Who is the real authority to talk about hurt religious sentiments?

आलेख : सुभाष गाताडे

खबरगली@साहित्य डेस्क

क्या किसी दूसरे धर्म के प्रार्थना स्थल में बेवक्त जाकर हंगामा करना या अपने पूजनीय/वरणीय के नारे लगाना, ऐसा काम नहीं है, जिससे शांतिभंग हो सकती है, आपसी सांप्रदायिक सद्भाव पर आंच आ सकती है? इस सवाल पर कर्नाटक की न्यायपालिका एक बार फिर चर्चा में है। कर्नाटक की उच्च अदालत की न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना की एक सदस्यीय पीठ का ताज़ा फैसला यही कहता है कि "ऐसी घटना से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती हैं और मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचती है।"