छत्तीसगढ़ में बिजली 6% महंगी हुई

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शहरी और ग्रामीण दोनों को ऑनलाइन बिल पे करने पर मिलेगी छूट..भाजपा ने किया विरोध..कांग्रेस ने यह कहा

रायपुर (khabargali) 3 साल के बाद छत्तीसगढ़ में बिजली की कीमत बढ़ी है। विद्युत नियामक आयोग ने नये टैरिफ का ऐलान किया है। जानकारी के मुताबिक औसत 48 पैसे प्रति युनिट बिजली की कीमत बढ़ी है। हालांकि कुछ राहत की भी खबर है। टैरिफ 1 अगस्त से लागू हो जायेगा। बिजली नियामक आयोग ने कहा है कि घरेलू उपभोक्ताओं से फिक्सड चार्ज लिया जायेगा। बिजली नियामक आयोग ने निर्देश दिया है कि अब 5000 रूपये से ज्यादा बिजली बिल का भुगतान आनलाइन किया जायेगा। गैर सब्सिडी वाले कृषि पंप को उर्जा प्रभार में 10 प्रतिशत की छूट को 20 प्रतिशत किया गया है।

चेयरमैन हेमंत शर्मा के मुताबिक राजस्व में लगातार कमी की वजह से ये बढ़ोत्तरी की जानी जरूरी थी। पिछले साल भी इसमें बढ़ोत्तरी किया जाना था, लेकिन नहीं किया जा सका।चेयरमैन हेमंत वर्मा के मुताबिक 2021-22 के लिए औसत दर 6.41 होगी, जबकि पिछले साथ ये दर 5.93 थी। सभी वर्गों में थोड़ी दरों में वृद्धि की गयी है, जो औसत 6 प्रतिशत है। उद्योगों को 30 घंटे की जगह पर 36 घंटे बिजली दी जायेगी। वहीं ग्रामीण और अलग-अलग प्राधिकरण में संचालित हास्पीटल और नर्सिंग होम में उर्जा प्रभार में छूट को 5 से 7 प्रतिशत किया गया है।उपभोक्ताओं के लिए बिजली से संबंधित नई खबर यह भी है कि पाँच हज़ार से अधिक बिल का भुगतान आनलाइन किए जाने पर छूट दी जायेगी।

विधायक बृजमोहन ने की आलोचना

भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश में बिजली की दर पर वृद्धि किए जाने की तीखे शब्दों में आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार सीधे-सीधे जनता को लूटने में लगी है। कोविड-19 के दौर में जब लोग आर्थिक रूप से परेशान हैं,लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है। व्यवसाय व व्यापार की हालत चिंताजनक है। ऐसे समय में 6 प्रतिशत विद्युत दरों में वृद्धि प्रदेश की जनता के साथ अन्याय है। अग्रवाल में कहा है कि प्रति यूनिट 48 पैसे बिजली का दर में वृद्धि,बिजली की औसत दरों में 6 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। साल 2021-22 के लिए औसत दर 6.41 प्रति यूनिट तय की है। पिछले साल ये दर 5.93 प्रति यूनिट थी। पिछले साल की तुलना में 48 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा है। कांगेस ने बिजली बिल हाफ का धोखा देकर जनता से वोट लिया। सत्ता में बैठते ही बिजली बिल हाफ की योजना से मुंह मोड़कर उसे 200 यूनिट की झुनझुना पकड़ाकर बाध्यता में कैद कर दिया गया। पिछले ढाई साल में जनता को पग-पग में धोखा दिया गया। अग्रवाल ने प्रदेश सरकार पर तंज कसा है कि महंगाई का रोना रोने वाली कांग्रेस को अब महंगाई की याद नहीं आई। उन्होंने सरकार से बिजली की बढ़ी हुई दरें तत्काल वापस लेने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दो बार दरे कम हुयी एक बार बढ़ी है :शैलेश नितिन त्रिवेदी

वहीं प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दो बार दरे कम हुयी और सिर्फ एक बार बढ़ी है। कम होने वाली दरे और ज्यादा होने वाली दरों को देखे तो 3 साल में कुल बिजली दर में वृद्धि 3.3 प्रतिशत है। अर्थात प्रतिवर्ष 1.1 प्रतिशत। इसे रमन सिंह सरकार के कार्यकाल के संदर्भ में देखे तो रमन सिंह सरकार तो लगातार बिजली महंगी करती थी। 2004-05 बिजली 3 रू 27 पैसे प्रति यूनिट थी। जिसे 2018 19 में 6 रू. 20 पैसे किया रमन सिंह सरकार ने। 90 प्रतिशत की वृद्धि हुयी। 15 वर्ष में 9 बार बिजली दर बढ़ायी गयी। औसत वृद्धि रमन सिंह सरकार में हर वर्ष 6 प्रतिशत होती थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने न्यूनतम वृद्धि की है और ये भी वृद्धि केन्द्र सरकार के द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमते मंहगी करने और परिवहन लागत बढ़ने के कारण हुयी है। 27 महिने में छत्तीसगढ़ सरकार ने 39.63 लाख उपभोक्ताओं को 1822 करोड़ रूपये की छूट बिजली बिल हाफ कर के दी है। त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में अभी दरे 6 प्रतिशत बढ़ायी गयी। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ की बिजली की दरे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और पंजाब से कम है। छत्तीसगढ़ सरकार बिजली बिल हाफयोजना जारी रखेगी अर्थात उपभोक्ताओं को दरो में छूट मिल रही है वो यथावत रहेगी। 27 महिनों में लगभग 39.63 लाख उपभोक्ताओं को 1822 करोड़ की राहत बिजली बिल हाफ कर के छत्तीसगढ़ सरकार ने की है। बिजली के दरों में हुयी 6 प्रतिशत की वृद्धि पर भी बिजली बिल हाफ की योजना लागू होगा जिसका लाभ जनता को मिलेगा। भाजपा की सरकार 90 प्रतिशत बिजली बढ़ायी 15 साल में और औसत हर साल प्रतिशत बिजली बढ़ाती थी उस भाजपा के लोग किस मुंह से छत्तीसगढ़ सरकार की आलोचना करते है।  

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