
विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने शहर के प्रबुद्ध साहित्यकारों के बीच पुस्तक का विमोचन किया, किताब की समीक्षा कवि लेखक मुकेश गुप्ता ने की
रायपुर (खबरगली) बच्चों के मन को हौले से छूने और टटोलने की कोशिश करती कवियत्री सुषमा बग्गा ने अपने बचपन को जीवंत बनाते हुए सरल, सहज, सारगर्भित भाषा शैली का प्रयोग करते हुए बच्चों के लिये एक उत्तम कृति प्रस्तुत की है. "बाल - मन "प्रदेश के तीन बार के मुखिया व वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने और शहर के प्रबुद्ध साहित्यकारों के मध्य स्पीकर हाउस मे बाल मन का विमोचन किया किताब की समीक्षा कवि लेखक मुकेश गुप्ता ने की.

शिक्षा जगत से जुड़े होने की वजह से सुषमा का प्रयास इन अर्थो मे भी तारीफे काबिल है कि उन्होंने अपनी हर कविता मे बच्चों के मन को निकट से स्पर्श करने की कोशिश की है. तितली, फूल, दादा दादी, नानी, छुट्टियां, पहाड़ा इत्यादि बच्चों को खूब लुभाते हैं. "उड़ती उड़ती तितली रानी फूलों पे आ मंडराती है प्यारी प्यारी तितली रानी मधुर राग सुनाती है" मे शब्दों का संयोजन अद्भुत और बच्चों के मनोनुकूल है. वही "मेरे प्यारे दादाजी पापा जी के पापाजी मुझको रोज घुमाते हैं साईकल पर बैठाते हैं" ऐसा कहते हुए उन्होंने ना केवल बचपन की वे सारी यादें ताज़ा कर दीं जो हम सब के जीवन से जुड़ी हैं वरन दादा पोते के मधुर रिश्ते को एक धागे मे पिरो दिया. "दादी नानी, दादी नानी" हमें सुनाओ कोई कहानी जिसमे हो राजा रानी जो ना करता हो अपनी मनमानी" दादी नानी के किस्सा गोई को जीवंत किया और सन्देश भी दे दिया.
बच्चों मे संस्कार विकसित करने की मंशा से उन्होंने अपने काव्य संग्रह मे श्रीराम को भी शामिल किया. "वह जय श्री राम है वह राम है, राम है इंसान मे बसा भगवान है मर्यादा की पहचान है" इन पंक्तियों के साथ पूरा सभागृह तालियों से गूंज उठा,, और गूंजे भी क्यों ना,, मर्यादा पुरुषोत्तम राम को बचपन से ही आदत मे शामिल करने की बात जो सुषमा ने लिखी है वह अनुकरणीय है.
स्कूल मे छुट्टी की घंटी बजते ही बस्ता लेकर भागने का जो आनन्द था वो आज भी कायम है "छुट्टी हो गई, छुट्टी हो गई पढ़ाई से अपनी कुट्टी हो गई" मे बचपन की मस्ती की अनोखी झलक है. वहीं" काम करो, काम करो सुबह करो, शाम करो" ये कामचोर बच्चों के लिये सन्देश की तरह भी है गांव, जामुन, वर्षा, कागज की नाव, मोर ये सभी बाल मन मे गहरी पैठ बनाते हैं... आसानी से बच्चे पढ़े, गुने और ग्रीष्म अवकाश मे केवल खेल, टीवी और मोबाइल मे ना लगे रहकर इस तरह की सचित्र किताबों से जुड़ें, इस सन्देश के साथ सुषमा बग्गा सचमुच अपनी पहली ही कृति मे पूरी कामयाबी के साथ ऊपर उठने का प्रयास करती दिखती हैं...

बाल मन की रचनाओ का पाठ कवि मुकेश गुप्ता ने किया डॉ रमन सिंह मंद मंद मुस्कान बिखेरते बड़े ध्यान और गंभीरता के साथ सुन रहे थे सम्भवत उनका बाल मन भी जिम्मेदारियों से आगे बढ़ कर बचपन मे कहीं खो गया था.. सुषमा बग्गा ने वेंकटेश साहित्य मंच, साहित्य सागर मंच को मंच प्रदान करने के लिये आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर संचालक संजय शर्मा , रविन्द्र दत्ता , वीणा सिंह रागी, रुणाली चक्रवर्ती, डॉ भारती अग्रवाल स्मिता समेत स्कूल के प्रिंसपल व टीचर्स मौजूद थे, कार्यक्रम के अंत मे मुकेश गुप्ता ने रमन राज कविता का पाठ किया.
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