
रायपुर (khabargali) पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में अब नियमित रूप से कोरोनरी बायपास सर्जरी होने लगेगी। यही नहीं, बच्चों की क्रिटिकल हार्ट सर्जरी की सुविधा भी शुरू की जाएगी। दरअसल, एक कार्डियक एनेस्थेटिस्ट ने संविदा में ज्वॉइन कर ली है। वेतन भी हर माह 2 लाख रुपए मिलेगा। पहले एक लाख वेतन में कोई ज्वॉइन करने को तैयार नहीं था। हाल में राज्य शासन ने नेहरू मेडिकल कॉलेज में संविदा में सेवा दे रहे सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों का वेतन बढ़ाया था। डीकेएस में पहले से बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा है।
अक्टूबर 2017 में एसीआई शुरू होने के बाद इस साल फरवरी में यानी 8 साल बाद पहली कोरोनरी बायपास सर्जरी शुरू हुई थी। दरअसल, यहां एक संविदा में कार्डियक एनेस्थेटिस्ट सेवाएं दे रही थीं, लेकिन कम वेतन का हवाला देकर निजी अस्पताल चली गई थी। ओपन हार्ट सर्जरी भी ठप थी। यही नहीं, इंप्लांट सप्लाई नहीं होने से वेस्कुलर सर्जरी समेत कोई भी ऑपरेशन नहीं हो रहा था। अब इंप्लांट की नियमित रूप से सप्लाई होने लगी है और अब तक 4 मरीजों की बायपास सर्जरी की जा चुकी है। इससे हार्ट के मरीजों को निजी अस्पतालों व एम्स के अलावा एसीआई में ऑपरेशन कराने का विकल्प मिलेगा। उन्हें आयुष्मान भारत योजना के पैकेज में सर्जरी हो जाएगी। मरीजों को अतिरिक्त राशि देने की जरूरत नहीं है।
225 से ज्यादा हो चुकी है ओपनहार्ट सर्जरी
एसीआई में 225 से भी ज्यादा हार्ट की सर्जरी की जा चुकी है। यही नहीं, 1555 से भी ज्यादा हार्ट, चेस्ट, फेफड़े एवं खून की नसों के ऑपरेशन किए जा चुके हैं। ऐसे केस में किडनी फेल होने व डायलिसिस कराने की नौबत आ सकती है। बायपास में आर्टेरियल ग्राफ्ट (लेफ्ट इन्टरनल मेमेरी आर्टरी ) एवं सैफेनस वेन का प्रयोग किया गया। दरअसल, आर्टेरियल ग्राफ्ट की लाइफ ज्यादा होती है। ऑपरेशन के दौरान मरीज की एलएडी (लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी ) इन्ट्रामस्कुलर थी जिसको सर्जरी के दौरान ग्राफ्टिंग करना बहुत ही जटिल होता है।
बायपास व ओपन हार्ट सर्जरी में अंतर ऐसा
ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान छाती को खोलकर हार्ट लंग मशीन की मदद से हार्ट व फेफड़ों के कार्य को बंद किया जाता है। फिर हार्ट के चेंबर को खोलकर या तो वॉल्व बदला जाता है या फिर रिपेयर किया जाता है। यही नहीं, फिर दो चेंबर के बीच छेद को बंद कर दिया जाता है। बायपास सर्जरी में छाती को खोला जाता है, परंतु हार्ट के चेंबर को नहीं खोला जाता। यह तब किया जाता है, जब हार्ट के मांसपेशियों को सप्लाई करने वाली नस, जिसको कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है, में ब्लॉकेज होता है। इसको कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहा जाता है।
बच्चों की क्रिटिकल हार्ट सर्जरी होगी
कार्डियक एनेस्थेटिस्ट के ज्वॉइन करने के बाद अब नियमित रूप से कोरोनरी बायपास सर्जरी होने लगी है। जल्द ही बच्चों की क्रिटिकल हार्ट सर्जरी की जाएगी। हमारी मंशा है कि हार्ट के मरीजों की सभी सर्जरी यहां हो। कोई भी मरीज यहां से लौटकर न जाए।
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