गिफ्ट देने वाला सर्वाधिक लोकप्रिय चरित्र, सांताक्रूज : वसंत वीर उपाध्याय के वॉल से

Vasantveer upadhyai ke waal se

रायपुर (khabargali)

उपहार पाने व देने दोनो का एक अलग आनन्द है।इस आनन्द को क्रिसमस आते ही सांताक्लाज को याद कर महसूस किया जा सकता है।इसी याद में बाजार सज चुका है। रक्तिम व श्वेत रंग के परिधान ठेले,सड़क किनारे व आसपास अककर्षण का केंद्र बने हैं।एक रात या एक दिन के लिए ही सही यह परिधान पहनने वाले उपहार देने के भाव को समझ पाते हैं।

ब्रिटेन की संसद में कल गीता के महत्व को प्रतिपादित किया और आज मुझे गीता की वह पंक्ति याद आ रही है, क्या लेकर आए थे,क्या ले कर जाओगे। जो इस महावाक्य को समझ गए तो ठीक न समझे तो ठीक।सलीब पर लटके ईसा का वह वचन भी याद आता है,हे परमात्मा इन्हें माफ करना, इन्हें नही मालूम ये क्या कर रहे हैं। बाजार व बाज़ारवाद से अलग अध्यात्म की दुनिया कुछ और है जिसके सत्य को समय आने पर समझना ही होता है।

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वसंत वीर उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार