भोजशाला के ASI सर्वे में मिले हिंदू प्रतीक चिन्ह

Hindu symbols found in ASI survey of Bhojshala in Dhar, Muslim side denied, now Jamiat Ulema's claim came forward. ASI survey continues in Bhojshala for the 12th day, Maulana Kamaluddin Chishni, Khabargali

मुस्लिम पक्ष ने नकारा.. अब जमीयत उलेमा का दावा आया सामने

भोजशाला में 12वें दिन ASI का सर्वे जारी

धार (khabargali) मध्य प्रदेश के धार के भोजशाला मसले से जुड़े एक हिंदू पक्षकार ने मंगलवार को चौंकाने वाला दावा किया है। पक्षकार ने कहा है कि भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में चल रहे सर्वेक्षण के दौरान हिंदुओं के धार्मिक प्रतीक चिह्नों और वस्तुओं वाला तहखाना मिला है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया कि यह दावा ‘भ्रामक’ है। बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर ASI ने भोजशाला के विवादित परिसर में 22 मार्च से सर्वेक्षण शुरू किया था। यह आदेश भोजशाला मसले में अदालत में याचिका दायर करने वाले एक हिंदू संगठन के आवेदन पर दिया गया था।

 ‘जो चीजें नहीं दिखाई देती थीं, वे अब सामने आ रही हैं’

सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला के मध्ययुगीन परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया। इस परिसर पर हिंदू और मुस्लिम, दोनों पक्ष अपना दावा करते हैं। शीर्ष अदालत ने यह ताकीद भी की कि सर्वेक्षण की इस कवायद के नतीजे को लेकर उसकी अनुमति के बिना कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। हिंदू समुदाय के पक्षकार कुलदीप तिवारी ने धार में कहा कि भोजशाला परिसर में जो चीजें पहले दिखाई नहीं देती थीं, वे अब सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस परिसर में देवी सरस्वती के मंदिर के गर्भगृह के दाहिनी ओर एक तहखाना पाया गया है।

‘खुदाई रोके जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खुश’

 तिवारी के मुताबिक, माना जाता है कि कुछ खंडित प्रतिमाएं इस तहखाने में रखी हैं जो सर्वेक्षण के दौरान मिलेंगी। तिवारी ने दावा किया कि तहखाने में संस्कृत शिलालेख के साथ ही ‘अष्टवक्र कमल’, ‘शंख’ और ‘हवन कुंड’ के अलावा भगवान हनुमान की प्रतिमा सरीखी धार्मिक वस्तुएं और प्रतीक चिह्न पाए गए हैं जिनसे संकेत मिलता है कि भोजशाला, हिंदुओं का एक मंदिर है। कमाल मौला वेलफेयर सोसाइटी से जुड़े अब्दुल समद ने कहा कि मुस्लिम पक्ष भोजशाला परिसर में जारी सर्वेक्षण के दौरान खुदाई रोके जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खुश है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदू पक्षकार मीडिया के माध्यम से भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं।

मंगलवार को हिंदू करते हैं पूजा, शुक्रवार को होती है नमाज

 धार भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय 11वीं सदी के इस परिसर को कमाल मौला मस्जिद बताता है। भोजशाला परिसर ASI द्वारा संरक्षित है। भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद ASI ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार अब तक चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।

बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग भोजशाला पहुंचे

 अलग-अलग स्थान पर हो रहे इस खोदाई कार्य के प्रति लोगों में काफी उत्सुकता है। सब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर में खोदाई के तहत क्या मिल रहा है और उससे आगे क्या होगा। इस तरह की उत्सुकता के चलते मंगलवार को बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग भोजशाला पहुंचे। हालांकि वहां पर कोई भी ऐसी बात देखने को नहीं मिलती है जिससे कि लोगों की उत्सुकता शांत हो।इसकी एक बड़ी वजह है कि जहां-जहां भी यह खोदाई हो रही है वहां पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने उसे ढक दिया है। बड़े टेंट के माध्यम से वहां पर उसे गोपनीय बनाए रखा है। कोर्ट के आदेश के चलते बहुत ही गोपनीयता के साथ यह सर्वे किया जा रहा है। किसी तरह की जानकारी बाहर नहीं आने दी जा रही है। इस तरह से सर्वे कार्य का 12 दिन भी महत्वपूर्ण रहा। जब सत्याग्रह चल रहा था तब सर्वे टीम बाहरी क्षेत्र में काम कर रही थी। आगामी दिनों में भी सर्वे कार्य जारी रहेगा।

