CRPF जवान को छुड़ाने जंगल में गए 93 वर्षीय ताऊ, लोग जिन्हें कहते हैं 'बस्तर का गांधी'

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बीजापुर(khabargali)। छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर में सुरक्षाबलों ने बीते शनिवार को नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया था, जिसके बाद जंगल के अंदर भीषण मुठभेड़ हुई। इस दौरान 23 जवान शहीद हो गए, जबकि 31 गंभीर रूप से घायल थे। वहीं एक सीआरपीएफ जवान को नक्सलियों ने बंदी बना लिया। करीब 5 दिन बाद नक्सलियों ने कुछ पत्रकारों और मध्यस्थों की मौजूदगी में उन्हें रिहा कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में बस्तर के 'गांधी' की भूमिका काफी अहम रही। आइए जानते हैं कौन हैं ताऊ धर्मपाल सैनी?

ताऊ से सीएम ने भी की थी अपील

दरअसल जब नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह मनहास को बंधक बनाया था, तो उन्होंने सरकार से मध्यस्थ को चुनने को कहा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ताऊ से जवान को सकुशल लाने की अपील की थी। कहा जाता है कि ताऊ की बस्तर के इलाके में अच्छी पकड़ है। आम लोगों के साथ नक्सली भी उनका काफी सम्मान करते हैं। मौजूदा वक्त में उन्हीं की वजह से बस्तर के इलाके में लड़कियां उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं। 93 वर्षीय ताऊ के बस्तर आने की कहानी भी काफी दिलचस्प है।

घटना जिसने बदल दी जिंदगी

स्थानीय लोगों के मुताबिक 45 साल पहले दशहरा से लौट रही लड़कियों के साथ कुछ लड़कों ने छेड़छाड़ की। इस दौरान लड़कियों ने आरोपियों के हाथ-पैर काटकर उनकी हत्या कर दी। ये खबर पढ़कर धर्मपाल सैनी काफी दुखी हुए और वो बस्तर आ गए। वो वहां की लड़कियों की जांबाजी से भी प्रभावित थे। तब से वो यहीं आकर बस गए और लड़कियों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया। आज उन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि बस्तर जैसे इलाके में साक्षरता का ग्राफ 10 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है।

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सरकार ने पद्मश्री से नवाजा

ताऊ ने डिमरापाल में एक आश्रम खोल रखा है, जहां पर लड़कियों को शिक्षा दी जाती है। अगर आप आश्रम के अंदर जाएंगे तो वहां पर लड़कियों की जीती सैकड़ों ट्रॉफियां रखी मिल जाएंगी। वहीं अब तक स्पोर्ट्स में 30 लाख से ज्यादा की धनराशि भी उन्होंने जुटा ली है। ताऊ की इन उपलब्धियों की खबर सरकार को भी है, जिस वजह से 1992 में ही उनको पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वो चाहते हैं कि इलाके में शांति बहाल हो, इस वजह से बातचीत की भी बात करते रहते हैं।

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