डेस्क(khabargali)। इसराइली तकनीक पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मामले में मोदी सरकार पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.इस तकनीक के ज़रिए देश के भीतर कई हस्तियों के मोबाइल फ़ोन की टैपिंग की बात की जा रही है. इनमें प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गाँधी से लेकर बड़े पत्रकारों और जजों तक के भी नाम बताए जा रहे हैं.
हालांकि मोदी सरकार इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर रही है. गुरुवार को बीजेपी नेता और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि पेगासस स्पाइवेयर की कहानी मनगढ़ंत है.
मीनाक्षी लेखी ने इसे मनगढ़ंत साबित करने के लिए मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी का भी हवाला दिया. हालाँकि एमनेस्टी इंटरनेशनल आधिकारिक बयान जारी करके यह कह चुका था कि वह पेगासस प्रोजेक्ट की हर लिस्ट और पड़ताल के साथ मज़बूती से खड़ा है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों के साथ पेगासस प्रोजक्ट पड़ताल का हिस्सा है.
गुरुवार को एमेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान जारी कर कहा, ''पेगासस प्रोजेक्ट को लेकर सोशल मीडिया पर झूठे आरोप और कुछ मीडिया में ग़लत रिपोर्ट चलाई जा रही है.''
''हम बताना चाहते हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल पेगासस प्रोजेक्ट की पड़ताल के साथ पूरी मज़बूती के साथ खड़ा है. जो डेटा हमें मिला है वो एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर के संभावित निशाना थे. झूठी अफ़वाहें उड़ाकर दुनिया भर में पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को जिस तरह टार्गेट किया गया है उससे लोगों को भटकाने की कोशिश की जा रही है.''
दूसरी तरफ़ मीनाक्षी लेखी ने कहा था, ''पेगासस को लेकर जो कहानी चल रही है, वो फ़र्ज़ी है. ख़ुद एमनेस्टी ने इनकार किया है और कहा है कि जिस लिस्ट की बात की जा रही है, वो असली लिस्ट नहीं है, बल्कि सांकेतिक है.''
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