छत्तीसगढ़ के इन चार बच्चों को मिलेगा "वीरता सम्मान"

These four children of Chhattisgarh will get "Veerta Samman". This award is given by Chhattisgarh Civil Society on the bravery of four Sahibzaads of the tenth Sikh Guru Guru Gobind Singh. Kanti Singh, Anshika Sahu, Om Upadhyay, Arnav Singh, Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी द्वारा सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की वीरता पर दिया जाता है यह सम्मान

 जानें इन बच्चों की वीरता की कहानी

रायपुर (खबरगली) आज देशभर में वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की वीरता को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी द्वारा पिछले 2 वर्ष की तरह इस बार भी प्रदेश के चार बच्चों का "वीरता सम्मान" के लिए चयन किया गया है। यह सम्मान समारोह  आज होना था किंतु अपरिहार्य परिस्थितियोंवश इसे स्थगित करना पड़ा। सोसायटी के संयोजक डॉ कुलदीप सोलंकी ने बताया कि अब यह समारोह अगले सप्ताह होगा ।

इन वीर बच्चों का होगा सम्मान

कु. कांति सिंह

These four children of Chhattisgarh will get "Veerta Samman". This award is given by Chhattisgarh Civil Society on the bravery of four Sahibzaads of the tenth Sikh Guru Guru Gobind Singh. Kanti Singh, Anshika Sahu, Om Upadhyay, Arnav Singh, Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

इस साहसी बालिका के घर पर कुछ आक्रामक हाथियों के झुंड ने हमला कर दिया था जिनसे बचने की कश्मकश में इनकी 3 वर्षीय छोटी बहन घर में ही छूट गयी। इन्होंने अपने जीवन की चिंता ना करते हुए अपने घर के अंदर से छोटी बहन की हाथियों के उपद्रवी झुंड से रक्षा करते हुए बाहर लेकर आयी। इन्हें साहिबज़ादा फतेह सिंग वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

कु. अंशिका साहू

These four children of Chhattisgarh will get "Veerta Samman". This award is given by Chhattisgarh Civil Society on the bravery of four Sahibzaads of the tenth Sikh Guru Guru Gobind Singh. Kanti Singh, Anshika Sahu, Om Upadhyay, Arnav Singh, Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

इस साहसी बालिका की बड़ी बहन खेलते हुए अचानक बिजली के तार की चपेट में आ गयी। इन्होंने सूझ बूझ से पहने हुए प्लास्टिक के चप्पल उठाई और ज़ोर ज़ोर से बहन के हाथों को मारने लगी जिससे इनकी बहन तार से छूट गयी। इन्हें साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंग वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है ।

चि. ओम् उपाध्याय

These four children of Chhattisgarh will get "Veerta Samman". This award is given by Chhattisgarh Civil Society on the bravery of four Sahibzaads of the tenth Sikh Guru Guru Gobind Singh. Kanti Singh, Anshika Sahu, Om Upadhyay, Arnav Singh, Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

इस साहसी बालक ने अपने घर के पास में खेलते हुए छोटे बच्चों की ओर बढ़ते हुए कुछ आक्रामक कुत्तों को देखा और बच्चों को बचाने के लिए एक आक्रामक कुत्ते को उठाकर गली से दूर छोड़ा। इस दौरान उस कुत्ते ने इनको हाथ में काट भी लिया पर फिर भी बिना रुके वो कुत्ते को गली से दूर छोड़कर ही आए। इन्हें साहिबज़ादा जुझार सिंग वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है ।

चि. अरनव सिंह

These four children of Chhattisgarh will get "Veerta Samman". This award is given by Chhattisgarh Civil Society on the bravery of four Sahibzaads of the tenth Sikh Guru Guru Gobind Singh. Kanti Singh, Anshika Sahu, Om Upadhyay, Arnav Singh, Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

अरनव अपने परिवार के साथ अम्बिकापुर जा रहे थे। रात्रि 12:20 बजे रास्ते में इन्हें सादबहार बैरीअर के पास एक डम्पिंग यार्ड में भीषण आग दिखाई दी। इन्होंने तुरंत 112 पर कॉल कर के जानकारी दी एवं पास में ही स्थित मोटर गराज में सोते हुए तीन व्यक्तियों एवं चौकीदार को उठाया और उनकी जान बचायी। इनकी सूझबूझ से जल्दी ही आग पर क़ाबू पा लिया गया। इन्हें साहिबज़ादा अजीत सिंग वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने की थी वीर बाल दिवस की घोषणा

ये बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 को प्रकाश पर्व के अवसर पर घोषणा की थी कि सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह के चारों बेटों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस साल से 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी ने की थी पहल 

