20 की उम्र में संघ के प्रांत प्रचारक बनने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनने तक " तीरथ" का ऐसा रहा सफर
नई दिल्ली (khabargali) उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत ने बुधवार शाम चार बजे शपथ ग्रहण कर ली. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में उन्हें शपथ दिलाई. उत्तराखंड की पौड़ी-गढ़वाल संसदीय सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है. बीजेपी के कई बड़े नेताओं के नाम सीएम रेस में चल रहे थे, लेकिन संघ की पृष्ठभूमि के साथ-साथ जातीय व क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने तीरथ सिंह पर सीएम बनाने का फैसला किया है. जमीनी नेता के तौर पर जाने जाते हैं और संगठन और सरकार दोनों में उनका अनुभव है. यही चीज उनके सीएम बनने के पक्ष में गई है. हालांकि, अब उनके ऊपर अगले साल होने वाले उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने की बड़ी चुनौती होगी.
आइए आपको गढ़वाल विवि बिड़ला परिसर श्रीनगर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनने तक तीरथ सिंह रावत के सफर की जानकारी दें.
20 साल की उम्र में संघ के प्रांत प्रचारक बने
तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल 1964 को हुआ. उनके पिता का नाम कलम सिंह रावत और मां का नाम गौरी देवी है. तीरथ अपने भाइयों में सबसे छोटे हैं. अपने छात्र जीवन में ही वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़ गए थे. महज 20 साल की उम्र में साल 1983 में वो संघ के प्रांत प्रचारक बन गए थे और 1988 तक इस पद पर रहे. वह रामजन्मभूमि आंदोलन में भी दो माह तक जेल में रहे. इतना ही नहीं तीरथ ने उत्तराखंड राज्य के लिए हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी.
छात्र जीवन में ही सियासत में कदम बढ़े
तीरथ सिंह रावत ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक किया और फिर समाज शास्त्र में एमए करने के बाद पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल किया. गढ़वाल विश्वविद्यालय के बिड़ला परिसर श्रीनगर में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने छात्र राजनीति शुरू की. साल 1992 में वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से गढ़वाल विवि बिड़ला परिसर श्रीनगर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और जीत दर्ज की थी. इसी के बाद उन्हें एबीवीपी के प्रदेश संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई और बाद में वह प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने.
साल 1997 में एमएलसी फिर 2000 में मंत्री
साल 1997 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए. इसके बाद पृथक राज्य उत्तराखंड का गठन होने पर वर्ष 2000 में राज्य की अंतरिम सरकार में तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के पहले शिक्षा मंत्री बने. साल 2007 में बीजेपी प्रदेश महामंत्री, प्रदेश सदस्यता प्रमुख, आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष चुने गए. साल 2012 में विधानसभा बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता हार गए थे, लेकिन तीरथ सिंह रावत चौबट्टाखाल से विधायकी जीतने में कामयाब रहे.
2013 में प्रदेश अध्यक्ष, 2017 में राष्ट्रीय सचिव
साल 2013 में तीरथ सिंह रावत जब दूसरी बार विधायक चुने गए तब उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था और 2015 तक वह इस पद पर रहे. उन्हें 2017 में भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था. इसके अलावा, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाली थी, जहां की चारों लोकसभा सीटें जिताकर तीरथ ने पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से उतारा और वे जीतकर संसद पहुंचे और आज मुख्यमंत्री का ताज उनके सिर सज रहा है.
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