मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक पारित

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पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने वाला छत्तीगसढ़ देश का दूसरा राज्य

सदन में विधेयक सर्वसम्मति से हुआ पारित

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के 13वें दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 पेश किया. विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग की जा रही थी. वर्तमान में पत्रकारों के साथ जो स्थिति बनी है, उसके बाद सुरक्षा प्रदान करना शासन की जिम्मेदारी हो जाती है. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है, जहां पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून देश में नजीर बनेगा, स्वर्णीम अक्षरों में लिखा जाएगा.

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने विधेयक के खंडों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. कि कानून की क्या व्यवस्था है, किसके लिए यह लागू होगा, कौन से मीडिया कर्मी इस कानून में पात्र होंगे इसके प्रावधान में है. उन्होंने बताया कि साल 2019 में जस्टिस आफताफ आलम की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया. समिति के सदस्यों ने विभिन्न मीडिया संस्थानों और मीडिया कर्मियों से सुझाव लिए. बस्तर, अंबिकापुर और रायपुर में भी पत्रकारों के बीच जाकर चर्चा की गई. दिल्ली में भी जाकर एडिटर गिल्ड से कानून के बारे में सुझाव मांगे गए. ऑनलाइन सुझाव भी लिए गए.

उन्होंने बताया कि तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद इस विधेयक के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया. उन्होंने यह भी बताया कि इस विधेयक में अधिमान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थान, स्टि्रंगर,, उपसंपादक, संवाददाता, प्रेसकर्मी सभी के लिए प्रावधान किए गए हैं. यह मूल विधेयक है, आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो संशोधन भी किया जाएगा.

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस कानून के तहत शिकायत की जांच और गलत शिकायत को लेकर भी प्रावधान किए हैं. उन्होंने पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने में पूरी पारदर्शिता बरती है. विपक्ष ने विधेयक का समर्थन करते हुए सुझाव दिया कि इसके प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जा सकता है,इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजा जाए. सत्तापक्ष ने इसका विरोध किया और विरोध लगातार बढ़ता गया. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के इस सुझाव का सत्तापक्ष ने विरोध किया. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि जस्टिस की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी, मगर रिपोर्ट का अधिकांश हिस्सा विलोपित कर दिया गया, इसलिए रिपोर्ट सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए. विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विधेयक अच्छा है, मगर केवल प्रभावशाली पत्रकारों को ही इसकी सुविधा मिलेगी. विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच इस मुद्दे पर जमकर तकरार हुई.आखिर में विपक्ष ने बिना चर्चा के ही सर्वसम्मति से पारित करने की मांग की.

किन पत्रकारों को मिलेगी सुरक्षा 

‘छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून’ के नाम से तैयार इस मसौदे में सुरक्षा पाने के हकदार पत्रकारों की अर्हता आदि का भी जिक्र है. इसके अनुसार-

1. ऐसा व्यक्ति जिसके गत 3 महीनों में कम से कम 6 लेख जनसंचार माध्यम में प्रकाशित हुए हों.

2. ऐसा व्यक्ति जिसे गत 6 माह में किसी मीडिया संस्थान से समाचार संकलन के लिए कम से कम 3 भुगतान प्राप्त किया हो.

3. ऐसा व्यक्ति जिसके फोटोग्राफ गत 3 माह की अवधि में कम से कम 3 बार प्रकाशित हुए हों.

4. स्तंभकार अथवा स्वतंत्र पत्रकार जिसके कार्य गत 6 माह के दौरान 6 बार प्रकाशित/प्रसारित हुए हों.

5. ऐसा व्यक्ति जिसके विचार/मत गत तीन माह के दौरान कम से कम 6 बार जनसंचार में प्रतिवेदित हुए हों.

6. ऐसा व्यक्ति जिसके पास मीडिया संस्थान में कार्यरत होने का परिचय पत्र या पत्र हो.

मीडियाकर्मियों के पंजीकरण के लिए अथॉरिटी का गठन 

पत्रकारों के पंजीकरण के लिए भी सरकार अथॉरिटी का निर्माण करेगी. तैयार कानून के प्रभावी होने के 30 दिन के अंदर सरकार पत्रकारों के पंजीकरण के लिए अथॉरिटी नियुक्त करेगी. अथॉरिटी का सचिव जनसम्पर्क विभाग के उस अधिकारी को बनाया जाएगा, जो अतिरिक्त संचालक से निम्न पद का न हो. इसमें दो मीडियाकर्मी भी होंगे, जिनकी वरिष्ठता कम से कम 10 वर्ष हो. इनमें से एक महिला मीडियाकर्मी भी होंगी, जो छत्तीसगढ़ में रह और कार्य कर रही हों. अथॉरिटी में शामिल होने वाले मीडियाकर्मियों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा. कोई भी मीडियाकर्मी लगातार 2 कार्यकाल से ज्यादा अथॉरिटी का हिस्सा नहीं रह सकता. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए समिति का गठन समिति द्वारा तैयार किए गए कानून के लागू होने के 30 दिन के भीतर छत्तीसगढ़ सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक समिति का गठन करेगी. यह समिति पत्रकारों की प्रताड़ना, धमकी या हिंसा या गलत तरीके से अभियोग लगाने और पत्रकारों को गिरफ्तार करने संबंधी शिकायतों को देखेगी.

कौन होगा समिति का सदस्य

कोई पुलिस अधिकारी, जो अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक से निम्न पद का न हो. जनसम्पर्क विभाग के विभाग प्रमुख और तीन पत्रकार, जिन्हें कम से कम 12 वर्षों का अनुभव हो. जिनमें कम से कम एक महिला सदस्य होंगी. इस समिति में भी नियुक्त किए गए पत्रकारों का कार्यकाल दो साल का ही होगा और कोई भी पत्रकार दो कार्यकाल से ज्यादा इस समिति का हिस्सा नहीं बन सकता है. यही नहीं पत्रकारों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए सरकार एक वेबसाइट का निर्माण भी कराएगी, जिसमें पत्रकारों से संबंधित प्रत्येक सूचना या शिकायत और उस संबंध में की गई कार्यवाही दर्ज की जाएगी. जो इस अधिनियम के आदेश के अधीन होगा. किन्तु सूचना अपलोड करते समय यदि उस व्यक्ति की सुरक्षा प्रभावित होती है तो शासन ऐसे समस्त उचित उपाय करेगा, जिसमें संबंधित व्यक्ति की गोपनीयता रखने और उसकी पहचान छुपाने के उपाय भी हो सकें.

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