स्वतंत्रता के अमृतमहोत्सवी वर्ष और बालिदन दिवस के उपलक्ष्य में रविन्द्र मंच कालीबाड़ी में हुआ आयोजन
रायपुर (khabargali) राष्ट्र सेविका समिति व बंगाली कालीबाड़ी महिला समिति के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता के अमृतमहोत्सवी वर्ष के उपलक्ष्य में विभिन्न समाज की महिलाओं द्वारा सम्पूर्ण वंदे मातरम के गायन का कार्यक्रम रविन्द्र मंच कालीबाड़ी में दिनांक 23 मार्च बालिदन दिवस के उपलक्ष्य आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सहभागी संस्था बंगाली कालीबाडी महिला समिति, प्रजापती समाज, योगीराज विद्यालय, कमलादेवी संगीत महाविद्यालय, गायत्री प्रज्ञा पीठ , आराधना भजनी मंडल (चौबे कॉलोनी), शौर्य संगीत क्लास, स्वरधूनी मंडल, संस्कार भारती, शबरी कन्या छात्रावास कल्याण आश्रम , माँ शारदा भजनी मंडल जैसे विविध संगठनों की 200 महिला कार्यकर्ताओ ने भाग लिया और राष्ट्र सेविका समिति की शाखाओं की बहनो ने संपूर्ण योजना व्यवस्था कर के कार्यक्रम को सफल बनाया।
दिनाँक 20 मार्च से 22 मार्च तक वन्दे मातरम पर एक छोटी सी कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसमें सहभागी बहनों को वन्दे मातरम का अर्थ बताया गया तथा उसे लय में तथा समूह में गाने का अभ्यास किया गया। कामकाजी महिला हो या गृहणी सभी ने इस कार्यक्रम में अपनी विशेष रूचि दिखाई। स्वतंत्रता आंदोलन के समय वन्दे मातरम किस प्रकार क्रांतिकारियों के रग रग में राष्ट्र भक्ति का संचार करने वाला बीज मंत्र था इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति इस कार्यक्रम में सहभागी हुई बहनों ने की।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छत्तीसगढ़ प्रान्त के माननीय प्रान्त संघचालक डॉ पूर्णेदु सक्सेना जी तथा बंगाली समाज के अध्यक्ष श्री तन्मय चटर्जी जी उपस्थित रहे। इस अवसर पर शददानी दरबार के पीठाधीश श्री युद्धिष्ठिर जी महाराज की विशेष उपस्थिति रही। राष्ट्र सेविका समिति छत्तीसगढ़ प्रान्त की प्रान्त प्रचारिका माननीया सुश्री प्राची पाटिल जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रही।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा " त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरण धारिणी ऐसी दुर्गा काली के रूप में भारत माता की पुत्रीयों ने अपने बलिदान से माँ को स्वतंत्रता प्रदान की हैं | अतुलनीय, अविश्वासनीय,अलौकिक अचंभीत करने वाले उन सभी के तेज प्रताप को हम नमन करते हैं | स्त्री चाहे वह माता हो, पत्नी हो, पुत्री हो या बहन हो अपने हर कर्तव्य का पालन करते हुए उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में सहभाग लिया। चाफेकर बंधूओं की माताजी जैसी अन्य सभी क्रांतिकारीओं की माताऐ जिन्होंने अपने पुत्रों को बलिवेदी पर आत्म अभिमान से चढते देखा।
तिलेश्वरी बरुआ, वीणा दास जैसी अनेको क्रांतिकारी माता पिता की क्रांतिकारी पुत्रियां जिनके बलिदान आज हमे पुत्री धर्म का आवाहन कर रही हैं | कल्याणी देवी, रोहिणी परगनिहा, येसू वहिनी(भाभी), यमुना बाई जैसी वीर पत्नियाँ जिन्होंने अपने पति के स्वतंत्रता के मार्ग पर चल रहें कदम को कभी भी पीछे हटने नही दिया बल्की अपनी ओर से क्रांतिकारी कार्य कर के सप्तपदी के वचन को दृढता से निभाया | बंगाल की स्नातिका प्रतिभा भद्र को पाँच वर्ष, सरयू चौधरी (टीटागढ़ काण्ड) को चार