आकाशीय बिजली गिरने से 5 महिलाओं की मौत, 6 बुरी तरह झुलसी, इलाज जारी

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मुख्यमंत्री बघेल ने 4-4 लाख की सहायता स्वीकृत की

महासमुंद (khabargali) खेत में रोपाई करने के लिए ग्राम घाटकछार की 11 मजदूरों पर अचानक ही आकाशीय बिजली गिर गई और घटनास्थल पर 5 महिलाओं की मौत हो गई। वहीं 6 महिलाएं पूरी तरह से झुलस गई है जिनका इलाज सराईपाली जिला अस्पताल में चल रहा है। घटना के बाद से गांव पूरी तरह से शोक में डूबा हुआ है। घटना दोपहर के 2 बजे की बताई जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतक के परिजनों को तत्काल 4-4 लाख रुपये की सहायत राशि स्वीकृत करने के निर्देश दिए।

मौसम साफ होने के कारण ग्राम घाटकछार की 11 महिलाएं अपने-अपने खेत में रोपा लगाने के लिए सुबह से गई हुई थी कि अचानक ही मौसम ने करवट बदला और तेज बारिश शुरु हो गई। सभी खेत के पास स्थित पेड़ के सामने बारिश रुकने का इंतजार कर रहे थे कि अचानक ही आकाशीय बिजली पेड़ में गिर पड़ा और घटना स्थल पर ही कुमारी जानकी, कुमारी लक्ष्मी यादव, श्रीमती बसंती नाग, श्रीमती जमोवती, श्रीमती नोहरमति की मृत्यु हो गई। वहीं दूसरी जगह बारिश के कारण रुके मजदूरों ने सभी को सराईपाली अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने 5 महिलाओं को मृत घोषित कर दिया। वहीं श्रीमती पंकजनी यादव, श्रीमती पार्वती मालिक, श्रीमती तपस्वनी, श्रीमती पुन्नी, श्रीमती गीतांजलि, श्रीमती शशि मुझी को भर्ती कर उनका शुरु किया लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि उनकी भी हालत गंभीर बनी हुई है। इस संबंध मे सिंघोड़ा थाना प्रभारी केशव कोसले ने बताया है कि ग्राम घाटकछार में आसमान से बिजली गिरने से 5 लोगों की मौत हो चुकी है, बाकी छह लोग घायल हैं।

वहीं दूसरी ओर माधोपाली में मवेशी चरा रहे चरवाहे की भी गाज गिरने से मौत हो गई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने महासमुंद जिले में आकाशीय बिजली गिरने की घटना में 05 श्रमिकों की मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने घटना में घायल 06 श्रमिकों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कलेक्टर को निर्देश दिए हैं। श्री बघेल ने हादसे में मृत प्रत्येक श्रमिक के परिजनों को आर.बी.सी. 6-4 के प्रावधानों के अनुरूप 04-04 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत करने के भी निर्देश दिए हैं।

आकाशीय बिजली से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान, बच जाएगी जान

आकाश से गिरने वाली बिजली हर साल देश भर में सैकड़ों लोगों की जान लेती हैं।आकाशीय बिजली की प्रक्रिया कुछ सेंकेड के लिए होती है, लेकिन इसमें इतने ज्यादा बोल्ट का करंट होता है कि आदमी की जान लेने के लिए काफी होता है। क्योंकि इसमें बिजली वाले गुण होते हैं तो ये वहां ज्यादा असर करती है, जहां करेंट का प्रवाह होना संभव होता है। आकाश से गिरी बिजली किसी न किसी माध्यम से जमीन में जाती है, और उस माध्यम में जो जीवित चीजें आती हैं, उनको नुकसान पहुंचता है। लेकिन अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो खुले आसमान के नीचे रहकर भी आसमान से गिरने वाली बिजली से अपनी जान बचाई जा सकती है। आकाशीय बिजली ज्यादातर बरसात के दिनों में गिरती है। इसकी चपेट में वो लोग आते हैं जो खुले आसमान के नीचे, हरे पेड़ के नीचे होते हैं, पानी के करीब होते हैं या फिर बिजली और मोबाइल के टॉवर के नजदीक होते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीआरएफ) द्वारा जारी एक जागरुकता वीडियो में लोगों को इससे बचने के उपाय बताए गए हैं। https://youtu.be/vbs8GiHQgm4

1. अगर आसमान में बिजली कड़क रही है और आप घर के बाहर हैं तो सबसे पहले सुरक्षित (मजबूत छत) वाली जगह तक पहुंचने का प्रयास करें।

2. अगर ऐसे संभव नहीं है तो तुरंत पानी, बिजली के तारों, खंभों, हरे पेड़ों और मोबाइल टॉवर आदि से दूर हट जाएं।

3. आसमान के नीचे हैं तो अपने हाथों को कानों पर रख लें, ताकि बिजली की तेज आवाज़ से कान के पर्दे न फट जाएं।

4. अपनी दोनों एड़ियों को जोड़कर जमीन पर पर उकड़ू बैठ जाएं।

5. अगर इस दौरान आप एक से ज्यादा लोग हैं तो एक दूसरे का हाथ पकड़कर बिल्कुल न रहें, बल्कि एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें।

6. छतरी या सरिया जैसी कोई चीज हैं तो अपने से दूर रखें, ऐसी चीजों पर बिजली गिरने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।

7. पुआल आदि के ढेर से दूर रहें, उसमें आग लग सकती है।

क्या है आकाशीय बिजली

कड़क के साथ आसमान से गिरने वाली बिजली को तड़ित कहते हैं। अंग्रेजी में इसे Lightning कहते हैं। आकाश में बादलों के बीच तब टक्कर होती है, यानि घर्षण होने से अचानक इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज निकलती है, ये तेजी से आसमान से जमीन की तरफ आता है। इस दौरान हमें तेज़ कड़क आवाज़ सुनाई देती है और बिजली की स्पार्किंग की तरह प्रकाश दिखाई देता है। इसी पूरी प्रक्रिया को आकाशीय बिजली कहते हैं। आकाशीय बिजली के गिरने से लोगों की इंसानों के साथ पशु-पक्षियों तक की मौत हो जाती है, हरे पेड़ तक गिर जाते हैं। लेकिन इस प्राकृतिक आपदा से बचाव संभव है।

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