ओलिम्पिक से मीराबाई चानू ने गाँव लौटते ही लगभग 150 ट्रकों के ड्राइवरों एवं उनके सहायकों को ढूँढ़ निकाला..फिर क्या हुआ जानिए
इम्फाल (khabargali) देश की खिलाड़ी बिटिया मीराबाई चानू ने केवल टोकियो ओलिम्पिक में रजत पदक विजेता ही नही है अपितु इन्होंने नम्रता तथा कृतज्ञता में "स्वर्णपदक" भी जीता है । एक ओर यह भी दृश्य था कि मीराबाई के इम्फाल पहुँचते ही मणिपुर के मुख्यमन्त्री ने स्वयं मीराबाई को नवनियुक्त "अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक" की कुर्सी पर सम्मानपूर्वक बिठाया, तो दूसरी तरफ वही ओलिम्पिक विजेता मीराबाई चानू , बालू ढोने वाले ट्रक चालकों को पैर छू कर प्रणाम कर रही थी । दरअसल टोकियो से लौटकर अपने गाँव पहुँचते ही मीराबाई ने गाँव के आस-पास से राज्य की राजधानी इम्फाल तक नदी की बालू ढोने वाले ट्रकों के ड्राइवरों एवं उनके सहायकों को ढूँढ़ निकाला, इसकी वजह आपको आगे पढ़ने मिलेगी।
छ: वर्षों का साथ था
इनसे मीराबाई का गाँव "नांगपॉक काकचिंग" इम्फाल में स्थित "खुमान लाम्पाक" क्रीडा संकुल से लगभग 30 किमी दूर है और भारोत्तोलन के प्रशिक्षण के लिये प्रतिदिन इतनी दूर बस से जाने का खर्च करना मीराबाई के परिवार के लिये सम्भव नहीं था । तब उसने उस मार्ग पर प्रतिदिन बालू ढुलाई करनेवाले ट्रक चालकों से परिचय बढाया, ग्रामीण भारतीयों में रचा-बसा अपनत्व, स्नेह व सहयोग का भाव ऐसा कि उस मार्ग पर चलने वाला जो कोई ट्रक मीराबाई के आने-जाने के समय उपलब्ध होता था, वह मीराबाई को इम्फाल तक जाने-आने की लिफ्ट दे देता, और यह क्रम लगातार लगभग छ: वर्षों तक चला ।
लगभग 150 ड्राइवरों तथा उनके सहायकों का सम्मान कर आशीर्वाद लिया
उन सब के प्रति मीराबाई के मन में कृतज्ञता का भाव ऐसा कि उसने टोकियो से लौटते ही उन ट्रक ड्राइवरों तथा उनके सहायकों को खोज कर, लगभग 150 लोगों को सम्मानपूर्वक अपने घर बुलाया तथा सब को एक शर्ट का कपड़ा तथा उत्तरीय (मणिपुरी गमछा) भेंट किया और सभी बड़ों के पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया ।
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