
नयी दिल्ली (khabargali) केन्द्र सरकार ने अपने पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) मसौदा 2020 की अधिसूचना पर आपत्तियां दर्ज कराने और सुझाव देने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने का जो फैसला लिया है उस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज सोमवार को कहा कि उसे लेकर ''अस्पष्टता'' है और यह जनता के लिये ''अनुचित'' है।
अधिसूचना स्पष्ट नहीं है: पीठ
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि ईआईए मसौदा 2020 की अधिसूचना पर आपत्तियां दर्ज कराने और सुझाव देने की समयसीमा 30 जून तक बढ़ाने को लेकर पर्यावरण मंत्रालय की आठ जून की अधिसूचना स्पष्ट नहीं है, क्योंकि क्योंकि इसमें एक तरफ कहा गया है कि समय सीमा 60 दिन के लिये बढ़ाई गई है, वहीं यह भी कहा गया है कि 30 जून को आपत्तियां और सुझाव देने की खिड़कियां बंद हो जाएंगी। मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर आचार्य और केन्द्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने पीठ को बताया कि इस अवधि को 30 जून तक बढ़ाने का इरादा था। एएसजी ने कहा कि ईआईए मसौदा 2020, 11 अप्रैल को प्रकाशित किया गया था और 60 दिन की अवधि पूरी करने के बाद 11 जून को यह खत्म होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसकी अवधि को बढ़ाकर 30 जून करने का फैसला किया गया।
अब तक 1,000 सुझाव आ चुके: एएसजी
एएसजी ने कहा कि अब तक 1,000 सुझाव आ चुके हैं। इसके बाद पीठ ने सलाह दी कि मंत्रालय प्राप्त हुए सुझाव पर गौर करना शुरू करे साथ ही वह और सुझाव प्राप्त करने की प्रक्रिया को कुछ और समय के लिये जारी रख सकता है। एएसजी ने कहा कि वह अदालत के इस सुझाव पर मंत्रालय से निर्देश लेंगी। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई मंगलवार 30 जून के लिए स्थगित कर दी। अदालत ईआईए मसौदा 2020 के संबंध में आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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