कोरोना पर आस्था की जीत..घर-घर में विराजे गणपति बप्पा

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रायपुर (khabargali) इस वक्त वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल अपने चरम पर है जिसने जन जीवन के दैनिक दिनचर्या से लेकर तीज त्योहारों पर भी असर किया है। इसका धर्म आस्था का प्रसिद्ध महोत्सव गणेश उत्सव का सार्वजनिक स्थलों पर साफ असर दिखा लेकिन घरों में लोगों ने उसी आस्था व श्रद्धा के साथ गणपति विराजे। छोटी मूर्तियों को खरीदने कल से बाजारों में रौनक है। आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से बाजार में भीड़ उमड़ी। मूर्ति के साथ पूजन सामग्री,सजावट के सामान,मोदक लड्डू,फल लेने लोग परिवार सहित घर से निकले। प्रशासन आज कुछ नरम दिखा। गणेश उत्सव का अपेक्षित उत्साह इसलिए नहीं दिखा क्योंकि ढोल धमाल,आतिशबाजी से लेकर भीड़ में प्रतिमा ले जाने रोक हैं।

सार्वजनिक गणेशोत्सव के लिए कई कड़े नियम

सार्वजनिक गणेशोत्सव में समिति सदस्यों में और पूरे आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वालों में जरूर निराशा देखी गई । जिला प्रशासन की तरफ से इस बार समितियों को झांकी की भी अनुमति नहीं दी गई है। पंडाल में मूर्ति का साइज 4 फीट और पंडाल का साइज 15 फीट से ज्यादा नहीं होना तय किया गया है। दर्शन के लिए आने वाले लोगों का भी नाम, पता और मोबाइल नंबर रजिस्टर में लिखना होगा। पंडाल में सीसीटीवी लगाना होगा। सैनिटाइजर, थर्मल स्क्रीनिंग, ऑक्सीमीटर, हैंडवॉश, क्यू मैनेजमेंट की व्यवस्था करनी होगी। अगर पंडाल में दर्शन के लिए आया व्यक्ति संक्रमित हों और अगर उससे किसी दूसरे को संक्रमण होता है तो आयोजकों को पूरा खर्च उठाना होगा।

मूर्तिकारों ने कम मूर्तियां बनाई

मूर्तिकारों ने बाजार का रूख भांपते हुए इस बार मूर्ति निर्माण भी कम किया है। बीते साल 1 हजार रुपए में बिकने वाली प्रतिमाओं को अब 600-700 रुपये तक बेच रहें हैं। फिर भी उम्मीद है कि आज रात तक सारी मूर्तियां बिक जायेंगी। आमतौर पर लोग गणेश स्थापना के लिए मुहूर्त ज्यादा इसलिए नहीं देखते क्योंकि वे तो स्वंय प्रथम वंदन है।

आइए जानते हैं कैसे करें घर में खुद ही गणपति की स्थापना:

गणेश जी की स्थापना वाली जगह पवित्र होनी चाहिए। लाल कपड़ा बिछाकर वहां गणपति की मूर्ति रखी जाती है। कुछ लोग सोने चांदी की गणपति भी स्थापित करते हैं। ऐसे में वो एक सुपारी को भी गणपति रूप मान साथ में रखते हैं और विसर्जन के दिन सुपारी को विर्सजित कर देते हैं। गणपति को प्रसाद में मोदक, मोतीचूर के लड्डू, श्रीखंड, और दूसरे मिष्ठानों का भग लगा सकते हैं। जितने दिन गणपति को घर में रखें उतने दिन उनकी सुबह शाम आरती और चालीसा का पाठ कर मंत्र जरूर पढ़ने चाहिए। इसके अलावा रोज उन्हें सुबह शाम भोग लगाना भी आवश्यक है। इसके बाद चतुर्दशी के दिन उनकों विसर्जित किया जाता है। गणपति को घर में स्थापित करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें। इसके बाद गंगाजल छिड़कें। इसके बाद रंगोली बनाकर साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत रखें और गणपति को स्थापित करें। इस समय रौली से सतिए के प्रतीक भी बनाएं। अब गणपति को दूर्वा या पान के पत्ते की सहायता से गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें पीले वस्त्र गणपति पहनाएं। इसके बाद रोली से तिलक कर अक्षत लगाएं, दुर्वा और फूल चढ़ाएं और मिष्ठान का भोग लगाएं। जल से भरा हुआ कलश गणेश जी के बाएं रखें। इसके नीचे चावल या गेहूं रखें । इस कलश पर मौली और सुपारी से बंधा हुआ नारियल रखें। घी का दीपक जलाएं और शिवपरिवार की भी पूजा करें। आरती करें और मंत्रों का उच्चारण करें। इसके बाद क्षमा याचना करें।

श्री गणेश जी की आरती

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी, माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।

.. जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

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