साहित्य डेस्क @ ख़बरगली
- फिर मुझे बुलाओ ना पापा... भूली हुई यादों से फिर मुझे बुलाओ ना पापा.. यूं तो देकर सीख, बहुत मजबूत बनाया है आपने... दुस्वारियां जिन्दगी की, जो कभी डराये तो... मैं हूं ना अभी.. ना डरना कभी... ये एहसास फिर से कराओ ना पापा...
- चलना, चल के गिरना फिर संभलना... सिखाया है आपने जो फिर से लड़खड़ा जाऊं.... डगमगा जाऊं तो थामकर मुझे मुस्कराओ ना पापा...
- सब कहते हैं कि मैं लाड़ली हूं आपकी... जो बह जाये कभी आंसू तो हाथ बढ़ा कर उसे रोक लो ना पापा...
- जमाने की भीड़ में जो हो जाऊं तन्हा बहुत सर पर रख कर हाथ मेरे खुदा से बन जाओं लेकर अपनी पनाह में... सुकून दिलाओ ना पापा....
- भूली हुई यादों से, फिर मुझे बुलाओ ना पापा....
- ज्योति श्रीवास्तव नूर
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