कोरोना को लेकर दूर करें कन्फ्यूजन..इसे पढ़ कर अपडेट हो जाएंगे

Korona virus  khabargali

जानें कोरोना को लेकर क्या कहते हैं चिकित्सक

नई दिल्ली (khabargali) कोरोना वायरस को लेकर लोगों ने यहां- वहां इतना सुन- पढ़ लिया है कि कइयों को बड़ा कन्फ्यूजन है कि किसे सही मानें और किसे न मानें। ख़बरगली आपके लिए लाया है एकदम अपडेट जानकारी।

चिकित्सकों के अनुसार कोरोना संक्रमित होने में चार कारकों की अहम भूमिका होती है

1.आप उस व्यक्ति (संक्रमित) के कितने करीब आते हैं; 2.आप कितने समय से उस व्यक्ति के पास हैं; 3. क्या उस व्यक्ति की वायरल ड्रापलेट्स आप पर गिरी; 4.और आप अपने चेहरे को कितना छूते हैं।

जानें वायरल ड्रॉपलेट्स क्या है?

ड्रॉपलेट्स अर्थात छोटी बूंदें वे होती हैं जिनमें वायरल पार्टिकल्स मौजूद होते हैं. एक वायरस एक छोटा कोडपेंडेंट माइक्रोब होता है जो एक सेल से जुड़ता है। उसे अपने कब्जे में ले लेता है और खुद के जैसे कई अन्य वायरस पैदा करता है। फिर अपने अगले होस्ट में चला जाता है। इस वायरस की “लाइफस्टाइल” हैं. जब हम छींकते हैं, खांसते हैं, हंसते हैं, बात करते हैं या सांस लेते हैं, तो वायरस नाक और मुंह से निकले वाले बलगम और लार के अंदर मौजूद होते हैं। जब वे किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में नहीं आते हैं, तो यह आमतौर पर फर्श या जमीन पर पड़ता है। वहीं अगर एक किसी व्यक्ति के संपर्क में आ जाता है, तो उसे ये संक्रमित कर सकता है।

 बीमार व्यक्ति से कितना दूर रहना चाहिए?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने बताया कि बीमार व्यक्ति से तीन फीट दूर रहना सबसे अच्छा है। उन्होंने बताया कि अब तक यह तय नहीं पाया है कि पीड़ित व्यक्ति के कितने देर रहने से या बीमारी दूसरे को हो सकती है। विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि जितनी देर तक आप उसके पास रहेंगे जोखिम उतना ही ज्यादा होगा।

कैसे पता चलेगा कि कोई व्यक्ति बीमार है?

जरुरी नहीं की इसके चपेट में कौन और कब लोग आ जाए। ध्यान रखें कि यदि आप बीमार पड़ते हैं, तो अधिकांश लक्षण सर्दी या फ्लू जैसे होते हैं। हालांकि, कोरोना वायरस के मामने में बिना लक्षणों वाले लोगों ने भी दूसरों को संक्रमित किया है।डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोरोनोवायरस फैलाने वाले अधिकांश लोग संचरण के दौरान बीमार थे।

क्या वायरस टच स्क्रीन, बस में, पोल पर या अन्य ठोस सतहों पर रह सकता है?

विशेषज्ञ बताते है कि बिल्कुल रह सकता है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। यही कारण है कि लॉक डाउन के बीच सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में सभी सार्वजनिक स्थानों को सेनीटाइज किया जा रहा है। शहर के सेंटर फॉर हेल्थ प्रोटेक्शन ने साइट से नमूने एकत्र किए हैं। क्या किसी खास ब्रांड या प्रकार का साबुन इस्तेमाल करना मायने रखता है? कई विशेषज्ञों ने कहा है किसी भी साबुन से घर से बाहर निकल कर लौट कर आने पर हाथ धोना जरूरी है। सभी चिकित्सक कहते है कि सोशल मीडिया में फैल रहे खबरों पर ध्यान ना देकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जा रही जानकारी पर ही लोग ज्यादा से ज्यादा अमल करें ।

कोई खांस- छींक रहा हो तो भयभीत होना चाहिए?

अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे ये पता चल सका हो कि वायरल कण दीवारों या कांच को पार कर जा सकते हैं। यदि एक संक्रमित पड़ोसी किसी एक रेलिंग पर छींकता है और अगर आप इसे छूते हैं, तो यह आपमें फैल सकता है। बिना छूने से अबतक यह बीमारी दूसरे को नही हुआ है। यह भी प्रश्न सामने आ रहे हैं कि सेक्स करने से भी कोरोनावायरस फैलता है क्या। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि किस करने से यह निश्चित रूप से फैल सकता है। वो भी तब जबकि सामने वाला पीड़ित हो तभी। हालांकि कोरोनवायरस आमतौर पर सेक्स से नहीं फैलते हैं। यदि एक बीमार व्यक्ति खाना बनाता है या यह ज्यादा लोगों वाला बुफे है, तो जोखिमों से इंकार नहीं किया जा सकता है । लेकिन भोजन को गर्म खाने या दोबारा गर्म करके खाने से वायरस को मारना चाहिए।

इन दिनों सर्दी खांसी होने पर क्या घबराना चाहिए?

कुछ हफ्तों में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच लोगों की चिंता स्वाभाविक है, लेकिन सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार या वायरल फ्लू से घबराना नहीं चाहिए। कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण सर्दी-खांसी, सीजनल या वायरल फ्लू से मिलते-जुलते हैं। ऐसे में बहुत से लोग सर्दी-खांसी, बुखार होने पर भी संशय में पड़ जाते हैं और घबरा जाते हैं कि कहीं उन्हें कोरोना वायरस तो नहीं! खांसी शरीर की एक तरह से नैचुरल डिफेंसिव एक्शन यानी प्राकृतिक रक्षात्मक प्रतिक्रिया है। हम खांस कर शरीर से बलगम, कफ, धुआं या एलर्जीन जैसी किसी भी जलन या बेकार तत्व बाहर निकालते हैं।

कोरोनावायरस के खांसी के क्या है लक्षण?

कोरोना के 60 फीसदी मामलों में सूखी खांसी प्रमुख लक्षण के रूप में सामने आया है। इसलिए खांसी होते ही लोगों की चिंता स्वाभाविक है। हालांकि सूखी और गीली खांसी में खासा अंतर सूखी खांसी तब होती है जब छाती या श्वसन तंत्र में जलन या सूजन होती है लेकिन कोई बलगम नहीं बनता यह गले में एक खरोंच जैसी चुभन देती है और इसमें कफ नहीं निकलता है। वहीं खांसी के साथ जब शरीर बलगम और कफ को बाहर निकालता है तो यह गीली कहलाती है। खांसी की स्थिति में व्यक्ति अपनी छाती और श्वसन मार्ग से नाक तक कफ महसूस कर सकता है। गीली खांसी की अपेक्षा सूखी खांसी में तरह-तरह की आवाज आती है। जैसे कि आपको गले के पीछे चुभन, खिचखिच या आवाज में कर्कशता महसूस हो।कफ वाली गीली खांसी की अपेक्षा सूखी खांसी की समस्या ज्यादा दिनों तक रह सकती है। कई बार यह इतना ज्यादा और लगातार हो सकता है कि नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है।गीली खांसी में हमारा श्वसन मार्ग बदल जाता है। कफ होने की स्थिति में कई बार मुंह से भी सांस लेना पड़त है। सर्दी हो तो नाक का एक छिद्र बंद हो जाता है। वहीं सूखी खांसी में श्वसन मार्ग नहीं बदलता।इतना तो आप समझ गए होंगे कि केवल सूखी खांसी कोरोना के लक्षणों में नहीं है। सूखी खांसी अक्सर धूल और धुएं से एलर्जी, साइनस, अस्थमा या टॉन्सिल संबंधी समस्या से भी हो सकती है।

कोरोना के किन लक्षणों की जांच करानी चाहिए?

यदि आपको तेज बुखार है । सांस लेने में तकलीफ हो रही है। यदि आप सूखी खांसी के साथ ऐसे लक्षण भी महसूस करते हैं तो आपको निश्चित ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इस बीच आप खांसी के लिए आप मेडिकल सलाह पर दवाएं भी ले सकते हैं । चाहें तो घरेलू उपचार भी कर सकते हैं। जैसे कि नमक के पानी से गरारे करना, शहद के साथ अदरक का सेवन करना, मुंह में लौंग रखना आदि करने से भी आराम मिलता है। लगातार खांसी हो तो आप सोते समय एक ऊंचा तकिया का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करना आपके सीने की जलन और गले की खराश को कम करने में मदद करेगा।