
300 साल पुराने मंदिर में नौवीं पीढ़ी कर रही पूजा-पाठ...जानें कुछ और रोचक तथ्य

रायपुर (khabargali) कृष्णा जन्मोत्सव पर राजधानी के भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है सदर बाज़ार स्थित जगन्नाथ मंदिर में जहाँ प्रतिवर्ष अनुसार भव्य रूप से कृष्णा जन्मोत्सव मनाया गया। हर वर्ष के भाँति इस वर्ष भी विधिवत रूप से उत्सव में सभी भक्ति में रात 12 बजे कृष्णा के जन्म को होते देखा।
पुजारी परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में इस वर्ष भी हज़ारी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर इस उत्सव को मनाया । मोहित पुजारी मंदिर ने इस साल इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। पंडित गुणवंत व्यास समिति द्वारा भजन संध्या का भी आयोजन किया जिसके भक्ति गीतों ने समा बांध दिया।
नौंवी पीढ़ी कर रही है पूजा-पाठ
सदरबाजार स्थित जगन्नाथ मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। मंदिर प्रमुख ओमप्रकाश पुजारी ने ख़बरगली को बताया कि क़रीब पांच हजार फीट में बने मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है, तब से लेकर अब तक नौवीं पीढ़ी भगवान जगन्नाथ की सेवा पुजारी के रूप में लगी हैं। सबसे पहले पंडित स्व. परदादा गोपाल प्रकाश तिवारी थे।
हर 12 साल में भगवान का विग्रह नए सिरे से तैयार
ओडिशा के मूल धाम में जिस तरह हर 12 साल में भगवान का विग्रह नए सिरे से तैयार किया जाता है, उसी तरह सदर बाजार मंदिर का रथ हर 12 साल में बदला जाता है, लेकिन भगवान की मूर्तियां नहीं बदली जातीं। भगवान का रथ इससे पहले 2010 में बनाया गया था और अब इसी वर्ष नया बनेगा।
पिपली गांव से आती हैं श्रृंगार सामग्री
श्री मूर्तियों की विशेष श्रृंगार सामग्री ओड़िसा के पुरी मंदिर से 20 किलोमीटर दूर पिपली गांव से मंगाई जाती है। नीम व चंदन से निर्मित है श्री प्रतिमा पुजारी ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार सन् 1930 यानी हिन्दू संवत्सर 1986 में किया गया। मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ, बड़े भैय्या बलदाऊ एवं बहन देवी सुभद्रा की प्रतिमाएं चंदन और नीम मिश्रित लकड़ी से बनी हैं, जो सैकड़ों साल तक खराब नहीं होतीं।
मंदिर में कोई ट्रस्टी नहीं
राजधानी का यह पहला मंदिर है, जहां कोई ट्रस्ट नहीं है। मंदिर का संचालन पुजारी परिवार के सदस्य आपस में मिलजुलकर करते हैं। इसके अलावा कांकेर राजघराने के राजा प्रवीण भंजदेव द्वारा दान में दी गई 123 एकड़ जमीन जो भानुप्रतापपुर के बारादेवरी ग्राम में है, उसकी देखरेख भी पुजारी परिवार कर रहा है।
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