बड़ी खबर: लॉकडाउन 3 के बीच शराब बेचने पर क्यों मजबूर हुई सरकार ?

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शराब पर निर्भर है राज्यों की अर्थव्यवस्था.. शराब नहीं बिकने से राज्यों को हर दिन 700 करोड़ रुपए तक  हो रहा था नुकसान

शराब बेच कर हर साल 24% तक की कमाई कर लेती हैं सरकारें

नई दिल्ली (khabargali) देश मे 4 मई से शराब की दुकानें क्या खुली कि अब तक लॉकडाउन के चलते जो मदिरा प्रेमी कोरोना संक्रमण के खौफ़ के चलते अपने घरों में थे, निकल पड़े सड़कों पर और जा पहुंचे एक बड़ी भीड़ के रूप में शराब दुकानों पर. कइयों के मुंह मे फेस मास्क नहीं था.. जहां सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ीं तो कई जगह पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. लेकिन, सवाल यह है कि जब 40 दिन से देश में टोटल लॉकडाउन था और 17 मई तक भी लॉकडाउन ही रहेगा, तो फिर शराब की दुकानें खोलने की क्या जल्दबाजी थी? जवाब है- राज्यों की अर्थव्यवस्था. दरअसल, शराब की बिक्री से राज्यों को सालाना 24% तक की कमाई होती है। शराब नहीं बिकने से राज्यों को हर दिन 700 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो रहा था जिसे कम करने के लिए ही शराब की दुकानें खोली गई हैं. दरअसल, शराब और पेट्रोल ये दो ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें जीएसटी से बाहर रखा गया है. जिन पर राज्य सरकारें अपनी ज़रूरत के हिसाब से टैक्स लगाकर सबसे ज़्यादा राजस्व वसूलती हैं. जिन राज्यों में शराब बिकती हैं वहां सरकार के कुल राजस्व का पंद्रह से पच्चीस फ़ीसदी हिस्सा शराब से ही आता है. पिछले साल ही शराब बेचने से राज्य सरकारों को 2.5 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था.

पहले दिन 5 राज्यों में ही बिक गई 554 करोड़ रुपए की शराब

आप जान कर हैरान हो जाएंगे कि देश के 5 राज्यों में एक ही दिन में 554 करोड़ रुपए की शराब बिक गई. सोमवार को उत्तर प्रदेश में 225 करोड़, महाराष्ट्र में 200 करोड़, राजस्थान में 59 करोड़, कर्नाटक में 45 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 25 करोड़ रुपए की शराब बिकी.

शराब इंडस्ट्री का बना था दबाव

इंडस्ट्री तो काफी समय से शराब की बिक्री खोलने के लिए भारी दबाव बना ही रही थी, हरियाणा जैसी कई राज्य सरकारें भी इसकी मांग कर रही थीं. राजस्थान सरकार ने तो लॉकडाउन के बीच ही आबकारी शुल्क बढ़ा दिया था, जैसे उसे पहले से ही यह पुख्ता उम्मीद हो गई थी कि लॉकडाउन 3 में शराब की बिक्री खोली जाएगी. राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री से आता है. लॉकडाउन की वजह से इन दोनों की बिक्री ठप थी, इस​ वजह से राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो गई थी. हालत यह हो गई थी कि कई राज्यों को 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा था.

वित्त वर्ष 2019-20 में ये थी कमाई

शराब की बिक्री से वित्त वर्ष 2019-20 में महाराष्ट्र ने 24,000 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश ने 26,000 करोड़, तेलंगाना ने 21,500 करोड़, कर्नाटक ने 20,948 करोड़, पश्चिम बंगाल ने 11,874 करोड़ रुपये, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपये और पंजाब ने 5,600 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था. दिल्ली ने इस दौरान करीब 5,500 करोड़ रुपये का आबकारी शुल्क हासिल किया था. राज्य के कुल राजस्व का यह करीब 14 फीसदी है. बिहार और गुजरात में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

पीने- पिलाने वालों की भी कमी नही

देश में हर व्यक्ति सालाना 5.7 लीटर शराब पीता है भारत में शराब पीने वाले भी हर साल बढ़ते जा रहे हैं। 2018 में डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इसके मुताबिक, देश में 2005 में हर व्यक्ति (15 साल से ऊपर) 2.4 लीटर शराब पीता था, लेकिन 2016 में ये खपत 5.7 लीटर हो गई। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि देश का हर व्यक्ति शराब पीता है। इसके साथ ही पुरुष और महिलाओं में भी हर साल शराब पीने की मात्रा भी 2010 की तुलना में 2016 में बढ़ गई। 2010 में पुरुष सालाना 7.1 लीटर शराब पीते थे, जिसकी मात्रा 2016 में बढ़कर 9.4 लीटर हो गई। जबकि, 2010 में महिलाएं 1.3 लीटर शराब पीती थीं। 2016 में यही मात्रा बढ़कर 1.7 लीटर हो गई।

देश में कोरोना भयावह स्थिति पर

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार आज देश में कोरोना संक्रमितो की संख्या 46433 हुई. भारत में आज दिन में ही मिले 3900 नए मरीज, मौतों का आकड़ा भी तेजी से बढ़ा..अब तक 1568 लोंगो की हो चुकी है मौत. जबकि पिछले 24 घंटे में हुई सबसे ज्यादा 195 मौतें और मील सबसे ज्यादा नए मरीज.

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