कोरोना नियंत्रण अभियान के राज्य नोडल अधिकारी होने के नाते अंतिम समय तक काम पर लगे रहे
रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ की राजधानी से सुबह बेहद दुखी करने वाली खबर आई ..डॉ. सुभाष पांडेय का उपचार के दौरान एम्स में निधन हो गया है । वे राज्य के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और संयुक्त संचालक स्वास्थ्य होने के साथ विभाग के प्रवक्ता भी थे। कोरोना महामारी के आने के बाद उनकी योग्यता और अनुभव को देखते हुए उन्हें कोरोना सेल के मीडिया प्रभारी व कोरोना नियंत्रण अभियान के राज्य नोडल अधिकारी का भी दायित्व दिया गया था। वरिष्ठ फ्रंट लाइन वारियर की मौत से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है | डॉ. सुभाष पांडेय बेहद मिलनसार और सहयोगी भाव के थे ।आप को बता दे कि कोरोना से जुड़े आंकड़े को मीडिया के समक्ष रखने की जिम्मेदारी डॉ. पांडेय के पास ही थी। इस कोरोना काल में नियमित रूप से रात को वह कोरोना बुलेटिन जारी कर पत्रकारों को अपडेट किया करते थे। पत्रकार साथियों से हमेशा से उनके अच्छे संबंध रहे। न सिर्फ खबरें बल्कि पत्रकारों के स्वास्थ्य से जुड़े मसलों पर भी डॉ. पांडे मददगार साबित होते रहे थे।
दूसरी बार कोरोना से संक्रमित हुए थे डॉ पांडेय
कोरोना वैक्सीन की दो डोज भी ले चुके थे| बताया जा रहा है कि वह दूसरी बार कोरोना से संक्रमित हुए थे लेकिन अपने काम को लेकर वे इतने कर्तव्यनिष्ठ थे कि उन्होंने अपनी चिंता न कर फ्रंट लाइन वारियर की मुख्य भूमिका निभाते रहे। डॉ सुभाष पांडे अगले माह रिटायर होने वाले थे।
एडमिट रहते भी फ़ोन से लोगों की समस्या का निदान करते रहे
बता दें कि डॉक्टर सुभाष पांडेय जिंदाजिली के मिसाल थे और अपने छोटे- बड़े सहयोगियों में बेहद लोकप्रिय थे। ड्यूटी के दौरान ही बीते शुक्रवार को उन्हें फीवर हुआ था, जिसके बाद शनिवार और रविवार को उनका घर पर इलाज चला । दो दिन बाद सोमवार को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था । कल देर शाम उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया था । चिकित्सकों की अथक कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका । डॉ सुभाष पांडेय हमेशा से ही सहयोगी स्वभाव के रहे, कोरोनाकाल में वे हर किसी की जितनी भी हो सकती है मदद करने में तत्पर रहे। कोविड के वक्त लगातार सबकी मदद कर रहे थे। वे एडमिट रहते भी फ़ोन मे बात कर लोगों की समस्या का निदान कर रहे थे।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे सुभाष
नयापारा रायपुर निवासी 62 वर्षीय डॉ. सुभाष पांडे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. जयनारायण पांडे के सुपुत्र थे। डॉ. पांडे चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े रहे लेकिन उनकी पत्रकारिता एवं सिनेमा में गहरी रुचि थी। 90 के दशक में लगातार दैनिक नवभारत समेत अन्य समाचार पत्रों में उनके लेख छपा करते थे। उनका प्रदेश के सबसे पुराने अखबार नवभारत में " बच्चों बूझो तो जानें " नामक प्रसिद्ध कॉलम लंबे समय चला था, जिसमें सुभाष जी कुछ प्रश्न पूछते थे जिसके जवाब में बोरे भर- भर की चिट्टियां डाक के माध्यम से आती थीं। सिनेमा पर उनका वृहद ज्ञान था। वह फ़िल्म अभिनेता देवानंद से बेहद प्रभावित थे। डॉ. पांडे अपने पीछे पत्नी, पुत्र यथार्थ एवं पुत्री यशस्वी को छोड़ गए हैं।
परिवार और विभाग में मातम पसरा
डॉक्टर पांडे के निधन से परिवार एवं विभाग में मातम पसर गया उनके निधन से लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है। आईएमए सदस्य एवं हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि डॉ पांडेय अपने व्यवहार और काम से हमेंशा जिंदा रहेंगे, ये विभाग और लोगों के लिए बहुत बड़ी छति है, हमने एक और बड़ा फ्रंड लाईन वर्कर खो दिया है। वहीं साथ में काम करने वाले सहकर्मियों ने दुख जताते हुए कहा कि डॉ सुभाष पांडेय सबके हित के लिए लड़ने वाले थे। वे अच्छे काम करने वाले कर्मचारियों को मौका देने में नहीं चुकते थे। जिंदा दिली इतना की बया नहीं कर सकते हैं।
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