निर्गुण से सगुण होना ही अवतार है - डॉ. इन्दुभवानन्द

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रायपुर (khabargali) मुकुट नगर रायपुर में चल रही श्रीमद्भागवत की दिव्य अमृतमयी कथा के सारगर्भित अंश को प्रस्तुत करते हुए डॉ इन्दुभवानन्द महाराज ने बताया कि निर्गुण, निराकार का सगुण साकार होना ही भगवान का अवतार है। परब्रह्म परमात्मा अपने भक्तों के कल्याण के लिए निर्गुण निराकार रहते हुए भी सगुण साकार हो जाते हैं और सगुण साकार होकर दिव्य दिव्य लीलाओं का सुख परमहंसवृत्ति में एकनिष्ठ जीवन मुक्त अमलात्मा प्रवृत्ति के अपने भक्तों को दिया करते हैं, देवकी वसुदेव तथा नंद यशोदा को वात्सल्य लीला का सुख देने के लिए भगवान अजन्मा होकर भी जन्म लेते हैं भगवान श्री कृष्ण ने वसुदेव देवकी को याद दिलाया कि पूर्व जन्म में तुम लोग पृश्निगर्भ और सुतपा थे तुम लोगों को बाल लीला का सुख देने के लिए मैं पृश्निगर्भ के रूप में अवतरित हुआ था। दूसरे जन्म में तुम कश्यप अदिति बने और तुमको सुख देने के लिए मैं वामन के रूप में अवतरित हुआ इस जन्म में तुम वसुदेव देवकी के रूप में आये हो और मैं तुमको वात्सल्य का सुख देने के लिए कृष्ण के रूप में अवतरित हुआ हूं, यदि तुम्हें कंस से कोई भय है तो मुझे गोकुल ले चलो ऐसा कह कर के भगवान रुदन करने लगे भगवान की विमुख जन मोहिनी माया ने सब द्वारपालों को सुला,दिया हथकड़ी वेड़िया खुल गई। वसुदेव की गोद में बैठकर भगवान गोकुल के लिए चल पड़े यमुना की बाढ़ भी उनके मार्ग में बाधक नहीं हुई भगवान हृदय में हो तो बाधा किस बात की।

कथा व्यास ने रामजन्म गंगावतरण बामन प्रसंग आदि पर भी प्रकाश डाला। कथा के पूर्व कथा यजमान श्री पांडे जी के परिवार ने पुथि पूजन करके आरती की।

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