76% आरक्षण को लेकर सदन से सड़क तक बवाल, भाजपा-राजभवन पर चौतरफा हमले

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कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मांगा इस्तीफा

रायपुर (khabargali) विधानसभा से आरक्षण विधेयक परित होने के बाद राजभवन भेजे हुए एक माह से अधिक समय हो गया है लेकिन अब तक राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं, इसी का विरोध जताने कांग्रेस ने मंगलवार को साइंस कालेज मैदान में जन अधिकार रैली आयोजित की जिसमें पूरे प्रदेश से हजारों की संख्या में लोग जुटे। कांग्रेस के सभी नेता एक मंच पर एकत्रित हुए और जिस प्रकार का आगाज किया साल 2023 का बड़ा सियासी आंदोलन मान सकते है। विशाल मंच में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम समेत सभी मंत्री,विधायक व संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे।

कांग्रेस नेताओं ने जनता को संबोधित करते हुए आरक्षण के विधेयक को अटकाने का आरोप भाजपा पर लगाया। कहा कि लोगों का अधिकार छीनने की कोशिश भाजपा कर रही है।इस दौरान भाजपा के साथ राजभवन भी निशाने पर रहा। अब तक आरक्षण विधेयक को मंजूरी नहीं देने के मुद्दे पर नाराज प्रदेश के वरिष्ठ मंत्रियों ने मंच से ही सीधे राज्यपाल अनुसुइया उइके से पद छोड़ने की मांग कर दी ।

जनअधिकार महारैली और सभा के बीच ही कैबिनेट मंत्रियों के साथ 50 कांग्रेस नेताओं और समाज प्रमुखों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंच गया। वहां लोगों की भावनाओं और जनहित के मद्देनजर तत्काल हस्ताक्षर करने ज्ञापन भी सौंपे।

राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में आरक्षण विधेयक लंबित रखने के खिलाफ जमकर गुस्सा फूटा। कांग्रेस के दिग्गजों ने भाजपा पर जमकर तीर चलाए। वहीं राजभवन में अधिकार से बाहर संचालित गतिविधियों पर भी सवाल दागे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि संविधान में जो व्यवस्था है इसका पालन नहीं होने की वजह से ही जनअधिकार रैली करनी पड़ी। भाजपा ने राजभवन को राजनीति का अखाड़ा बना दिया। प्रदेश में अजा, जजा, ओबीसी, ईडब्लूएस को जो अधिकार मिलना था उसमें रोड़ा बन गए। हमने कानून से बाहर जाकर कोई काम नहीं किया। सत्र से पहले विधेयक में दस्तखत करने में एक मिनट भी नहीं लगेगा कहते थे। माह और साल बदल गया। राज्यपाल हठधर्मिता छोडें़, या तो दस्तखत करें या लौटा दें। राजभवन अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सरकार से सवाल कर रहा है। विधानसभा में पारित विधेयक पर सरकार से सवाल करने का अधिकार नहीं है। हमने भर्तियों की तैयारी कर ली, पर इस संकट में कैसे भर्ती करें।

कांग्रेस की प्रभारी महासचिव कुमारी सैलजा ने कहा कि दिल्ली में सामाजिक न्याय को कुचलने वाली जो सरकार बैठी है, यह उसी का नतीजा है। सर्वसम्मति से पारित बिल को रोकना संविधान और छग के लोगों के साथ खिलवाड़ है। भाजपा के दो चेहरे हैं। वो वाकिफ थे कि अगर विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित नहीं कराएंगे तो सदन से बाहर निकल नहीं पाएंगे। अब यह तार कहां से खींची गई सब देख रहे हैं। राज्यपाल को रोका गया तो कभी अधिकार से बाहर जाकर राजभवन से सवाल पूछे जाते हैं। ऐसे निम्न स्तर की राजनीति को पहचानें। प्रदेश में पहले भाजपा की सरकार थी उसने भ्रष्टाचार के साथ लोगों के अधिकारों का हनन किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चार साल में ऐसे फैसले लिए जो देश में एक नजीर है। यहां लोगों के साथ न्याय हो रहा है।