सीएम भूपेश ने ईडी को दिया अल्टीमेटम: 15 दिन के भीतर नान घोटाले व चिटफंड घोटाले की जांच हो

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ईडी को लिखा पत्र, कोई कार्यवाही नहीं की गई तो न्यायालय में याचिका दायर करेंगे: भूपेश

डॉ रमन और उनके परिवार समेत तत्कालीन मंत्रियों पर लगाए गंभीर आरोप

रायपुर (khabargali) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्ववर्ती डॉ रमन सिंह और उनके तत्कालीन मंत्रियों पर हमला बोलते हुए ईडी को एक पत्र लिखकर नान घोटाला,चिटफंड घोटाला जैसे मामलों की जांच किए जाने की मांग की है। पत्र में कहा है कि चिटफंड घोटाले में ग्रामीणों का पैसा लूटा गया उसकी जांच क्यों नहीं की जा रही है। मनी लांड्रिग केस में ईडी प्रदेश में अभी कारोबारियों व अफसरों की जांच कर रही है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री ने पत्र लिखा है। यदि 15 दिन के भीतर ईडी द्वारा जांच में कोई कार्यवाही नहीं की गई तो न्यायालय में याचिका दायर की जायेगी। नान घोटाले में मैडम सीएम और भी नेताओं के नाम हैं, इस केस की जांच होनी चाहिए। पूरे देश में इस केस की गूंज सुनाई दी थी। किन्तु आश्चर्य की बात है कि छोटे छोटे प्रकरणों में प्रकरण दर्ज कर त्वरित कार्यवाही करने वाली संस्था ईडी द्वारा प्रकरण की जांच हेतु कोई पहल नहीं की गई है।

विदित है कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2015 में एसीबी के अधिकारियों द्वारा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम रायपुर के कार्यालय एवं अनेक अधिकारियों के घरों में छापामारी कर करोड़ों की नगद रकम एवं अनुपातहीन संपत्ति के दस्तावेज जपत किए गए थे। प्रकरण में एसीबी के अधिकारियों द्वारा 12 फरवरी 2015 को 28 आरोपियों के विरुद्ध अपराध क्रमांक 9/2015 अंतर्गत धारा 109, 120बी, आईपीसी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) डी 13 (2) दर्ज किया। प्रकरण की जांच पूर्ण होने के बाद आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 409 एवं 420 तथा भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 11 भी जोड़ दी गई तथा प्रकरण में बाद में अत्यंत आश्चर्यजनक ढंग से 28 आरोपियों में से 16 को क्लीनचिट देते हुए 6 जून 2015 को रायपुर के विशेष न्यायालय के सामने एफआईआर में आरोपित 12 तथा अन्य 6 के विरुद्ध चालान पेश कर दिया गया।

इसके साथ ही उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह एवं उनके बेटे अभिषेक सिंह द्वारा अर्जित संपत्ति का भी जांच किए जाने की मांग की है। उनके द्वारा घोषित संपत्तियों का यदि स्वतंत्र रुप से मूल्यांकन कराया जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि पिता और पुत्र द्वारा घोषित चल-अचल संपत्ति का वास्तविक मूल्य बहुत अधिक है। उक्त संपत्तियों के अतिरिक्त अभिषेक सिंह विभिन्न कंपनियों में डायरेक्टर रह चुके है। अभिषेक सिंह द्वारा गढ़ मुक्तिेश्वर (उत्तराखंड) में करोड़ों का रिसोर्ट खरीदी गया तथा कोलकाता की कंपनियों से फर्जी एंट्री भी ली गई है जिसकी विस्तृत जांच में करोड़ों की हेराफेरी प्रमाणित हो जाएगी।

