कांग्रेस हाईमान की पसंद बने मल्लिकार्जुन खड़गे का पार्टी का चीफ बनना तय

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भाजपा के आदिवासी कार्ड का दिया माकूल जवाब, देश के 22 फीसदी दलितों को कांग्रेस के साथ जोड़ने की कोशिश

नई दिल्ली (khabargali) सोनिया, राहुल और प्रियंका के न उतरने से कांग्रेस अध्‍यक्ष पद का चुनाव बेहद दिलचस्‍प हो गया है। आज चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन भारी गहमागहमी के बीच मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन दाखिल करने के साथ ही अगले अध्यक्ष पद के चेहरे पर चल रहे सियासी सस्पेंस का पटाक्षेप हो गया। अशोक गहलोत के रेस से हटने के बाद अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल कई नेताओं को पीछे छोड़ते हुए 80 साल के खड़गे ने अपनी निष्ठा और लंबे राजनीतिक अनुभवों के सहारे कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए नेतृत्व का भरोसा जीत लिया। खड़गे के अध्यक्ष पद के नामांकन की प्रक्रिया के दौरान गांधी परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था ओर इसके जरिए नेतृत्व ने चुनाव में अपनी तटस्थता दिखाने का संकेत दिया।

राजस्थान के घमासान के बाद अध्यक्ष पद की रेस से हटे अशोक गहलोत पार्टी मुख्यालय में खड़गे के नामांकन के मौके पर न केवल सक्रिय रहे बल्कि उनके प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर किए दिग्गजों के अलावा हुडडा, तिवारी, आनंद शर्मा और चव्हाण ने भी उनके नामांकन फार्म में बतौर प्रस्तावक हस्ताक्षर किए और उनके पक्ष में कई नामांकन के कई सेट दाखिल किए गए। अध्‍यक्ष पद के चुनाव के लिए अशोक गहलोत, शशि थरूर, दिग्‍व‍िजय सिंह से लेकर कमलनाथ और मनीष तिवारी तक के नाम सामने आए। हालांकि, अब टक्‍कर शशि थरूर बनाम मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच होती दिख रही है। कांग्रेस में आलाकमान के खिलाफ सबसे मुखर रहने वाले समूह में भी दोफाड़ हो गया है। सियासी गलियारे में इसे जी-23 के नाम से जानते हैं। सियासी गलियारे में चर्चा है कि खड़गे का जीतना लगभग तय है।

साफ है खड़गे का रास्‍ता

कांग्रेस के ज्‍यादातर सीनियर नेताओं के रुख से साफ है कि खड़गे के लिए पार्टी के चीफ बनने का रास्‍ता बहुत कठिन नहीं होगा। वह शशि थरूर पर बहुत ज्‍यादा भारी पड़ेंगे। गांधी परिवार के बैकडोर सपोर्ट की वजह से खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में नामांकन के आखिरी दिन गांधी परिवार के भरोसेमंद मल्लिकार्जुन खड़गे ने वाइल्ड कार्ड एंट्री मारी। गुरुवार देर रात तक सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के बीच नए अध्यक्ष को लेकर मीटिंग हुई, जिसके बाद शुक्रवार सुबह खड़गे को 10 जनपथ पर बुलाया गया था।

भाजपा के आदिवासी कार्ड का माकूल जवाब

सब कुछ सही रहा तो खड़गे बाबू जगजीवन राम के बाद दूसरे दलित अध्यक्ष बनेंगे। कांग्रेस ने खड़गे को आगे करके भाजपा के आदिवासी कार्ड का माकूल जवाब दिया है। एक तरह से इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज में राष्ट्रपति पद के लिए द्रोपदी मुर्मू को आगे लाकर देश के करीब दस फीसदी आदिवासियों को यह संदेश दिया था कि राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर एक आदिवासी महिला को बिठाने का काम पहली बार उनकी अगुआई में भाजपा ने किया है, कुछ उसी तरह राहुल गांधी ने कांग्रेस के शीर्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे करके देश के 22 फीसदी दलितों को कांग्रेस के साथ जोड़ने की कोशिश की है।

असंतुष्ट गुट भी आया खड़गे के साथ

खड़गे की उम्मीदवारी आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस के लिए राहतकारी दिखी क्योंकि पार्टी के असंतुष्ट गुट जी-23 के तमाम नेता न केवल उनके नामांकन पत्र में प्रस्तावक बने बल्कि पर्चा दाखिल करने के दौरान मौजूद रहकर लंबे अर्से बाद पार्टी में असंतोष का दौर थमने की पहली उम्मीद जगाई। अब चुनावी मुकाबले में खड़गे की टक्कर असंतुष्ट जी-23 खेमे के मुखर और तेज तर्रार 66 वर्षीय नेता शशि थरूर से होगी।

थरूर भी डटे, नामांकन दाखिल किया 

कांग्रेस में बदलाव लाने के अपने घोषणापत्र के साथ थरूर ने भी अपना नामांकन दाखिल करते हुए खड़गे के खिलाफ चुनावी मैदान में डटे रहने का ऐलान किया है। हालांकि थरूर के इस चुनावी जोश को जी-23 के बदले रुख से झटका जरूर लगेगा क्योंकि इस खेमे के नेताओं ने खड़गे का सीधे समर्थन किया वहीं थरूर को केवल शुभकामनाएं दी। शशि थरूर ने कहा कि खड़गे कांग्रेस के भीष्म पितामह हैं और उनका कोई निजी विरोध नहीं मगर देश और पार्टी की मौजूदा चुनौतियों के लिए कांग्रेस में कई बदलाव की जरूरत है। कांग्रेस देश में बदलाव लाने वाली पार्टी बने इस मकसद से वे सभी 9000 से अधिक डेलीगेट के सामने अपना एजेंडा रखेंगे और चुनाव मुकाबले से उनके हटने का सवाल नहीं है। थरूर के बाद एक तीसरे उम्मीदवार झारखंड के पूर्व मंत्री केएम त्रिपाठी ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा है।

दिग्‍गजों का रहा जमावड़ा

इसमें खड़गे के पक्ष में अध्यक्ष पद की दौड़ से हटने वाले दिग्विजय सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ एके एंटनी, अंबिका सोनी, कुमारी सैलजा, पवन बंसल, मुकुल वासनिक जैसे चेहरे शामिल थे। लेकिन इससे भी ज्यादा अहम यह था कि हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडृडा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण के रूप में लगभग पूरा जी-23 ही खड़गे का समर्थन करने के लिए वहां मौजूद था।

कांग्रेस की विचाराधारा के लिए लड़ते रहेंगे लड़ाई : खड़गे

लंबे अर्से बाद कांग्रेस में दिखी इस आश्चर्यजनक एकता निसंदेह खड़गे के लिए चुनाव मैदान में उतरने के मौके पर सकारात्मक रही और तभी उन्होंने नामांकन के बाद मीडिया से बात करते हुए सभी नेताओं का उनका समर्थन करने के लिए आभार जताया। साथ ही गांधी, नेहरू और अंबेडकर के उसूलों के अनुरूप कांग्रेस की विचाराधारा के लिए अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे।