Jyoti Srivastava Noor

साहित्य डेस्क @ ख़बरगली

  • फिर मुझे बुलाओ ना पापा... भूली हुई यादों से फिर मुझे बुलाओ ना पापा.. यूं तो देकर सीख, बहुत मजबूत बनाया है आपने... दुस्वारियां जिन्दगी की, जो कभी डराये तो... मैं हूं ना अभी.. ना डरना कभी... ये एहसास फिर से कराओ ना पापा...
  • चलना, चल के गिरना फिर संभलना... सिखाया है आपने जो फिर से लड़खड़ा जाऊं.... डगमगा जाऊं तो थामकर मुझे मुस्कराओ ना पापा...
  • सब कहते हैं कि मैं लाड़ली हूं आपकी...