'द केरल स्टोरी' के बाद अब 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' पर बवाल, डायरेक्टर बोले- 'मुझे मारा जा सकता है'

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नई दिल्ली (khabargali) निर्देशक सुदीप्तो सेन की फिल्म 'द केरल स्टोरीज' को लेकर पश्चिम बंगाल में सियासत अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अब वहां पर एक और हिंदी फिल्म पर बवाल मचने के संकेत मिले हैं. अब पश्चिम बंगाल पुलिस के निशाने पर फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल के निर्देशक सनोज मिश्रा आ गए हैं. सनोज ने हाल ही में अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' का ट्रेलर रिलीज किया था, बीते महीने रिलीज हुए दो मिनट 12 सेकेंड लंबे इस ट्रेलर को अब तक करीब नौ लाख लोग देख चुके हैं. इस ट्रेलर के सामने आने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप लगातार तेज हो रहा है. जिसके बाद से इस फिल्म को लेकर भी विवाद शुरू हो चुका है. वसीम रिजवी फिल्म्स के बैनर तले बन रही इस फिल्म को नारायण सिंह निर्मित किया गया है. 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' मशहूर निर्देशक सनोज मिश्रा द्वारा लिखित और निर्देशित है. फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है. फिल्म के प्रचारक संजय भूषण पटियाला है.

निर्देशक को नोटिज जारी -

पश्चिम बंगाल पुलिस ने 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' के निर्देशक को नोटिज जारी किया है. पश्चिम बंगाल पुलिस ने आरोप लगाया है कि निर्देशक इस फिल्म से बंगाल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.' 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' के निदेशक सनोज मिश्रा को 30 मई को पश्चिम बंगाल के एमहर्स्ट स्ट्रीट पीएस में पूछताछ के लिए सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस दिया गया है. इस फिल्म को लेकर आईपीसी की विभिन्न धाराओं, आईटी एक्ट और सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है, फिलहाल निर्देशक ने इस नोटिक का जवाब देते हुए बंगाल पुलिस से गुहार लगाई है कि उन्हें एक महीने की मोहलत दी जाए, क्योंकि वह अभी उस स्थिति में नहीं हैं कि वह 30 मई तक वहां पहुंच सके.

डायरेक्टर ने पीएम मोदी से मदद की गुहार लगाई -

वहीं, दूसरी ओर डायरेक्टर ने अपने फेसबुक एक लंबी चौड़ी पोस्ट के जरिए पीएम मोदी से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'स्वतंत्र भारत में अपनी बात कहने का अधिकार सबको है, लेकिन फिर भी निरंकुश शासक और तानाशाह आज भी देश को और देश के नागरिकों को अपना गुलाम समझते हैं. अभिव्यक्ति की आजादी की बात को लेकर ही मैंने तीस साल पहले अपना घर छोड़ कर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में आया था, मेरी फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' को बिना देखे बिना जाने ट्रेलर के आधार पर बंगाल में मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है, मुझे गिरफ्तार कर जेल में मारा जा सकता है, मैंने सिर्फ एक फिल्म बनाई है, मैंने कोई गुनाह नहीं किया है और न ही मेरा कोई अपराधिक रिकॉर्ड है, सच बोलने के लिए मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है. मैं तो तनाव में नहीं हूं, लेकिन मेरा परिवार बहुत ही दबाव में जी रहा है क्योंकि मैं अकेला ही अपने मां बाप का श्रवण कुमार अपनी बेटियों का शक्तिमान अपने गांव के किसी भी व्यक्ति का संकटमोचन अपने भाइयों की रेखा हूं. मां को एक हृदय आघात के बाद अपनी आंख खोनी पड़ी है. इस वक्त भी उनको न जाने कहां से सास बहू के लड़ाई वाले धारावाहिक के बाद ये सुनाई दे गया कि मैं मुश्किल में हूं तब से मुझ पर पारिवारिक दबाव है, लेकिन ये एक फिल्म नहीं आंदोलन है और मुझे आप सबसे उम्मीद है कि अगर मेरे साथ कुछ भी होता है तो ये आंदोलन बंद नहीं होना चाहिए. जन जागरण से हमें ये बताना है कि हम धरती पर एक जिंदा इंसान हैं और लोगों के दुख दर्द से हम सबको भी फर्क पड़ता है. समय आ गया है सोशल मीडिया और फेसबुक से निकल कर फेस टू फेस सामने आने का, बंगाल पुलिस के हवाले होने का मतलब मेरी मौत है, मैं आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी गृह मंत्री अमित शाह जी के साथ ही मेरे प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी से इस मामले को संज्ञान में लेकर उचित और संवैधानिक सहयोग की अपील करता हूं...