पत्र में उल्लेखित किया गया है कि वर्ष 2009 से 2017 के बीच तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने छत्तीसगढ़ के हर जिले में फिड कंपनियों के रोजगार मेलों का आयोजन किया। इनका नियंत्रण बाकायदा जिला रोजगार अधिकारियों द्वारा जारी किया गया तथा डॉ. रमन सिंह से लेकर उनके बेटे अभिषेक सिंह पत्नी वीणा सिंह व भाजपाई मंत्री तथा आला अधिकारी इन रोजगार मेलों में शामिल हुए। चिटफंड कंपनियों ने इन मेलों के माध्यम से मासूम युवाओं से छल किया व उनसे तथा भोली भाली जनता से हजारों करोड़ रुपया डकार लिया। जिला रोजगार अधिकारी जगदलपुर जिला बस्तर, काकेर व कवर्धा द्वारा जारी किए गए 2010 2011 व 2012 में निमत्रण दिया गया था। जिला अधिकारी कवर्धा के निमंत्रण से साफ है कि स्वयं डॉ. रमन सिंह ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह पूर्व सांसद ने बाकायदा अनमोल इंडिया एग्रा फार्मिंग एवं डेयरीज केयर लिमिटेड द्वारा खोले गए अनमोल बचपन स्कूल के कार्यक्रम में शिरकत की तथा इन्होंने बाद में कंपनी व स्कूल दोनों पर ताला लगा दिया। रमन सिंह की पत्नी श्रीमती वीणा सिंह ने इसी प्रकार याल्को कॅरियर बिल्डिंग नामक कंपनी का शिलान्यास किया। यहीं नहीं प्रदेश के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने भी सनशाईन / बीपीएन कंपनी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इल्जाम यह भी है कि भी पैकरा ने सनशाईन / बीपीएन कंपनी के लोगों से भाजपा के पार्टी फंड में राशि भी दिलवाई। इसी प्रकार से भाजपा के अन्य मंत्रियों ने चिटफंड कंपनी के कार्यक्रमों में खुलेआम हिस्सा लिया। साल 2010 से 2016 के बीच चिटफंड कंपनियों द्वारा पैसे की इस खुली लूट की शिकायत सरकार व अधिकारियों को मिलती रहीं। कुछ कंपनियों के कार्यालय सील भी हुए। परंतु राजनैतिक संरक्षण के चलते इन सब कार्यालयों की सील दोबारा खोल उन्हें जनता से लूट की छूट दे दी गई। कंपनियों के कार्यालय की सील खोलने के बारे में दिनांक 24.11.2010, 21.11.2011. 22.03.2014 07.06.2014, 2506.2014, 31.01.2015, 03.08.2015 व 20.01.2016 को पत्र जारी किए गए। इससे साफ है कि उगी के सबूतों के बावजूद भाजपा सरकार कंपनियों की सील खोलकर इन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लूट का लाईसेंस दे रही थी।

सेबी व केंद्र सरकार द्वारा 2009 से 2014 के बीच व उसके बाद इन चिटफंड कंपनियों के धंधे पर पाबंदी लगाई गई. परंतु छत्तीसगढ़ में सरकार के संरक्षण में बगैर राकटोक के इन चिटफंड कंपनियों की जनता की कमाई की लूट जारी रही। छत्तीसगढ़ की जनता लुटती रही। 161 कंपनियों पर 310 से अधिक एफआईआर भी दर्ज हुई, परंतु एक फूटी कौड़ी लूटी गई राशि की वसूली नहीं हुई। चोरी-धोखाधड़ी, फरेब व लूट के इस खेल के चलते चिटफंड कंपनियों के 57 प्रतिनिधियों ने आत्महत्या कर ली । कुछ की हत्या भी हो गई। परंतु पूर्व सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेगी।

जनता अपने साथ हुई धोखाधड़ी, छल और विश्वासघात से आक्रोशित होकर राज्य के भाजपा नेताओं, जनप्रतिनिधियों के विरूद्ध राज्य के विभिन्न थाना में एफआईआर दर्ज की गयी। कुछ एफआईआर की प्रतिया संलग्न है। (संलग्न-1) जनता न्यायालय की शरण में भी गई जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा संज्ञान लेते हुए दोषियों के विरुद्ध अपराध दर्ज करने का आदेश दिया गया। इनमें पूर्व सांसद श्री अभिषेक सिंह (तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र जिनका नाम पनामा पेपर्स में भी काफी चर्चित रहा था), श्री मधुसूदन यादव पूर्व सांसद एवं भाजपा जिलाध्यक्ष राजनादगांव तथा अन्य लोगों के विरूद्ध राजनांदगांव एवं सरगुजा जिले में दर्जन भर से अधिक आपराधिक प्रकरण भी पंजीबद्ध किये गये।

डॉ. रमन सिंह एवं उनके पुत्र अभिषेक सिंह की संपत्ति बिना किसी व्यवसाय किये बढती गयी। निवेशकों से अब तक 25 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसके अनुसार यह धोखाधड़ी का मामला लगभग 6 हजार 500 करोड़ रूपये से अधिक राशि का है। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा इस संबंध में अब तक 447 प्रकरण दर्ज किये गये हैं। डॉ रमन सिंह एवं उनके मंत्रियों के संरक्षण में गरीब परिवारों के खून पसीने की कमाई उनके संरक्षण चिटफंड कंपनियों द्वारा लूटी गयी है। वे सभी परिवार चिटफंड कंपनियों द्वारा किये गये घोटालों के असली दोषियों को सजा दिलाने एवं अपनी राशि वापस प्राप्त करने का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। आपसे अनुरोध है कि मनी लांड्रिंग के इस क्लासिक प्रकरण की निष्पक्ष जांच करायें तथा दोषियों को कड़ी सजा देने का साथ लाखो गरीब परिवारों को न्याय दिलाये। यदि शीघ्र ही ई. डी. द्वारा तत्काल प्रकरण की गंभीरता से त्वरित जांच आरंभ नहीं की गयी तो विवश होकर न्यायालय में प्रकरण दायर किया जायेगा।

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