जानें ब्लैक फंगस है क्या,किसे है खतरा

Black fungus khabargali

डेस्क(khabargali)। भारत में कोविड-19 के मरीजों में एक दुर्लभ संक्रमण पैदा हो रहा है जो जानलेवा हो सकता है. इसे काली फंगस कहा जा रहा है. श्वसन तंत्र में पैदा होकर यह संक्रमण पूरे शरीर में फैल जाता है. काली फंगस के मरीजों की तस्वीरें भयावह होती हैं. संक्रमण अक्सर नाक की नलियों में शुरू होता है और फिर धीरे-धीरे हड्डियों में पहुंच जाता है. सबसे खराब स्थिति में यह संक्रमण आंखों और मस्तिष्क पर हमला करता है और जान ले सकता है. इस संक्रमण को रोकने के लिए ऑपरेशन किया जाता है जिसके बाद मरीज का चेहरा बिगड़ा हुआ नजर आता है।

क्या है ये बीमारी

वैज्ञानिकों को भारत में कोविड के मरीजों में काली फंगस यानी म्युकरमाइकॉसिस के मामले मिल रहे हैं. जिन मरीजों की रोगरोधि क्षमता या इम्युनिटी कम होती है उनमें म्युकरमाइकॉसिस होने का खतरा ज्यादा होता है. ये ऐसे मरीज भी हो सकते हैं जो कोविड से हाल ही में ठीक हुए हों. म्युकरमाइकॉसिस एक दुर्लभ बीमारी है. यह तब होती है जब लोग म्युकरमाइसिट्स नाम की एक फफूंद के संपर्क में आते हैं. भारत में स्थिति ने वैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है.

जर्मन शहर कोलोन में स्थित यूरोपीयन एक्सिलेंस सेंटर फॉर इनवेजिव फंगल इन्फेक्शंस अंतरराष्ट्रीय शोध पढ़ाने वाले प्रोफेसर ओलिवर कॉर्नली कहते हैं कि हालात बहुत गंभीर हैं. वह कहते हैं, "भारत में डॉक्टर बता रहे हैं कि म्युकरमाइकॉसिस के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. और बड़े अस्पतालों में तो हर दूसरे दिन कोई न कोई मरीज आ रहा है.” हालांकि मरीजों की सटीक संख्या का अभी पता नहीं चल पाया है. लेकिन इसी हफ्ते दक्षिणी शहर बेंगलुरु में 150 मामले मिले हैं. महाराष्ट्र में काली फंगस के दर्जनों मामले मिल चुके हैं.

जल्द ही इलाज जरूरी

डॉक्टर कहते हैं कि काली फंगस का इलाज जल्द से जल्द शुरू करना बहुत जरूरी है. प्रोफेसर कॉर्नली कहते हैं, "इसमें कोई शक नहीं है कि भारत में डॉक्टरों के पास इतना अनुभव है कि वे काली फंगस को पहचान सकें. लेकिन उन्हें भी यह बीमारी बहुत आमतौर पर नहीं दिखती होगी. हालांकि फिलहाल भारत में यही स्थिति है.” ज्यादातर मामलों में इस संक्रमण को ऑपरेशन के जरिए ही रोका जा सकता है.

जब ऐसा होता है तो मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को पूरी आंख ही निकाल देनी पड़ती है. हालांकि यह ऑपरेशन बहुत कम परिस्थितियों में किया जाता है लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि संक्रमित उत्तक को हटाने का यही तरीका है।