargali) पुरीधाम स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार गुरुवार को गुप्त अणसर अनुष्ठान के दौरान 21 दिन का एक शिशु दइतापति महाप्रभु श्री जगन्नाथ की सेवा को समर्पित हुआ। इस छोटे दइतापति की पहचान बलभद्र दास महापात्र के रूप में की गई है। दइतापति सेवक जगदीश दास महापात्र ने अपने नवजात शिशु बलभद्र को भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया। जगदीश अपने पुत्र बलभद्र को पात बस्त्र पहनाकर वेद मंत्रों के जाप के बीच अणसर घर की चौकी पर ले गए, ताकि उन्हें भगवान की सेवा में अर्पित किया जा सके।

गौरतलब है कि मठ देवताओं के उपचार के लिए अणसर काल के दौरान पुरी श्रीमंदिर के सेवकों को सौंप देता है जहाँ उक्त अनुष्ठान किया जाता है। वह जगह अणसर ग्रह कहलाया जाता है।

सदियों पुरानी है परंपरा

दइतापति परिवार में हर कोई अणसर के दौरान महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा के सभी गुप्त अनुष्ठानों का संचालन करने के लिए खुद को देवताओं की सेवा में संलग्न करता है। अनुष्ठान के अनुसार, दइतापति परिवारों के सबसे छोटे सदस्य को उनके जन्म के 21 दिनों के बाद अणसर अवधि के दौरान भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की सेवा में पेश किया जाता है।

दइतापति सेवक जगदीश के अनुसार वह नए सेवक के रूप में परिचय कराने के लिए प्रभु को कुछ उपहार प्रदान करता है। बच्चा धीरे-धीरे सभी गुप्त अनुष्ठानों को सीखने के लिए बड़ों का अनुसरण करेगा।वह इसी उद्देश्य के लिए पैदा हुआ है। भगवान श्री जगन्नाथ की सेवा करने का विधान हम किसी से नहीं सीखते। हम सिर्फ अपने पूर्वजों का पालन करते हैं और परंपरा के हिस्से के रूप में सभी रीति-रिवाजों को सीखते हैं।

साभार : इंड़ो एशियन टाइम्स

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