एआईसीसी की तीन दिवसीय बैठक में शामिल हुए थे नेहरू,तीन दिन रायपुर में रहे

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समझ सकते हैं रायपुर की अहमियत - आशीष सिंह

अक्टूबर 1960 में रायपुर में अखिल भारतीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक हुई। नेहरूजी इस सिलसिले में रायपुर आए और तीन दिनों तक रायपुर में रहे। 30 तारीख को उन्होंने एक आम सभा को संबोधित किया। विविध विषयों पर उनके लंबे भाषण के संपादित अंश-

'मैं यहां तीन दिन हुए आया तो मैंने पूछा रायपुर की आबादी क्या है? मुझसे कहा गया कि कोई सवा लाख लोग रहते हैं। लेकिन इस समय इस बड़ी सभा में सवा लाख से दुगुने-तीगुने लोग हैं। मैं नहीं जानता आप लोग कितने हैं लेकिन बहुत अधिक है। तो इसके मायने हैं कि आप दूर-दूर से आए हैं। मुझसे कुछ लोग मिले, बस्तर से आदिवासी लोग आए थे और जगह से अन्य लोग भी। तो यह जो बड़ी सभा है वो रायपुर की सभा नहीं रही, सारे इलाके की सभा हो गई। जिस काम के लिए मैं यहां आया था वो हमारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का जलसा था। कमेटी की जो बैठक हुई यह इसलिए हुई कि हम विचार करें कि हमारे इस महान देश की उन्नति कैसे हो? हमारे जो करोड़ों लोग इस देश में रहते हैं, उनमें अधिकतर लोग गरीब हैं। कैसे उनका भला हो, कैसे आगे बढ़ें, कैसे उनमें बाहुबल आए, कैसे उनका मन, दिमाग ठीक हो, कैसे हमारा देश और उसके लोग सारी दुनिया में आगे बढ़ें। ये हमारे सामने प्रश्न थे, आज से नहीं, बरसों से, जब से हमें स्वराज्य मिला है तब से। खाली स्वराज्य मिलना तो काफी नहीं था। स्वराज्य तो यात्रा की एक मंजिल थी। अब उससे भी बड़ी यात्रा शुरू हुई। भारत की सारी जनता एक बड़ी कहानी लिख रही है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के रायपुर अधिवेशन में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए

(1) दुनिया में लड़ाई न हो इसलिए जो बड़े-बड़े हथियार हैं बड़े देशों में, उनको हटा देना चाहिए, उनका अंत कर देना चाहिए, चाहे एटम बम हो, चाहे और कोई।

(2) दूसरा प्रस्ताव हमारी पंचवर्षीय योजना का कि कैसे देश की उन्नति हो।

सभा में नेहरूजी ने इन दोनों प्रस्तावों की विस्तार से चर्चा की थी। पंचायती राज पर जोर देते हुए उन्होंने कहा था-'

'ग्रामों में पंचायत हो, वहां भी हम चाहते हैं कि पंचायत में भी आपके लोग हों और आपके लिए काम करें। अफसर अच्छा काम करते हैं लेकिन वो काम का ढंग बदलता है। अब अफसरी ढंग से काम न करें। इसलिए अब पंचायतों को अधिक अधिकार दिया जा रहा है। मुझे यहां तीन दिन हुए आए और इन तीन दिनों में आप लोगों ने बहुत प्रेम से मेरा स्वागत किया। इसके लिए आपसे क्या कहूं सिवाय इसके कि मेरे दिल पर इसका बड़ा असर हुआ। और जो तीन दिन यहां रायपुर में रहा और भिलाई जाना, यह मुझे बहुत याद रहेगा, विशेषकर आपका प्रेम। तो इसके लिए धन्यवाद।

पसंद नहीं आया डी. के. अस्पताल का नया भवन

30 अक्टूबर 1960 को ही नेहरूजी ने डी. के. अस्पताल के नये भवन का उद्घाटन भी किया। वे प्रत्येक कार्य को सुरुचि पूर्ण ढंग से करना जानते थे और यह अपेक्षा भी रखते थे। सौंदर्य को वे व्यक्तियों में कार्यों में और शिल्प में भी तलाश करते थे। तभी तो नए अस्पताल भवन को देख उन्होंने स्पष्ट शब्दों में आलोचना की।उन्होंने कहा था-''इस अस्पताल के बनाने में, आप मुझे माफ करेंगे, कुछ खूबसूरती की तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। खूबसूरती में खर्चा नहीं होता यह गलत ख्याल है। इसमें दिमाग खूबसूरत होता है बनाने वाले का। मैं नहीं चाहता कि इमारतों पर रुपया फिजूल खर्च हो। बहुत खर्च होता है, इसे कम करना चाहिए लेकिन फिर भी ढंग होते हैं बनाने के।

1963 में पुन:रायपुर आगमन

14 मार्च 1963 को उनका पुन: रायपुर आगमन हुआ। उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा-मुझे आपके शानदार कॉलेज को देखने का मौका मिला, कुछ आपकी लेबोरेटरीज में नजर डालने का और आप लोगों के चेहरे देखने का। इससे मुझे खुशी हुई। मैं जहां जाता हूं भारत का चेहरा तलाश किया करता हूं। भारत का चेहरा एक तो नहीं हजारों हैं, इसके हजारों रूप हैं।बहुत जमाना हो गया जब मैंने एक किताब लिखी थी 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' भारत की तलाश थी मुझे और तलाश थी पुराने भारत की।

म्युनिसिपल कमेटी की ओर से उन्हें मानपत्र भेंट किया गया। अपने अभिनंदन का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था-''आज कल हमारी पार्लियामेंट की बैठक हो रही है। दिल्ली छोडऩा थोड़ा कठिन है। फिर भी मध्यप्रदेश आने की मेरी बहुत इच्छा थी। मैंने मुख्यमंत्री से कहा कि मैं दो दिन के लिए प्रदेश में आ सकता हूं। उन पर छोड़ दिया कि दो दिन मैं कहां-कहां जाऊं। उन्होंने एक दिन भोपाल में और दूसरा दिन रायपुर और भिलाई में रखा। इसी से आप समझ सकते हैं कि उनकी राय में और मेरी राय में रायपुर की कितनी अहमियत है। जैसा कि म्युनिसिपल अध्यक्ष ने कहा हमारी आजादी की जंग में और अन्य बातों में भी रायपुर की अच्छी भूमिका रही।

उन्होंने अपने भाषण में चीनी हमले पर अपनी खिन्नता व्यक्त की-''हमारी तो उनसे कोई लड़ाई नहीं थी लेकिन वो हमारे ऊपर फिर हमला करें तो हमें मुकाबला करना ही है। और यदि हम रक्षा नहीं करें तो हम बुजदिल निकम्मे साबित हो जाएं और हमारे देश का सिर नीचा हो जाए। ये बात कभी किसी हिन्दुस्तानी को बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए। 14 मार्च को ही उन्होंने राजकुमार कॉलेज के छात्रों को भी संबोधित किया। इस अवसर पर वयोवृद्ध कवि बाबू मावली प्रसाद श्रीवास्तव ने नेहरूजी के स्वागत में कविता प्रस्तुत की थी। अगले दिन वे भिलाई गए, जहां आम सभा को संबोधित किया। नेहरूजी के लिए भिलाई तीर्थ की तरह था।

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