सूर्यग्रहण है जारी..जानें ग्रहण के बाद क्या करें

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2 घंटे का सूर्यग्रहण शाम 6.9 मिनट पर खत्म होगा

रायपुर (khabargali)आज 25 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। आज का ग्रहण भारत में करीब 2 घंटे का रहेगा। 27 साल बाद दिवाली के बाद लगा आंशिक सूर्य ग्रहण। यह सूर्य ग्रहण भारत में 30 प्रतिशत जबकि रूस और चीन में यह 80 प्रतिशत सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। भारत में अमृतसर में सबसे पहले दिखा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण। आइसलैंड में भारतीय समय के अनुसार दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से ग्रहण शुरू हो चुका है। शाम 4 बजकर 30 मिनट पर रूस में ग्रहण अपने चरम पर होगा और 6 बजकर 33 मिनट पर ग्रहण खत्म हो जाएगा।

दुनियाभर की बात करें, तो अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक आज का सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया में दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा, जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में दिखेगा। दिवाली के बाद ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद कल मनाया जायेगा।

छत्तीसगढ़ में भी आज सूर्यग्रहण की वजह से मंदिरों के पट बंद हैं। लोग गोवर्धन पूजा कल और भाई दूज परसों मनायेंगे। अब गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को होगी। 2022 के बाद दीपावली और सूर्य ग्रहण का योग 2032 में 3 नवंबर को बनेगा। इस बार दीपावली पर सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में हैं, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। और इसका सूतक सुबह चार बजे से शुरू हो गया है।

 

सूतक में क्यों नहीं होती भगवान की पूजा ?

आज तड़के ही सूतक काल शुरू हो चुका है। शास्त्रों में सूतक लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर भगवान की पूजा-पाठ करना भी वर्जित होता है। दरअसल शास्त्रों में सू्र्य और चंद्रमा को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। ग्रहण के दौरान राहु-केतु सू्र्य और चंद्रमा को कुछ देर के लिए अपना ग्रास बना लेते हैं ऐसे में कुछ पलों के लिए राहु-केतु जैसे अशुभ ग्रह इन पर भारी रहते हैं। भगवान को कष्ट आने पर इसलिए उनकी पूजा नहीं की जाती क्योंकि ग्रहण के दौरान जब साधक भगवान की प्रार्थना करता है तो देवी-देवताओं को कष्ट में जागृति होना पड़ता है। इस कारण से ग्रहण के दौरान कष्ट को कम करने के लिए लगातार मंत्रों का जाप होता है।

ग्रहण के बाद क्या करें ?

ग्रहण काल के बाद लोगों को चाहिए कि स्नान कर खुद को पवित्र करें और मंदिर के देवी-देवताओं को भी स्नान कराएं। घर के मंदिर में बैठे देवताओं व घर में गंगाजल का छिड़ककर स्थान को पवित्र करें। जो लोग ग्रहण के दौरान अन्न-जल नहीं लिया वे अब ग्रहण के बाद भोजन कर सकते हैं। ग्रहण का सूतक काल ग्रहण ग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले और ग्रहण समाप्ति के 12 घंटे बात तक माना गया है। ऐसे में सूतक काल समाप्त होने के बाद ही मंदिरों में पूजा होगी। हालांकि जो लोग ज्योतिष या सनातन परंपराओं में आस्था नहीं रखने उन्हें कुुछ भी करने की जरूरत नहीं है।

क्यों पड़ता है सूर्यग्रहण ?

खगोलशास्त्र के अनुसार, सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी जब एक ही सीध पर आ जाते हैं तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी के कुछ हिस्से पर कुछ देर के लिए सूर्य की रोशनी बाधित करता है। इसे ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को पड़ता है जबकि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा की तिथि को।

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