विरोध प्रदर्शन और रोड़, टोल प्लाजा व रेलवे का चक्का-जाम करने से आर्थिक गतिविधियों को हो रही बड़ी क्षति
सरकार और किसान संगठन जल्द निकालें समाधान: ASSOCHAM
जम्मू रेलवे का 2400 करोड़ नुकसान होने का अलग दावा
नई दिल्ली (khabargali) देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार और किसान संगठनों से किसानों के मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का अनुरोध किया है। एसोचैम ने आज मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि मौजूदा विरोध प्रदर्शनों से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश क्षेत्र की परस्पर अर्थव्यवस्थाओं को बड़ा नुकसान हो रहा है। किसानों के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के चलते हर दिन 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
एसोचैम ने यह चिंता बतलाई
एसोचैम ने कहा कि किसानों के मौजूदा विरोध प्रदर्शन और रोड़, टोल प्लाजा व रेलवे का चक्का-जाम करने से आर्थिक गतिविधियों को बड़ी क्षति पहुंची है। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल राज्यों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और बागवानी पर आधारित है। देशभर में फलों और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण सप्लाई चेन में रुकावट भी है, क्योंकि आंदोलन से प्रभावित क्षेत्र इन वस्तुओं का एक बड़ा उत्पादक है। फूड प्रोसेसिंग, कॉटन टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फॉर्म मशीनरी, आईटी आदि विभिन्न उद्योग इन राज्यों की लाइफलाइन है। इसके अलावा टूरिज्म, ट्रेडिंग, ट्रांसपोर्ट और हॉस्पिटैलिटी जैसी विभिन्न जीवंत सेवाएं इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करती हैं। टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, साइकिल, स्पोर्ट्स के सामान जैसे निर्यात बाजार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाले उद्योग क्रिसमस के इस सीजन में अपने ऑडर्स को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे वैश्विक खरीदारों के बीच हमारी साख घट रही है।
सबसे अधिक असर ट्रांसपोर्ट कारोबार पर
किसान आंदोलन का सबसे अधिक असर ट्रांसपोर्ट कारोबार पर पड़ रहा है। जिले के ट्रांसपोर्टरों के करीब साढ़े तीन सौ ट्रक इस आंदोलन के कारण फंसे हुए हैं, कई इधर-उधर से लंबी दूरी तय कर आ रहे हैं। इससे ईंधन ज्यादा खर्च हो रहा है। दूसरी तरफ बुकिंग न मिलने से भी ट्रांसपोर्टरों को भारी नुकसान हो रहा है। ट्रांसपोर्टरों के ट्रक दिल्ली, एनसीआर, राजस्थान, यूपी व मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं। कई जगह माल से लदे हुए ट्रक दो-तीन दिन तक सड़कों पर खड़े हुए हैं। आंदोलन के चलते 30 से 40 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट की गाड़ियां दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में नहीं पहुंच पा रही हैं। इस हिसाब से रोज 200 से 250 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
जनजीवन पर पड़ रहा असर
दिल्ली की सीमाओं पर चले रहे किसान आंदोलन से सब्जियों, फलों, दूध और खाद्य पदार्थों के साथ अन्य जरुरी सामानों को ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित हो रहा है। नतीजा यह है कि इनके दाम में लगातार बढोतरी हो रही है। यूपी, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश सहित आसपास के अन्य राज्यों से ट्रांसपोर्टेशन पर आंदोलन का असर दिखाई दे रहा है। इन सभी राज्यों से 65 प्रतिशत खाद्य सामानों की ढुलाई होती है। इसके अलावा सेब, आलू और प्याज सहित हरि सब्जियों की माल ढुलाई ठप होने से उत्तर भारत में महंगाई भी बढ़ रही है।
बहादुरगढ़ के उद्योगों में ठप हुआ उत्पादन, दो हजार करोड़ से अधिक का नुकसान
आंदोलन से बहादुरगढ़ के फुटवियर समेत अन्य उद्योगों के संचालन पर संकट छाया हुआ है। यहां के अधिकांश उद्योगों में उत्पादन ठप हो गया है फिर न के बराबर हो रहा है। कच्चा माल न आ पाने और तैयार माल फैक्ट्रियों में अटक गया है। बहादुरगढ़ के उद्योगों को इस दौरान करीब दो हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। दिल्ली-रोहतक रोड पर आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र(एमआइई) के पास मामा-भांजा चौक भी पांच दिन से बंद है। यहां पर किसानों ने ट्रैक्टर-टाली अड़ा दिए हैं। प्लास्टिक का दाना, ग्लू, कॉपर समेत सारा कच्चा माल नहीं मिल रहा, तैयार माल भी फैक्ट्रियों में अटका हुआ है।
पंजाब के गर्म कपड़े और हरियाणा का हैंडलूम व्यापार हो रहा है प्रभावित
ट्रांसपोर्टेशन रुकने के कारण सबसे ज्यादा एफएमसीजी के उत्पादों की सप्लाई प्रभावित हो रही है। इसके अलावा हरियाणा से हैंडलूम मटेरियल, पंजाब से गर्म कपड़े, औजार, प्लाईवुड, इंजीनियरिंग वुड, कंप्यूटर मोबाइल के स्पेयर पार्ट्स, उद्योगों में प्रयोग होने वाला कच्चा माल, खिलौनों का मार्केट प्रभावित होते दिख रहे हैं।
जम्मू रेलवे का 2400 करोड़ नुकसान का दावा
यूं तो रेल पटरियों पर हो रहे प्रदर्शन से भारतीय रेलवे को बेहद नुकसान हो रहा है लेकिन इधर जम्मू रेलवे का दावा है कि किसान आंदोलन के चलते उसे ही 2000 से 2400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कश्मीर घाटी को साल 2022 के अंत तक रेल मार्ग से जोड़े जाने की संभावना है। कश्मीर को रेल मार्ग से जोड़ने तीन चरणों में काम चल रहा है। जिसमें पहले चरण में 118 किलोमीटर क़ाज़ीगुंड-बरमुल्ला, 18 किलोमीटर बनिहाल-क़ाज़ीगुंड का काम पूरा हो चुका है।जम्मू में मीडिया से बात करते हुए उत्तरी रेलवे के जनरल मैनेजर आशुतोष गंगल ने दावा किया कि किसान आंदोलन से काम प्रभावित हो गया है।
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