विधानसभा में प्रमुखता से उठे ये मुद्दे..

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1. छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक खेल का मामला

2. मंत्री की उपस्थिति के बावजूद दूसरे मंत्री के जवाब देने का मुद्दा

3. अनुकंपा नियुक्ति को लेकर धरने पर बैठी महिलाओं के मुंडन कराने का मामला

रायपुर (khabargali) पिछले महीन संपन्न हुए छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक खेल का मामला बजट सत्र के दौरान विधानसभा में उठा। भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने यह मामला उठाते हुए टीम चयन और खेलों की मान्यता पर सवाल उठाए। खेल मंत्री उमेश पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक खेल में 13 लाख लोगों ने लिया हिस्सा था और छत्तीसगढ़ की जनसंख्या का दस प्रतिशत इस आयोजन से जुड़ाव रहा। कांग्रेस के विधायकों ने इन खेलों के लिए बधाई देने के बजाए सवाल पूछे जाने पर आपत्ति जताई। पटेल ने कहा कि चयन को लेकर कोई बाध्यता नहीं थी, टीम आने पर उनको ब्लाक स्तर की प्रतियोगिता में मौका दिया गया। कोई रोक टोक नहीं थी।

मंत्री पटेल ने बताया कि खेल एवं युवा कल्याण विभाग में छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक खेल योजना संचालित नहीं है। छत्तीसगढ़ी खेलों को संबद्धता और नौकरी में खिलाडिय़ों को आरक्षण देने की मांग को लेकर भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरु कर दिया। विस अध्यक्ष डा. चरणदास महंत ने विधायकों को शांत कराया।

शून्यकाल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों के मुद्दों की गूंज रही। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने स्थगन के दौरान अनुकंपा नियुक्ति को लेकर धरने पर बैठी महिलाओं के मुंडन कराने का मामला जोरशोर से उठाया। सफाई कर्मचारियों के मांगों पर भी विपक्ष ने स्थगन पर चर्चा की मांग की।

विपक्ष ने सदन मंत्री कवासी लखमा के विभाग के सवाल का जवाब मंत्री अकबर ने दिया था जिस पर विपक्षी सदस्य ब्रिजमोहन अग्रवाल , अजय चन्द्राकर ने उठाई आपत्ति। विपक्ष ने कहा कि संसदीय इतिहास में आज तक कभी मंत्री की उपस्थिति के बावजूद दूसरे मंत्री के जवाब देने का कोई उदाहरण नहीं है। सत्ता पक्ष के व्यवहार पर विपक्ष ने जताई नाराजगी और विधानसभा उपाध्यक्ष से मांगी व्यवस्था।

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