Raghukul

उर्मिला देवी उर्मि की भक्ति रचना

ख़बरगली @ साहित्य डेस्क

राम लला जी....

खेलैं भवन में रामलला जी ।

चहूं दिस गूंजे है किलकारी ।।

पल भर पिता की गोद बिराजैं।

फिर जननी संग दिखैं सुखकारी ।।

धन्य हुई है नगरी अयोध्या ।

जहां प्रगटे जग मंगलकारी ।।

दर्शन कर निज भाग सराहैं ।

त्रिलोकी के मुदित नर नारी।।

ज्ञानार्जन को गुरुकुल पधारैं ।

गुरुसेवा में रहें ज्यों पुजारी ।।

शिष्यों संग नियमों को पालें ।

जो हैं त्रिलोकी के पालनहारी ।।

गुरु आज्ञा से प्राप्त करें राघव।