सेनाध्यक्ष बिपिन रावत होंगे देश के पहले CDS, कैबिनेट कमेटी ने लगाई मुहर.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief Defense of Staff), सैन्य मामलों के प्रमुख होंगे और वह चार स्टार जनरल होंगे.
नई दिल्ली ( khabargali ) भारतीय थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत देश के पहले चीफ डिफेंस स्टाफ हो सकते हैं. यह जानकारी सूत्रों ने दी है. सूत्रों के अनुसार कैबिनेट कमेटी ने रावत के नाम पर मुहर लगा दी है. आपको बता दे कि बिपिन रावत 31 दिसंबर को सेना से सेवानिवृत हो रहे हैं. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा. अधिकारियों ने बताया कि सीडीएस अन्य सेना प्रमुखों के समान ही होंगे. हालांकि, प्रोटोकाल की सूची में सीडीएस, सेना प्रमुखों से ऊपर होंगे.
उनकी नियुक्ति को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी को पहले ही हरी झंडी मिल चुकी थी. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले न्युक्लियर कमांड अथॉर्रिटी के भी सदस्य होंगे.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का ये होगा काम
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का काम तीनों सेनाओं में तालमेल और समन्वय स्थापित करना है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेंगे. हालांकि तीनों सेनाओं के चीफ पहले की तरह खास मामलों में रक्षामंत्री को सलाह देने का काम करते रहेंगे. चीफ ऑफ डिफेंस बिना रक्षा सचिव की मंजूरी के रक्षा मंत्री से सीधे मुलाकात कर सकेंगे.
एक दिन पहले ही मोदी सरकार ने सेवा नियमों में संशोधन किया था
एक दिन पहले ही मोदी सरकार ने तीन सशस्त्र बलों के सेवा नियमों में संशोधन किया था, जिनमें सेना प्रमुखों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है. 1999 में कारगिल युद्ध समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का सुझाव दिया था. सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी. इस समिति ने सीडीएस की जिम्मेदारियों और ढांचे को अंतिम रूप दिया था.
2016 में देश के 27वें थल सेनाध्यक्ष बने थे रावत
सितंबर 2016 में देश के 27वें थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत भारतीय सेना के वाइस चीफ बने थे. जनरल दलबीर सिंह सुहाग के रिटायर होने के बाद जनरल बिपिन रावत ने 31 दिसंबर 2016 को भारतीय सेना की कमान संभाली थी. जनरल बिपिन रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है. जनरल रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत कई सालों तक भारतीय सेना में रहे. जनरल बिपिन रावत इंडियन मिलिट्री एकेडमी और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में पढ़ चुके हैं. इन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस सर्विसेज में एमफिल की है. गोरखा ब्रिगेड से निकलकर सेनाध्यक्ष बनने वाले जनरल बिपिन रावत पांचवे अफसर हैं. 1987 में चीन से छोटे युद्ध के समय जनरल बिपिन रावत की बटालियन चीनी सेना के सामने खड़ी थी. जनरल रावत को 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटैलियन में कमिशन मिला था. 1986 में उन्होंने चीन से लगे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर इन्फेन्ट्री बटैलियन संभाली थी. जनरल रावत 5 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिविजन की भी अगुआई कर चुके हैं. कॉन्गो में यूएन पीसकीपिंग मिशन के मल्टीनैशनल ब्रिग्रेड की अगुआई ब्रिगेडियर के तौर पर उन्होंने की थी.
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