मजीठिया पर BIG BREAK: दिव्‍य हिमाचल के कर्मी के एकाउंट में पहुंचा पैसा, छत्तीसगढ़ के प्रेस कर्मियों के हक का फैसला कब ??

Majitiya

छत्तीसगढ़ के मजीठिया हक की लड़ाई लड़ते नौकरी खो चुके प्रेस कर्मियों के परिवार की आस मुख्यमंत्री भूपेश से

नई दिल्‍ली(khabargali) मजीठिया को लेकर एक लंबे तकलीफ भरे संघर्ष के साथ जूझ रहे छत्तीसगढ़ प्रेस कर्मियों के लिए अच्छे संकेत है कि अब देश मेे  मजीठिया को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे कर्मियों के हित मे फैसले आने लगे है इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से मजीठिया वेजबोर्ड के एक मामले में एक कर्मचारी की जीत की खबर आ रही है. पता चला है कि दिव्‍य हिमाचल मीडिया ग्रुप में साढ़े तीन साल के करीब काम करने वाले एक सिक्‍योरिटी गार्ड को मजीठिया के क्‍लेम की एवज में कंपनी ने ढाई लाख रुपये का चैक देते हुए कोर्ट में समझौता कर लिया है. बताया जा रहा है कि इस केस की पैरवी यूनियन के प्रतिनिधि के तौर पर खुद अमर उजाला अखबार से मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे पत्रकार रविंद्र अग्रवाल कर रहे थे.

पता चला है कि इस केस में कंपनी शुरू में पचास-साठ हजार रुपये देकर मामला निपटाना चाहती थी, मगर जैसे ही मजीठिया वेजबोर्ड की जानकारी रखने वाले रविंद्र अग्रवाल ने एआर के तौर पर खुद कोर्ट में इस कर्मचारी की पैरवी की तो हार के डर से कंपनी दबाव में आ गई और अपने इस कर्मचारी के साथ ढाई लाख रुपये में समझौता करने को तैयार हो गई. फिलहाल हिमाचल में मजीठिया वेजबोर्ड के तहत किसी अखबार कर्मचारी को अदालत के माध्‍यम से उसके एकाउंट में पैसा पहुंचने का पहला मामला है. यहां ये भी गौरतलब करने वाली बात है कि उस कर्मचारी के पद और सर्विस कार्यकाल के हिसाब से उसका क्‍लेम बहुत बड़ी रकम का नहीं था.

छत्तीसगढ़ के प्रेस कर्मियों को कब मिलेगा मजीठिया वेेेेतनमान?

गौरतलब है कि छत्तीसगढ में मजीठिया की मांग को लेकर लम्बे समय से प्रेस कर्मी जूझ रहे है। इस हक की लड़ाई में उनकी नौकरी तक जा चुकी है, और वे इन दिनों अपने परिवार के भरणपोषण के नाम पर बड़े आर्थिक अभाव से गुजर रहे है। वही स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन छत्तीसगढ़ के पदाधिकारियों ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जर्नल से मिल कर रायपुर स्थित लेबर कोर्ट श्रम न्यायाधीश पिछले 2 साल से नही होने के संबंध में लिखित पत्र सौप चुके है। अपनी मजिठिया मामले पर 56 कर्मचारी मजिठिया मांग रहे है जिनका मामला 17/2 के तहत 2017 में राज्य सरकार द्वारा रिफ़्रेश किया गया है, जिसकी जानकारी पदाधिकारियों ने दी। ज्ञात ही कि प्रदेश में भाजपा सरकार ने षड्यंत्र पूर्वक 15 वर्षो तक एक भी श्रम न्यायधीश की नियुक्ति नही की थी। कांग्रेस सरकार के बनते ही मजीठिया कर्मी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जनता दरबार मे लाइन लग कर अपनी व्यथा लिखित रूप से सौप चुके है। आपको यहां यह भी बता दे कि छत्तीसगढ़ के मजीठिया की मांग कर अपनी नौकरी खो चुके प्रेस कर्मियों ने अलग- अलग श्री राहुल गांधी को श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों के लिए यूपीए सरकार द्वारा लागू मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं के संबंध में पत्र भेजा था। जिसमें जिक्र किया गया था कि किस तरह दुर्भाग्यपूर्ण रूप से श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों के लिए नवंबर साल 2011 में यूपीए सरकार द्वारा लागू मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं का मामला केंद्र सरकार और उसके कारपोरेट मीडिया मित्रो की सांठगांठ का शिकार हो गया। पत्र द्वारा अवगत कराया गया कि अखबार मालिकों और उद्योगपतियों के भारी दबाव के बाद भी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने लम्बे समय से शोषण का शिकार होते आ रहे श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए 11 नवम्बर 2011 को मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं को लागू किया था। इसमें तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने भी विशेष रूचि लेकर इन अनुशंसाओं को लागू कराया था। अखबार मालिकों ने इस लोक कल्याणी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने दृढतापूर्वक माननीय सुप्रीमकोर्ट में अपना पक्ष रखा,जिससे फैसला पत्रकारों और गैर पत्रकारों के हक में आया। सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी 2014 को अपने फैसले में अखबार मालिकों को पूर्ण रूप से मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाएं लागू करने का आदेश दिया।दुर्भाग्य से इस फैसले के बाद केन्द्र और अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार होने से अब तक इस फैसले पर अमल नहीं हो सका है।

ज्ञात हो कि मजीठिया वेतनमान की अनुशंसाओं को लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। राज्य सरकार को ही इस फैसले का क्रियान्वयन कराना है। सौभाग्य से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की काबिज है। पत्र में लिखा गया कि आपके विचार में एक महत्वपूर्ण तथ्य लाना चाहते हैं कि मजीठिया वेतनमान की अनुशंसाएं अखबार प्रबंधन को लागू करना है। इसमें राज्य सरकार के वित्तीय बजट पर कोई भार नहीं आएगा। अत: आपसे विनम्र आग्रह है कि यूपीए सरकार के उस एतिहासिक फैसले को लागू कराने में आप अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए निम्नलिखित मांगों को पूरा कराने का कष्ट करेंगे।

पत्र में निम्नलिखित मांगे भी की गई-

1। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मजीठिया वेतनमान लागू कराने के लिए निर्देशित करें। 2। केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर देश के सभी अखबार और न्यूज एजेंसियों में वेतनमान लागू कराया जाए। 3। संसद के अगले सत्र में कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे को हजारों श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों की ओर से आप स्वयं उठाएं।

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