" फिर दमका देश का नया विश्वास… छत्तीसगढ़" : RBI की सराहना पर विशेष लेख उमेश मिश्र की कलम से

Umesh mishra, samvaad, chhattisgarh, khabargali

रायपुर (khabargali) कोरोना रोकथाम में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों को देश भर में सराहना मिलने के बाद रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी छत्तीसगढ़ राज्य की आर्थिक स्थिति में तेजी की सराहना की है। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में आर्थिक क्षेत्र में तेज़ी से वृद्धि देखी गई। यह देश में सुखद वातावरण बनाता है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले तीन हफ्तों में घरेलू विकास पर जारी आंकड़े अर्थव्यवस्था की स्थिति का व्यापक मूल्यांकन करने के लिए बहुत निराश करते है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में तालाबंदी के बाद भी कृषि की गतिविधियां तेजी से चल रही है। खाद्यान्न और बागवानी के उत्पादन, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के सभी कार्य में निरंतर तेज़ी रहने के कारण राज्य में देश के अन्य विकसित राज्यों के मुक़ाबले आर्थिक विकास की दर काफ़ी अच्छी है।

उक्त संदर्भ में उमेश मिश्र, संयुक्त सचिव , छत्तीसगढ़ शासन तथा संवाद के एडीशनल सीईओ ने एक अग्र लेख लिखा है। ख़बरगली जिसे आप जैसे सुधि पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत कर रहा है-

"फिर दमका देश का नया विश्वास… छत्तीसगढ़"

फिर एक बार छत्तीसगढ़ ने देश का विश्वास जीता है । फिर एक बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खांटी छत्तीसगढिय़ा छवि और जमीनी रणनीति तारणहार बनी है।फिर एक बार साबित हुआ कि लीडर का जुनून और जनता से जुड़ाव बड़े से बड़े मर्ज का इलाज है ,वह मर्ज कोरोना ' जैसा महाप्रलयंकारी अजूबा क्यों ना हो। एक बार फिर श्री बघेल का नेतृत्व और उसके साथ छत्तीसगढ़ विजेता बना है।

'कोविड- 19 ' जिस रूप और जिस दौर में सात समंदर और सैकड़ों नदियों- पहाड़ों को लांघता हुआ भारत आया, उसकी रफ़्तार को समय? रहते समझ लेना राज्य के शीर्षतम नेतृत्व का कौशल ही था,वरना देश से पहले प्रदेश में 'लॉक डाउन' का मानस नहीं बन पाता। उस समय जब जन -जमाव वाले सारे केंद्र और आयोजन बंद किए गये तब तक आम तौर पर लोगों को लग रहा था कि कुछ कुछ अतिरेक सावधानी बरती जा रही है, शायद ये जरूरी नहीं।लेकिन नेतृत्व वही जो आगत को भांप ले और ऐसी सधी चाल से चलना शुरू कर दे,जिससे अद्वितीय समस्या की घड़ी में भी जनता में भय ना फैले,वह हिम्मत के साथ स्वत: सरकार के फैसलों में भागीदारी बने,और राज्य के मुखिया की सलाह के मर्म को समझे।

इस तरह सोशल जमावाड़े के खिलाफ 'फीजिकल डिस्टेंन्सिग 'का मंत्र यथा समय जनता के कानों में फूंकते हुए सही दिशा में सही कदम उठाने की जो शुरूआत हुई, उससे 18 दिसंबर के बाद का वह दौर भी याद आया कि मुखिया ने संकट की इस घड़ी में फिर एक बार अपनी वही चिर-परिचित रणनीति ही अपनाई है। 'कोविड -19' और छत्तीसगढ़ की जनता के बीच मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल दीवार की तरह डटकर खड़े हो गए हैं। चौतरफा चुनौतियां के बीच कहीं बेहद सख्ती , कहीं बेहद नरमी,तो कहीं लचीले आर्थिक,सामाजिक, प्रशासनिक त्वरित फैसलों की जरूरत थी। संक्रमण पर नियंत्रण, संक्रमितों का उपचार, रोज कमाने -खाने वाले लोगों को तत्काल राहत, दूसरे प्रदेशों में फंसे छत्तीसगढ वासियों के साथ ही दूसरे प्रदेशों के यहां फंसे होने की स्थिति में राहत,और इन सबके बावजूद गांवों में यथा संभव कृषि व वनोपज आश्रित आजीविका का सुरक्षित संचालन जैसे कार्यों में संतुलन तो किसी सर्कस के संचालन जैसा दुरुह कार्य ही कहा जाएगा। इस बीच स्वास्थ्य अधोसंरचना का विस्तार और हर जि़ंदगी का गरिमा पूर्ण निर्वाह भी जरूरी। इतना ही नहीं चिकित्सक,नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मी , आंगनवाड़ी कर्मी, पुलिस कर्मी आदि अमले के साथ व्यापक समाज की हौसला -अफज़ाई की जिम्मेदारी भी श्री बघेल ने भली-भांति संभाली।

जनता का हर वर्ग श्री बघेल के बताए रास्तों पर चल पड़ा। सवा साल पहले मु्ख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक आधारभूत ढांचा खड़ा करने की मुहिम छेड़ी थी। 2500 रू.क्विंटल में धान,कृषि भूमि का चार गुना मुआवजा, 4000रू.मानक बोरा तेंदूपत्ता मजदूरी, ऐतिहासिक क़ृषि ऋण माफी, 23 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, सिंचाई कर माफी, आदिवासियों की जमीन वापसी, फर्जी मामले-मुकदमे वापसी ,छोटे भूखंडों की खऱीद -बिक्री,फूड पार्क की स्थापना की दिशा में बढ़ते कदमों, भूमिहीनों और राजस्व मामलों के सरल समाधान जैसे अनेक फैसलों से राज्य में उत्साह का सकारात्मक वातावरण बना।

आज कोरोना संकट के घटाटोप अंधेरे के बीच छत्तीसगढ़ से फूटती उजाले की किरण भारतीय रिज़र्व बैंक देख रहा है और देश -दुनिया में निरंतर पैर पसारते ' रेड हॉट स्पॉट 'के बीच छत्तीसगढ़ 'ग्रीन स्पॉट' के रूप में उभर रहा है ,तो इन इबारतों का हर हर्फ़ पढ़ा जाएगा। आर्थिक मंदी को मात देने वाला छत्तीसगढ़ 'कोरोना' को भी मात देता नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ी मॉडल एक बार फिर देश और दुनिया का नया विश्वास बनकर दमकने को तैयार है। घोषित वैश्विक महामारी के दौर में यदि 'नो केजुअल्टी' के तमगे के साथ उभरते राज्य को इन्हीं संदर्भो में विश्व- विजेता कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।

- उमेश मिश्र

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