नई दिल्ली (khabargali ) केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 81.3 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज के वितरण के समय को और एक साल के लिए बढ़ा दिया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को मुफ्त राशन देने पर करीब दो लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी, इसका बोझ केंद्र सरकार उठाएगी।शुक्रवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसला लिया गया। सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक मुफ्त राशन देने का फैसला किया।केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह तय किया गया कि 81.3 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज बांटने पर होने वाले 2 लाख करोड़ रुपये के खर्च के आर्थिक बोझ को केंद्र सरकार वहन करेगी। रक्षाकर्मियों के लिये ‘वन रैंक, वन पेंशन’ में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि ओआरओपी के संशोधित प्रावधानों का लाभ परिवार पेंशनधारकों के साथ युद्ध में शहीद होने वाले जवानों की विधवाओं एवं दिव्यांग पेंशनधारकों को भी मिलेगा ।ओआरओपी के लाभार्थियों की संख्या करीब पांच लाख बढ़ी है। इसके साथ ही सरकार ने 31 दिसंबर को खत्म होने जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन दिया जाता रहा है। इस योजना के तहत दिया जाने वाला अनाज एनएफएसए के तहत मिलने वाले सब्सिडी-युक्त अनाज से अलग होता है। खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले एनएफएसए कानून के तहत सरकार की तरफ से हरेक पात्र व्यक्ति को हर महीने पांच किलोग्राम खाद्यान्न दो-तीन रुपये प्रति किलो के भाव पर मुहैया कराया जाता रहा है। वहीं अंत्योदय अन्न योजना में आने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज मिलता है। एनएफएस के तहत गरीबों को तीन रुपये प्रति किलो की दर पर चावल और दो रुपये प्रति किलो की दर पर गेहूं मुहैया कराया जाता है।
सरकारी अधिकारियों ने एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले को देश के गरीबों के लिए ‘नए साल का उपहार’ बताते हुए कहा कि लाभार्थियों को अब खाद्यान्न के लिए एक भी रुपया नहीं देना होगा। इस पर आने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के समूचे बोझ को सरकार ही उठाएगी।
- Log in to post comments