यहां उल्लेखनीय है कि इस हेतु छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी विगत 10 वर्षों से प्रयासरत थी । इसी कड़ी में उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया था संयोजक डॉ. कुलदीप सोलंकी ने पत्र में लिखा था कि ऐसे अदम्य साहस एवं वीरता का दूसरा प्रमाण मानव सभ्यता में नहीं है। अतः आपसे निवेदन है की हम अपनी 300 से भी अधिक वर्षों की गलती को सुधारें एवं 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का आदेश जारी करें। उल्लेखनीय है कि डॉ कुलदीप सोलंकी द्वारा वीर बाल दिवस की घोषणा के लिये चलाये गए हैश ट्रेग #वीरबालदिवस ने विश्व के टॉप 10 में दूसरा स्थान बनाया था । छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी की पहल रंग लाई। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाने लगा।

जानें चार साहिबजादों की वीर गाथा 

​    ​​    ​These four children of Chhattisgarh will get "Veerta Samman". This award is given by Chhattisgarh Civil Society on the bravery of four Sahibzaads of the tenth Sikh Guru Guru Gobind Singh. Kanti Singh, Anshika Sahu, Om Upadhyay, Arnav Singh, Dr. Kuldeep Solanki, Raipur, Khabargali

दसवें गुरु श्री गुरुगोविंद जी के 4 पुत्र थे, जिन्हें सम्मान से साहिबज़ादे पुकारा जाता है। लगभग 316 साल पहले सन 1704 में इन चार साहिबजादो ने धर्म एवं देश की रक्षा हेतु अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। 1 . अजीत सिंग उम्र 17 साल, 2. जुझार सिंग उम्र 13 साल, 3. जोरावर सिंग उम्र 9 साल, 4. सबसे छोटे फतेह सिंग- 5 साल श्री अजीतसिंग एवं जुझारसिंग चमकौर के युद्ध में वजीर खान की सेना से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। (चमकौर का युद्ध भी मानव इतिहास में बिरला उदाहरण है - जिसमें 40 सिंगो ने 20000 मुगलों की सेना को टक्कर दी थी) जबकि छोटे साहिबजादे जोरावर सिंग(9 वर्ष) एवं फतेह सिंग (5 वर्ष)को जिहादी वजीर खान ने 26 दिसंबर सन 1704 को जिंदा दीवार में चुनवा दिया था।

औरंगजेब के पिट्ठू वजीर खान ने दोनों बच्चो जोरावर एवं फतेहसिंग को अनेक प्रलोभन दिए, यातनाएं दी तथा धमकाया कि वे मुसलमान बन जाए अन्यथा मार दिए जाएंगे। दोनों बच्चों ने अत्यधिक बहादुरी का परिचय दिया। 25 दिसंबर 1704 को वजीर खान ने अपने दरबार में उनसे पूछा कि अगर उन्हें छोड़ दिया जाए तो वे क्या करेंगे ? छोटे साहिबजादे फतेहसिंग ने जो जवाब दिया वह अद्वितीय है। केवल 5 वर्ष का बालक बोला- फत्तै सिंग के जत्थे सिंग अर्थात आजाद होने के बाद मैं जंगल में जाऊंगा, घोड़े इकट्ठे करूंगा, अपनी सेना बनाऊंगा और तुम जैसे अत्याचारियो के खिलाफ युद्ध करूंगा। वजीर खान जैसे दुराचारी दुष्ट के दरबार में 5 साल के बालक द्वारा ऐसी हुंकार भरना अद्भुत, अद्वितीय वीरता का प्रतीक है । वजीर खान ने काजी से सांठगांठ करके दोनों बच्चों को जिंदा दीवार में चुनवाने का फतवा जारी करवा दिया। अंततः 26 दिसंबर सन 1704 को, स्थान- पंजाब में वर्तमान फतेहसिंग साहिब गुरुद्वारा; समय: प्रातः काल , दोनों साहिबजादे जोरावरसिंग और फतेह सिंग निर्भीक होकर खड़े हो गए और दो जल्लाद उनके चारों तरफ दीवार चुनने लगे। दोनों साहिबजादे ना डरे, ना घबराए, अचल खड़े रहे और निरंतर पाठ करते रहे।

शाम होते - होते दीवार ऊंची हो गई; ऊपर से भी बंद हो गई और दोनों साहिबज़ादे बेहोश हो गये। किंतु नीच वजीर खान ने दीवार तुड़वाई और जब देखा कि बच्चों में जान बची है तो उसने दोनों बच्चों की गर्दन काट दी। 5 साल और 9 साल के बच्चे मौत के मुंह में पहुंचकर भी विचलित नहीं हुए, ना रोयें, ना डरे, ना धर्म परिवर्तन किया। इससे अद्भुत वीरता और अदम्य साहस की मिसाल और क्या हो सकती है। दोनों साहिबजादों ने अदम्य साहस वीरता और बहादुरी का परिचय देते हुए अत्याचार का सामना किया, अपने अंतिम समय तक यह आह्वान करते रहे कि -

देह सिवा वर मोहि इहै , सुभ कर्मन ते कबहुँ ना टरों। ना डरो असि सो जब जाइ लरो, निसचै करि अपुनी जीत करों।

Category