कहानी इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति की

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जानिए 50 सालों से कैसे जल रही थी लौ

नई दिल्ली (khabargali) देश की राजधानी में इंडिया गेट पर पिछले 50 सालों से लगातार जल रही अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित अमर जवान ज्योति में आज विलय कर दिया गया है। अमर जवान ज्योति की स्थापना 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की स्मृति में की थी। अमर जवान ज्योति के स्थानांतरण को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर एक बार फिर से इस पर बहस छिड़ गई है। 21 जनवरी को दोपहर बाद 3.54 बजे चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण ने ‘अमर जवान ज्योति’ को ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ में जल रही ज्योति में विलीन किया. पहले यह काम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को करना था। लेकिन बीते दिनों एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) का निधन होने के बाद से यह पद अब तक खाली है। इसलिए उनके डिप्टी सीआईडीएस (CIDS) एयर मार्शल बीआर कृष्ण ने जिम्मेदारी निभाई।

अमर जवान ज्योति का इतिहास

1. 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई शुरू हुई। 13 दिनों तक ये संघर्ष चलता रहा। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को कब्जे में लिया और बांग्लादेश के 7.5 करोड़ लोगों को आजादी दिलाई। इस युद्ध में भारत के 3,843 जवान शहीद हुए।

2. उन शहीदों की याद में उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति जलाने का फैसला किया। 26 जनवरी 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया गया।

3. अमर जवान ज्योति में एक संगमरमर का चबूतरा है, यह चबूतरा 4.5 मीटर चौड़ा और 1.29 मीटर ऊंचा है। इस चबूतरे पर काले रंग का एक स्मारक बना है। इस स्मारक के चारों तरफ सुनहरे शब्दों में 'अमर जवान' लिखा है।

4. अमर जवान ज्योति के संगमरमर के चबूतरे के चारों कोनों पर चार कलश हैं जिनमें से एक की लौ हमेशा जलती रहती है। जिनमें से एक लौ पिछले 50 वर्षों से लगातार जल रही है । अपने उद्घाटन के बाद से ही अमर जवान ज्योति की ये लौ पिछले 50 सालों से लगातार जल रही है। इसकी बाकी तीनों लौ को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर जलाया जाता है। यानी 26 जनवरी और 15 अगस्त को अमर जवान ज्योति की चारों लौ जलाई जाती हैं।

5. अमर जवान ज्योति की हर लौ को जलाने के लिए एक अलग गैस का बर्नर लगाया गया है। 1972 से 2006 तक अमर जवान की ज्योति को जलाने के लिए लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) का यूज होता था। 2006 तक एक गैस का सिलिंडर करीब 36 घंटे चलता था। तब सिलिंडर को स्मारक की छत पर रखा जाता था। 2006 के बाद अमर जवान ज्योति की गैस को जलाने के लिए कंप्रेस्ड नैचुलर गैस (CNG) का उपयोग होने लगा। इसके लिए 2005 में कस्तूरबा गांधी मार्ग से इंडिया गेट तक करीब आधा किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड गैस पाइपलाइन बिछाई गई है।

6. अब इस गैस की सप्लाई इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) करती है। CNG के LPG से सस्ता और सुरक्षित होने की वजह से ही अब इसका इस्तेमाल किया जाता है। अमर जवान ज्योति की लौ को जलाए रखने के लिए 2005 में कस्तूरबा गांधी मार्ग से इंडिया गेट तक आधी किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन बिछाई गई।

7. अमर जवान ज्योति पर 24 घंटे थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान तैनात रहते हैं। यहां तीनों सेनाओं के झंडे भी लहराते रहते हैं।

8. अमर जवान ज्योति हमेशा जलती रहे, यह देखने के लिए एक व्यक्ति ज्योति के मेहराब के नीचे बने एक कमरे में हमेशा रहता है। अमर जवान ज्योति की निगरानी 24 घंटे तीनों सेनाओं के जवान करते हैं और लौ हमेशा जलती रहे इसके लिए एक व्यक्ति हमेशा ड्यूटी पर सजग रहता है ।

9. 1972 में इसके उद्घाटन के बाद से 2020 तक 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और थल, जल और वायु सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते थे।

10. 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद 2020 से ही गणतंत्र दिवस के अवसर अमर जवान ज्योति की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि देने की प्रथा शुरू हो गई है।

जानें नेशनल वॉर मेमोरियल को

1.अब ये ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल में जलाई जाएगी। नेशनल वॉर मेमोरियल को स्वतंत्र भारत में देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों की याद में 2019 में नई दिल्ली में ही इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर ही बना है। यहां भी ज्योति जल रही है। ये मेमोरियल 40 एकड़ में बना है।जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं। ये जनवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था।

2. नेशनल वॉर मेमोरियल में चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के अलावा 1961 में हुए गोवा युद्ध और श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पावन और भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में चलाए गए विभिन्न ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।

3. नेशनल वॉर मेमोरियल में चार चक्र हैं। अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और सुरक्षा चक्र। इसमें 25,942 जवानों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए युद्ध और संघर्षों में अपनी जान दी।

अब इंडिया गेट पर लगेगी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा

इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति के नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय के बीच शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इंडिया गेट पर इससे पहले 60 के दशक में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी। अब इस प्रतिमा को वहां से हटाकर कोरोनेशन पार्क भेज दिया जाएगा। जब तक नेताजी की मूर्ति बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक वहां नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा मौजूद रहेगी।

इंडिया गेट को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को रखी गई थी. ये 10 साल में बनकर तैयार हुआ था। 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन ने इंडिया गेट का उद्घाटन किया था।