विवाद की वजह?-

सनोज मिश्र के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बंगाल की कथित राजनीतिक परिस्थिति को परदे पर उतारा गया है. हालांकि फिल्म की शूटिंग अभी पूरी नहीं हुई है. ट्रेलर की शुरुआत में ही निर्देशक ने अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की राजनीति का संकेत दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी बंगाल में नागरिकता अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) लागू नहीं होने देने की बात कहती रही हैं. फिल्म के ट्रेलर में उनका वही भाषण मुख्यमंत्री की भूमिका निभाने वाले पात्र के जरिए दिलाया गया है. ट्रेलर में बंगाल को दूसरा कश्मीर भी बताया गया है. इसमें ममता का नाम और बीते विधानसभा चुनाव के समय चर्चित होने वाले 'खेला होबे' नारे की गूंज भी सुनाई देती है. साथ ही, यह भी दिखाया गया है कि रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश से कंटीले तारों की बाड़ पार कर पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर रहे हैं. उनकी वजह से एक तबके के लोग यहां बेघर हो रहे हैं. सरकार उस बहुसंख्यक संप्रदाय के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. ट्रेलर में कई मुद्दों के जरिए राज्य में अशांति और कानून व्यवस्था की स्थिति में गिरावट साबित करने की कोशिश की गई है.

तृणमूल ने की फिल्म बैन करने की मांग -

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष सवाल करते हैं, "अगर यह बंगाल की डायरी है तो इसमें कन्याश्री, दुआरे सरकार और जनहित में शुरू की गई दूसरी परियोजनाओं का जिक्र क्यों नहीं है? दरअसल सीपीएम की सहायता से बीजेपी एक झूठे राजनीतिक कुप्रचार में जुटी है. हम इस पर बैन लगाने की मांग करते हैं.” पार्टी के एक अन्य नेता जय प्रकाश मजूमदार दावा करते हैं, "यह फिल्म उन लोगों की ओर से बनाई जा रही है, जो धार्मिक आधार पर लोगों को विभाजित करने, नफरत की झूठी कहानी फैलाने और राज्य में मौजूद सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द को बिगाड़ने का एजेंडा चलाना चाहते हैं. प्राथमिकी दर्ज करने के फैसले से हमारी पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है.”

बीजेपी का ममता सरकार पर आरोप-

प्रदेश में बीजेपी के प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य कहते हैं, "ट्रेलर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से साफ है कि ममता बैनर्जी सरकार नहीं चाहती कि हकीकत सामने आए.

फिल्म के निर्देशक का यह है कहना-

तृणमूल कांग्रेस के आरोपों पर फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्र कहते हैं, "हमारा मकसद राज्य की छवि खराब करना नहीं है. हमने इस फिल्म में वही दिखाया है, जो सच है. यह पूरी तरह सच पर आधारित है. बंगाल में बड़े पैमाने पर नरसंहार, रेप और पलायन हो रहा है. मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील करता हूं. मैं दीदी के खिलाफ नहीं, बल्कि सच के साथ हूं.” उनका कहना है कि फिल्म की फाइनल शूटिंग चल रही है और इसे अगले महीने सेंसर बोर्ड के समक्ष भेजा जाएगा. इसे अगस्त तक रिलीज करने का इरादा है. इस फिल्म के निर्माता और कहानी लेखक जितेंद्र नारायण सिंह हैं. पहले उनका नाम वसीम रिजवी था और वे उत्तर प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने दिसंबर, 2021 में हिंदू धर्म अपना लिया था.