प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का छत्तीसगढ़ में किसान संगठनों ने जलाया पुतला; खेतों, घरों और पंचायत भवनों पर लगाया काला झंडा

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छत्तीसगढ़(khabargali) दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने और केंद्र में भाजपा की सरकार के 7 वर्ष पूरा होने पर किसानों ने काला दिवस मनाया। छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्से का इजहार किया। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ और घटक संगठनों ने जगह-जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मत्री नरेंद्र सिंह तोमर का पुतला जलाया। वहीं खेतों में मजदूरों ने सिर पर काला कपड़ा बांधा, घरों और पंचायत भवनों पर विरोध का काला झंडा लगाया गया।

इन इलाकों में प्रदर्शन की खबरें

छत्तीसगढ़ के रायपुर, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, दुर्ग, बेमेतरा, बालोद जिलों में कई जगह प्रदर्शन की खबरें हैं। किसानों ने गांवों में अपने घरों के बाहर या पंचायत भवनों के बाहर प्रदर्शन किया। पुतला फूंका और काले झंडे लगाए। कई जगह प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर केंद्र सरकार से तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदनलाल साहू ने कहा, संयुक्त किसान माेर्चा पिछले छह महीने से लगातार आंदोलन कर रहा है। केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने का कानून बनाया है। किसान उसका विरोध कर रहे हैं। हम उस कानून को वापस लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून मांग रहे हैं। जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी विरोध जारी रहेगा।

नवा रायपुर क्षेत्र के गांवों में भी विरोध प्रदर्शन देखा गया। रायपुर में भी किसान आंदोलन से सहानुभूति रखने वाले लोगों और संगठनों ने अपने घरों-कार्यालयों और गाड़ियों पर काला झंडा दिखाकर आंदोलन से एकजुटता दिखाने की कोशिश की।

छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने भी किया प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से संबद्ध 20 अन्य संगठनों ने प्रदेश के कोरबा, राजनांदगांव, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग, कोरिया, बालोद, रायगढ़, कांकेर, जांजगीर-चांपा, मरवाही, बिलासपुर, धमतरी, जशपुर, बलौदा बाजार व बस्तर में प्रदर्शन किया। पांच-पांच के समूह में प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार का पुतला फूंका। अपने घरों और गाड़ियों पर विरोध का काला झंडा लगाया। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने इन कानूनों के खिलाफ जो तीखा प्रतिवाद दर्ज किया है, उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार के पास इन जनविरोधी कानूनों को निरस्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।