अस्पताल तक पहुंचने में बड़ी तकलीफों का सामना किया मरीजों ने
रायपुर (khabargali ) राजधानी के औद्योगिक क्षेत्र उरला स्थित जैनम फेरोलाएज़ नामक कम्पनी में विगत 15 दिसम्बर को तकरीबन 9 बजे सिलेंडर के फट जाने से दो मजदूरों शुभम बरेठ उम्र 21 साल एवं योगेन्द्र कश्यप उम्र 29 साल की बुरी तरह से आग में झुलस जाने की खबर सामने आई थी। घायल मजदूरों को रायपुर के कालड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान बीते 20 दिसम्बर को शुभम बरेठ की मृत्यु हो जाने की खबर मिलने पर छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के सेनानियों एवं आक्रोशित स्थानीय मजदूरों ने कम्पनी का घेराव किया तब जाकर कम्पनी प्रबंधन के तरफ से परिजन को 12,50000 रूपये मुआवजे के रूप में एवं बीमा की राशि जल्द ही दिए जाने की घोषणा की। उसके बाद कालड़ा अस्पताल में भर्ती दूसरे मरीज ने भी जिन्दगी और मौत के बीच लड़ते-लडते दम तोड़ दिया, जिनके परिजन को कम्पनी प्रबंधन ने मुआवजे की राशि उपलब्ध करा कर बीमा की राशि जल्द से जल्द परिजन को उपलब्ध कराने की बात कही है।
यह पहली घटना नहीं
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के भूपेन्द्र निर्मलकर ने ख़बरगली को दिए ज्ञापन में बताया कि इस कम्पनी में यह पहली घटना नहीं है, बल्कि उनके जानकारी के अनुसार पहले भी कम्पनी में सुरक्षा के नियमों का उलंघन करने की वजह से दो बार घटना घट चुकी है। यही कम्पनी नहीं बल्कि उरला एवं सिलतरा में जितनें भी कम्पनी हैं उनमें लगभग सभी में सुरक्षा के लिए उपयुक्त साधन मजदूरों को मुहैय्या नहीं कराया जाता जिससे आए दिन कहीं न कहीं इस प्रकार की अवांछीय घटना घटती रहती है।
ये हुई थी घटना
कुछ दिन पहले उरला के एक (जैनम फरो अल्लुइज उरला रायपुर इंडिया लिमिटेड) कम्पनी में (पावर सिलेण्डर पाइप) फ़टने से काम कर रहे दो शुभम और योगेंद्र चपेट में आ गए थे। दुर्घटना से दोनों की हालत गंभीर हो गई थी।
21 और 29 साल के युवा खाने- कमाने राजधानी आए थे
घायलों में शुभम बरेठ जांजगीर के व योगेन्द्र कश्यप अकलतरा के रहने वाले थे। वे दोनों रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में किराए के मकान में रहकर उरला के जैनम फेरो में काम किया करते थे। दोनों के किसानी से जुड़े परिवार की आर्थिक स्थिति भी कुछ खास नहीं थी। वे रोजी-मजदूरी कर के ही अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे थे।
अस्पताल तक पहुंचने में बड़ी तकलीफों का सामना किया मरीजों ने
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के भूपेन्द्र निर्मलकर ने बतया कि जा रहा है कि मरीजों को हॉस्पिटल लाते वक़्त जिस गाड़ी से हॉस्पिटल ले जा रहे थे उस गाड़ी में पेट्रोल की कमी थी। जिसके वजह से दोनों जले हुए युवको को बड़ी तक़तीफ़ो का सामना करना पड़ा। फिर जैसे तैसे कर पेट्रोल पंप तक पहुंचे उसके बाद उनको बीरगांव NKD हॉस्पिटल लाया गया जहां से रिफर कर दिया गया, फिर कालड़ा हॉस्पिटल ले जाया गया था। वहां भी उनको सही इलाज नहीं मिल पा रहा था। भूपेन्द्र निर्मलकर ने कहा कि यह बात खुद रोते-रोते गंभीर रूप से घायल पीड़ित योगेंद्र कौशिक ने कई लोगों से यह बात बताई थी।
आक्रोशित श्रमिकों ने मोर्चा खोला
मजदूर की मौत से आक्रोशित श्रमिकों ने रविवार की रात कंपनी के सामने शव रखकर प्रदर्शन कर दिया. सूचना मिलते ही उरला सीएसपी सहित आसपास के थाना क्षेत्रों का बल मौके पर पहुंच गया. प्रदर्शनकारी मृतक के परिजनों को उचित मुआवजे की मांग कर रहे थे.
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