वर्ष, इन्द्रसुधा घोष को चार वर्ष, आशा दास गुप्त को पाँच वर्ष, अरुणा सान्याल की पाँच वर्ष, शांतिकरण सेन को दो वर्ष, सुरमा दास गुप्त बी० ए० को डेढ़ वर्ष, अनिता सेन को चार वर्ष, रेणुका सेन एम० ए० (डलहौजी स्क्वायर बम कांड) को एक वर्ष, लीलावती नाग उसकी गर्भवती माँ काशीबाई हणाबर को गिरफ्तार करके थाने ले गया और नग्न करके उसके अंगों में मिर्च भर दीं तथा चमड़े के कोड़े से निरन्तर घंटों पीटा जिससे उस माँ का गर्भपात हो गया, किन्तु माँ ने भूमिगत पुत्र का पता न दिया। ऐसी अनेक ज्ञात अज्ञात छात्रायें, अध्यापिकायें, गृहिणीयाँ इस देश में हुई है जिनके असीम त्याग का फल है यह स्वतंत्र भारत। वंदे मातरम् का जयघोष चहू दिशाओ से हो रहा था | स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारीओं का वह प्रेरणा स्तोत्र बना था | बन्कीमचंद्र चाटोपाध्याय जी ने लिखा हुआ वंदे मातरम् स्वदेशी आंदोलन का प्राण बना था | छोटासा बालक वंदे मातरम् कहने की सजा पा रहा था, अंग्रेज सैनिक उसे बेत के कोडे लगा रहा थे पर भी वह वंदे मातरम् वंदे मातरम् कहता ही रहा अंततः आजाद करके उसे अधिकारी ने बुलाया और तब से यह आजाद नाम से ही प्रचलित हो गया! विद्यालय अधिकारी विद्यालय देखने आ रहें थे तो विद्यालय के हर वर्ग में उन का स्वागत वंदे मातरम् से हुवा, इस घटना से अधिकारी चीड़ गये किस की करतूत है यह ऐसे पूछा किसी ने नाम नही बताया बाद में पता चला डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार जी ने यह अपने मित्रो के अंत:करण में बीज बोया था।
वंदे मातरम यह केवल गीत न होकर स्वदेश प्रेम को जागृत करने वाला मंत्र तब भी था और आज भी है। भारत स्वाधीन हो गया हमने स्वतंत्रता पा ली किन्तु मानसिक रूप से क्या हम आज भी गुलाम ही है ? यह सोचने का विषय है यदि देश मानसिक गुलामी झेल रहा है तो हमें और अपने आने वाली पीढ़ी को सनातन भारत के स्व संस्कृति से, स्वदेश से स्वभाषा से जोड़ने का कार्य करना है।"
रा. स्व. सं. के प्रांत संघचालक डॉ पूर्णेन्दु सक्सेना जी ने अपने वक्तव्य में कहा " वंदे मातरम गायन का जो भाव है वह भारत के स्वत्व का भाव है। स्वाधीनता का 75 वां वर्ष यह केवल एक संख्या नहीं है । इस कार्यक्रम के पीछे एक अभिप्राय है भारत का स्वतंत्रता आंदोलन यह विश्व में एक अनूठा आंदोलन था भारत ने एक बड़े मानवता का उद्धार इस आंदोलन से किया।" उन्होंने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि "महिलाएं चाहे घर पर हो या कार्यालय में वे कितनी व्यस्त होती है यह हम जानते है लेकिन अपने व्यस्त समय मे भी वन्दे मातरम को सुस्वर कंठस्थ करना बहुत ही सराहनीय प्रयास है।"
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित शदाणी दरबार के पीठाधीश संत युद्धिष्ठिर लाल जी ने अपने उद्बोधन में राष्ट्रभक्ति के साथ सनातन संस्कृति, संस्कार, व धर्म की रक्षा करने की बात कही। इस कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र सेविका समिति रायपुर महानगर की सह बौध्दिक प्रमुख श्रीमती उर्मिला मिश्रा ने किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना बंगाली कालीबाड़ी महिला समिति की अध्यक्षा श्रीमती सुलेखा चटर्जी ने रखी। राष्ट्र सेविका समिति की रायपुर महानगर कार्यवाहिका श्रीमती अजिता गनोदवाले ने आभार प्रदर्शन किया।
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