सत्याग्रह में बढ़ रही संख्या हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया

इधर सत्याग्रह में हिंदू समाज के लोगों की उपस्थिति बढ़ती जा रही है। आमतौर पर कम संख्या में लोग यहां आ रहे थे। लेकिन भोजशाला पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। ऐसे में स्थानीय लोगों में भी उत्सुकता बड़ी है। परिणाम स्वरुप यह सभी लोग भोजशाला पहुंच रहे हैं। मंगलवार को हुए सत्याग्रह में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया। साथ ही अन्य वंदना की गई। सभी लोगों में उत्साह है। खासकर महिलाएं उत्साहित है। भजन कीर्तन करके बाहर निकली हैं। इन महिलाओं का कहना है कि हमें पूरा विश्वास है कि यहां पर मां सरस्वती एक बार फिर विराजमान होगी। लंदन ले जाई गई प्रतिमा को वापस लाया जाएगा। यहां पर एक बार फिर पुराना गौरव प्राप्त होगा। इधर गौशाला में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। बाहरी क्षेत्र में ही मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सभी की विशेष रूप से जांच की जा रही है। ताकि कोई भी व्यक्ति अपने साथ मोबाइल लेकर अंदर प्रवेश नहीं कर सके।

अब जमीयत उलेमा का दावा आया

धार के भोजशाला को लेकर अब जमीयत उलेमा का दावा आया है. जिसमें कहा गया है कि यहां शुरु से ही कमाल मौला मस्जिद ही थी। इसे किसी मंदिर या शाला को तोड़कर नहीं बनाया गया। दावा ये भी है कि इतिहास की कई किताबों में इसके पुख्ता प्रमाण भी मौजूद हैं। जमीयत उलेमा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हाजी हारुन ने ये बयान दिया है और कहा है कि 'कुछ सालों से मस्जिद कमाल मौला को भोजशाला और वागदेवी माता का मंदिर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह के मुद्दे उठाकर प्रदेश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है।हारुन क कहना है कि धार के राजपत्र में भी मंदिर के दावे का खंडन है।' कमाल मौला मस्जिद शुरू से ही एक मस्जिद थी, यह कभी किसी मंदिर या शाला को तोड़ कर या उसमें संशोधित कर के नहीं बनाई गई है। उनका कहना है कि 1935 के धार सरकार के राजपत्र में भी एक व्याख्यात्मक पत्र भी इस बात की तस्दीक करता है। उन्होंने बताया कि अपर ब्रिटिश हाई कमीशन दिल्ली का वजाहती पत्र भी मंदिर के दावे का खंडन करते हुए कहता है कि जिस मूर्ति को सरस्वती या वाग देवी की मूर्ति कहा जा रहा है। असल में वह जैन धर्म की अम्बिका देवी की मूर्ति है। इस बात के भी पुख्ता सुबूत हैं कि मूर्ति अंग्रेज शासन को मस्जिद से नहीं, बल्कि वहां से कई किलोमीटर दूर एक खेत से मिली थी. जो इस वक्त इंग्लैंड के ब्रिटिश म्यूजियम में मौजूद है।'

मौलाना कमालउद्दीन चिश्नी ने की मस्जिद की स्थापना

 हाजी हारुन का कहना है कि 'ऐतिहासिक दस्तावेजों और साक्ष्यों के अनुसार, मस्जिद की स्थापना 1305-1307 में खिलजी शासन के दौरान मौलाना कमालुद्दीन चिश्ती ने की थी। स्थापना के बाद 1307 ई से ही इसमें पांच वक्त की नमाज 1952 तक लगातार जारी रही। 1952 में तत्कालीन शिक्षा सचिव ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मनमाने ढंग से और अवैध रूप से वहां मुसलमानों को केवल शुक्रवार की नमाज तक ही सीमित करने को लिखा। हालांकि यह सचिव के अधिकार से परे का मामला था और कुछ महीने पहले निदेशक एएसआई ने अक्टूबर 1951 में यह स्पष्ट कर दिया था कि यहां मुसलमान पांच दैनिक प्रार्थनाओं के अतिरिक्त भी किसी भी समय और किसी भी दिन प्रार्थना कर सकते हैं।